मोदी के स्टार कैबिनेट मंत्री

नई मोदी सरकार में कई मंत्री राजनीति के चमकते सितारे रहे हैं। भाजपा के प्रति उनकी निष्ठा, उनकी लगन, समर्पण भाव से कार्य और जनता को साथ ले चलने की उनकी कुशलता के कारण जनता में भी उनकी छवि अच्छी है। प्रस्तुत है कुछ चुनिंदा परिचय-

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल 2014 से 2019 के दौरान तथा 2019 लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर सबसे अधिक महत्वपूर्ण उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले भाजपा पदाधिकारियों को उनके परिश्रम का पुरस्कार देकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। जिन्हें मोदी का स्टार कैबिनेट मंत्री कहा जा रहा है। इन्ही के कंधों पर देश की राजनीति और आने वाली चुनौतियों से निपटने का जिम्मा सौंपा गया है। मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हर नेता बहुत ही खास है। हर एक ने कड़ी मेहनत व तपस्या के बल पर यह सफलता अर्जित की है। आइए जानते हैं स्टार कैबिनेट मंत्रियों की उपलब्धियों तथा उनका राजनीतिक सफर कैसा रहा।

अमित शाह (गृह मंत्री)

भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते अमित शाह पर ही लोकसभा चुनाव में जीत दिलाने का दारोमदार था। चुनौतियों से निपटने में माहिर अमित शाह ने कुशल रणनीति और चक्रव्युह का नमूना पेश करते हुए विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया। संगठन कौशल के विशेषज्ञ शाह ने नेता से लेकर कार्यकर्ताओं तक को राजनीति का ऐसा पाठ पढ़ाया कि सभी लोग एकजुट होकर लक्ष्यपूर्ति के लिए रात-दिन कार्य करने लगे। केंद्र के अलावा राज्यों में आज भाजपा के हाथों में जो सत्ता है, उसका श्रेय भी अमित शाह को दिया जाता है।

नरेंद्र मोदी से अमित शाह की पहली मुलाकात वर्ष 1982 में अहमदाबाद में हुई थी। तब मोदी जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक थे। वर्ष 1983 में अमित शाह छात्र संगठन अभाविप में सक्रिय रहे। इसके बाद वर्ष 1986 में अमित शाह भाजपा में शामिल हुए। इसके एक वर्ष बाद ही मोदी भी भाजपा में शामिल हुए। मोदी और शाह ने मिल कर 8 हजार स्थानीय नेताओं का नेटवर्क तैयार किया। जिसके बाद पहली बार गुजरात में भाजपा की सरकार बनी।

आंतरिक सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती

वर्तमान समय में हमें बाहरी नहीं बल्कि आंतरिक खतरा सबसे अधिक है। स्लीपर सेल, अर्बन नक्सली, देश विरोधी ताकतों के मकड़जाल को ध्वस्त करना गृहमंत्री अमित शाह के लिए सबसे बड़ी चुनौति होगा। कश्मीर, बंगाल और केरल की हिंसा, हत्या और बिगड़ती कानून व्यवस्था को सुधारना अमित शाह की प्राथमिकता होनी चाहिए। देश को अस्थिर करने वाले असामाजिक तत्वों तथा भीमा-कोरेगांवकर की तर्ज पर जातिगत दंगे-फसाद फैलाने वाले और षड्यंत्र रचने वाले देशद्रोहियों की गैंग का समूल नाश करना बेहद जरूरी है। वैसे अमित शाह को प्रखर राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के लिए समर्पित माना जाता है। लोगों का मानना है कि अमित शाह सुरक्षा के मुद्दे पर कठोर रूख अपनाएंगे।

राजनाथ सिंह (रक्षा मंत्री)

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके राजनाथ सिंह को संयम और दृढ़ इच्छाशक्ति के लिए जाना जाता है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में राजनाथ सिंह ने मंत्री पद की शपथ ली और उन्हें रक्षा मंत्री का पदभार सौंपा गया है। युद्ध विराम के पाकिस्तान द्वारा उल्लधंन का जवाब धुंआधार गोलाबारी से देने की बात करने वाले राजनाथ सिंह कड़े निर्णय लेने में संकोच नहीं करते।

