हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
किसे कहते हैं एनपीए?

किसे कहते हैं एनपीए?

by विजय मराठे
in अगस्त २०१९
0

बैंकिंग क्षेत्र में ही नहीं जनसाधारण में भी एनपीए शब्द आजकल बड़ी चर्चा में हैं। एनपीए अंग्रेजी शब्दावली नॉन-परफार्मिंग असेट का संक्षिप्त रूप है। एनपीए को डूबत ॠण भी कह सकते हैं। हिंदी पारिभाषिक शब्दावली है अनर्जक आस्तियां। याने ऐसा ॠण जिनके वसूल होने में दिक्कत है।

सन 1969 अर्थात बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पहले अधिकतर जनमानस बैंकों की कार्यप्रणाली के विषय में अनजान था। आलम यह था कि साधारण मनुष्य बैंक के अंदर प्रवेश करने से भी घबराता था। उस समय बैंक  बड़े उद्योगपतियों-कारखानदारों की जरूरतें पूरा करने के काम में लगे थे। कुछ मध्यम वर्ग जरूर बैंकों में जाता था परंतु केवल जमा खाते खुलवाने या फिर अपने खुले हुए खातों में पैसा जमा करने। जब यह हाल था तब बैंकिंग शब्दावली का सामान्य जन तक पहुंचना तो करीब-करीब असंभव था। लोग जमा खातों से सम्बंधित शब्दावली जैसे बचत खाता (सेविंग अकाउंट), चालू खाता (करंट अकाउंट), आवर्ती खाता (रिकरिंग अकाउंट) एवं सावधि खाता (फिक्स डिपॉजिट) इन शब्दों से ही अधिकतर परिचित थे। ऋणों से सम्बंधित शब्दावली से लोग अनभिज्ञ थे।

परंतु राष्ट्रीयकरण के पश्चात बैंकों की कार्यप्रणाली बदली। बैंक सरकारी निर्देशों के अनुसार