मात्र 13 वर्ष की अल्प आयु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े राजनाथ बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। 1975 में उन्हें भारतीय जनसंघ ने मिर्जापुर का जिला अध्यक्ष बनाया और 1977 में पहली बार राजनाथ मिर्जापुर से विधायक बने। 1988 में उ.प्र. विधान परिषद सदस्य के रूप में वह निर्वाचित हुए। 1991 में प्रदेश के शिक्षा मंत्री बने और 2000 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। संगठन को मजबूत और विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के चलते अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में राजनाथ सिंह को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था। उन्होंने 1999 से 2003 के दरमियान केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री और कृषि मंत्री तथा 2005 से 2009 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व पूरी निष्ठापूर्वक परिश्रम व लगन से निभाया। 2013 में नितिन गडकरी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तो फिर से राजनाथ सिंह को ही पार्टी के अध्यक्ष के रूप में दोबरा भाजपा की कमान सौंपी गई। वह 2009 में गाजियाबाद से लोकसभा चुनाव जीता। उन्होने 2014 में और 2019 में लखनऊ सीट से जीत दर्ज कर अटल बिहारी वाजपेयी के सर्वाधिक वोट के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।

रक्षा क्षेत्र की चुनौंतिया और सुधार

भारतीय सेना को आधुनिक बनाना और अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित करना राजनाथ सिंह की प्राथमिकताओं में शामिल होगा। गोला बारूद, शस्त्र निर्माण कारखानों में बहुत ज्यादा सुधार की तत्काल आवश्यकता है। सुरक्षा विशेषज्ञ के सुझावों के अनुरूप रक्षा क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। आए दिन आतंकवादी और नक्सली हमलों में सेना के जवान मारे जा रहे हैं। सेना की रणनीति में आमूलचूल बदलाव की आवश्यकता है और पारंपरिक युद्ध कौशल से हटके सेना को नई आधुनिक ठोस रणनीति बनानी होगी ताकि पहले से ही जाल बिछाकर हमले की ताक में बैठे नक्सली और आतंकवादियों के चक्रव्यूह से सैनिकों की जान बचाई जा सके और उनका प्रतिकार किया जा सके।

नितिन गडकरी

(परिवहन एवं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय)

नितिन गडकरी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। उन्हें बेदाग छवि और कर्तव्य परायण नेता के रूप में  जाना जाता है। गडकरी ने 1976 में संघ परिवार के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ने के बाद अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की। भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनने वाले गडकरी सबसे कम उम्र में यह दायित्व संभालने वाले नेता बने। 1995 में शिवसेना-भाजपा गठबंधन की सरकार में लोक निर्माण मंत्री बने। 1989 में वह पहली बार विधान परिषद के लिए चुने गए। 20 वर्ष विधान परिषद का सदस्य रहने के दौरान उन्होंने कई रचनात्मक उल्लेखनीय कार्य किए। महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता रहते हुए भी उन्होंने सरकार को सहयोग प्रदान किया। 2014 में सड़क परिवहन और राजमार्ग, जहाजरानी, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री रहे। उनके कार्यो को खूब सराहा गया। इसके साथ ही ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री का भी उन्हें दायित्व सौंपा गया था।

रावसाहेब दानवे

(उपभोक्ता मंत्रालय, राज्यमंत्री)

जालना से पांचवीं बार सांसद चुने गए महाराष्ट्र भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रावसाहेब दानवे पिछली बार भी राज्यमंत्री थे। जब उन्हें महाराष्ट्र में पार्टी की कमान सौंपी गई तो उन्हे राज्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस लोकसभा चुनाव में भी दानवे के नेतृत्व में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया। पार्टी ने मंत्रिमंडल में शामिल कर दानवे को जीत का पुरस्कार दिया है। मोदी सरकार में ग्राहक संरक्षण राज्यमंत्री पद उन्हें दिया गया है। वे महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं में से एक हैं। वे दादाराव दानवे और केशराबाई दानवे के पुत्र हैं। उन्होंने जे.इ.एस. जालना (महाराष्ट्र) से बी.ए. की डिग्री ली है। वे भाजपा के एक समर्पित कार्यकर्ता की भांति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं। संगठनात्मक कार्यों में निपुण होने के कारण उन्हें महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया जाता रहा है। रचनात्मक व संगठन को मजबूत करने तथा पार्टी के लिए उल्लेखनीय कार्य करने के चलते उन्हें मोदी सरकार में योग्य पद देकर विभूषित किया गया है।

निर्मला सीतारमण (वित्त मंत्री)

प्रतिभाशाली पूर्व रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण को मोदी सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया है। अपने कर्तव्यों के प्रति पूर्ण समर्पित होने के कारण मंत्रिमंडल में उन्हें अहम पद दिया गया है। इसके साथ ही उन्हें कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय का जिम्मा भी दिया गया है। देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री और पिछली सरकार में रक्षा मंत्री का कार्यभार संभाल कर उन्होंने इतिहास रच दिया है। इसके पूर्व प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी ने 1970-71 में वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार संभाला था। निर्मला सीतारमण 2014 में जेटली के मातहत वित्त राज्यमंत्री और वाणिज्य मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री रह चुकी हैं। उन्होंने कम्पनी मामलों की मंत्री के तौर पर भी काम किया है।

राजनीतिक सफर

2008 में प्रवक्ता के तौर पर निर्मला सीतारमण भाजपा से जुड़ी और 2014 तक इस पद पर कार्य किया। उनकी प्रतिभा को देखते हुए मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ही उन्हें अहम जिम्मेदारियां दी जाने लगीं। फिर वे आंध्र प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बनीं और 2017 में उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया। यह वह दौर था जब डोकलाम विवाद को लेकर भारत और चीन में तनातनी थी।

चुनौतियां व सुधार

वित्त मंत्री के तौर पर उन्हें आर्थिक मंदी, रोजगार, सृजन, किसानों को कर्ज से उबारने, निवेश बढ़ाने जैसी चुनौतियों से निपटना होगा। रियल इस्टेट, ऑटो सेक्टर, कृषि सेक्टर, निर्यात, बेरोजगारी और सरकारी कंपनियों की खस्ताहाल स्थिति में सुधार करना भी बड़ी चुनौतियां हैं।

स्मृति ईरानी

(महिला एवं बाल विकास और कपड़ा मंत्रालय)

कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए के प्रधानमंत्री पद के दावेदार राहुल गांधी को उनकी पारंपारिक अमेठी सीट से हरा कर स्मृति ईरानी ने बड़ा उलटफेट कर दिया और देखते ही देखते वह सुर्खियों में आ गईं। बड़ी-बड़ी बातें करने वाले राहुल गांधी स्मृति ईरानी से डर कर मुस्लिम बहुसंख्यक सीट केरल के वायनाड से चुनाव मैदान में उतरे। 43 वर्षीय स्मृति ईरानी मंत्रिमंडल में सबसे कम आयु की मंत्री बनी हैं।

राजनीतिक सफर

2003 में स्मृति ईरानी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। जिसके बाद पार्टी ने उन्हें कांग्रेस के दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा। उसके बाद वर्ष 2004 में उन्हें महाराष्ट्र यूथ विंग का उपाध्यक्ष बनाया गया। पार्टी के प्रति निष्ठा, लगन व परिश्रम को देखते हुए 2010 में उन्हें भाजपा महिला मोर्चा की कमान सौंपी गई। वर्ष 2011 में गुजरात से राज्यसभा की सांसद बनने के बाद इसी वर्ष उन्हें हिमाचल प्रदेश में महिला मोर्चे की भी जिम्मेदारी दी गई।

धमेंद्र प्रधान  (पेट्रोलियम मंत्रालय)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और एबीवीपी से लंबे समय तक जुड़े रहे धमेंद्र प्रधान एक कुशल संगठनात्मक नेता हैं और मौजूदा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के करीबी एवं भरोसेमंद नेताओं में से एक हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में धर्मेंद्र प्रधान पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री थे और इसके साथ ही वह कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय का भी काम देखते थे। भाजपा की नई पीढ़ी के सबसे असरदार नेताओं में धर्मेंद्र प्रधान को गिना जाता है।

राजनीतिक सफर

1983 में छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़ने के बाद धर्मेंद्र प्रधान का राजनीतिक सफर शुरू हुआ। एबीवीपी में कार्यकर्ता के तौर पर काम करने वाले धर्मेंद्र प्रधान 1985 में तलचर कॉलेज स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष बने और 1995 में एबीवीपी के राष्ट्रीय सचिव बनाए गए। 2007 से 2010 से लेकर अभी तक वे इसके प्रभारी हैं।

मध्यप्रदेश में राज्यसभा पहुंचे धर्मेंद्र प्रधान 14हवीं लोकसभा में ओड़िशा की देवगढ सीट से चुनाव जीते थे। वे 2000 से 2004 में पल्लहारा विधान सभा सीट पर भी चुनाव जीते थे।  पार्टी ने उन्हें 2010 में महासचिव के साथ ही झारखंड में पार्टी प्रभारी की जिम्मेदारी भी सौंपी थी। 2012 में बिहार से राज्यसभा सांसद चुने गए। इसकेे पूर्व 2010 में बिहार भाजपा के सह-प्रभारी बनाए गए और 2011 में कर्नाटक भाजपा के प्रभारी बनाए गए। उत्तराखंड में चुनाव प्रभारी बनाए गए और 2017 में छत्तीसगढ भाजपा प्रभारी बनाए गए।

प्रकाश जावड़ेकर

(पर्यावरण एवं सूचना व प्रसारण मंत्रालय)

पिछली मोदी सरकार में विभिन्न विभागों के लिए बतौर राज्यमंत्री काम करने वाले तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रकाश जावड़ेकर की प्रतिबद्धता को देखते हुए नई सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया है। इसके साथ ही उन्हें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। 30 जनवरी 1951 के पुणे में जन्मे प्रकाश जावड़ेकर की प्रतिभा व काबिलियत कॉलेज के समय से ही दिखने लगी थी। वे एबीवीपी के कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय थे और आपातकाल के दौरान छात्र आंदोलनों में उन्होंने हिस्सा लिया था। इस दौरान वे कई महीने हिरासत में भी रहे। भाजपा में शामिल होने के बाद 1984-90 तक वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव और फिर महासचिव रहे। महाराष्ट्र के राज्य सचिव और प्रचार समिति के प्रमुख के रूप में भी उन्होंने कार्यभार संभाला। 1990 से 2002 तक महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य थे। 2008 में राज्यसभा के लिए चुने जाने के बाद केंद्र की राजनीति में उनका आगमन हुआ।

रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

(मानव संसाधन विकास  मंत्री)

हरिद्वार लोकसभा सीट से दूसरी बार विजयी हुए डॉ.रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के मंत्रिमंडल में मानव संसाधन विकास मंत्री का कार्यभार सौंपा गया है। 4 दशकों से राजनीति में सक्रिय रचनात्मक उल्लेखनीय भूमिका अदा करने के कारण उन्हें मंत्री पद का दायित्व देकर सम्मानित किया गया है। वर्ष 1991 में कर्णप्रयाग से लगातार 3 बार विधायक रहे रमेश पोखरियाल वर्ष 1997 में यूपी में कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री थे। वर्ष 1999 में राम प्रकाश गुप्त की सरकार में संस्कृति मंत्री और वर्ष 2000 में उत्तराखंड सरकार में वित्त, राजस्व, कर, पेय जल सहित 12 विभागों के मंत्री रहे हैं। इसके अलावा वर्ष 2007 में उत्तराखंड सरकार में चिकित्सा, स्वास्थ्य व विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री की जिम्मेदारी भी उन्होंने पूरे मनोयोग से निभाई। पार्टी को मजबूत बनाने और संगठन का विस्तार करने के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करने वाले रमेश पोखरियाल वर्ष 2009 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री चुने गए। वर्ष 2012 में डोईवाला, देहरादून से विधायक, वर्ष 2014 में हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से सांसद और लोकसभा की सरकारी आश्वासन समिति के सभापति के रूप में उन्होंने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया।

अर्जुन मुंडा (अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री)

झारखंड में 3 बार मुख्यमंत्री रहे अर्जुन मुंडा को इस बार कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। झारखंड में भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा मुंडा ही माने जाते हैं। खूंटी से निर्वाचित सांसद अर्जुन मुंडा इसके पूर्व 2009 में जमशेदपुर लोकसभा सीट से जीते थे। इस बार खूंटी में संघर्षपूर्ण चुनावी लड़ाई में कांग्रेसी प्रत्याशी कालीचरण मुंडा को हरा कर अर्जुन मुंडा ने जीत का परचम लहराया। झारखंड की पहली सरकार में अर्जुन मुंडा आदिवासी कल्याण मंत्री बने थे। 2003 में भाजपा की बाबूलाल मरांडी सरकार के पतन के बाद वे झारखंड के मुख्यमंत्री बने। 2005 में नई विधान सभा के गठन के बाद भाजपा की जब दुबारा सरकार बनी तो वे दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। 2010 में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में ही भाजपा की सरकार बनी थी।

श्रीपाद नाईक

(आयुष मंत्रालय -स्वतंत्र प्रभार, रक्षा मंत्रालय -राज्यमंत्री)

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री और आयुष मंत्रालय के राज्यमंत्री का स्वतंत्र प्रभार संभाल चुके श्रीपाद नाईक को इस बार मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। इसके पूर्व पिछली दो बार की मंत्री पद की अवधि में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा नहीं मिला था। श्रीपाद नाईक अटलजी की सरकार में भी राज्यमंत्री रहे थे। उत्तर गोवा से लगातार 5वीं बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर नाईक पार्टी के भरोसे पर खरे उतरे। उत्तर गोवा के अदपाई में जन्मे श्रीपाद नाईक मुंबई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं और एक सफल बिजनेसमैन भी हैं।

 

 

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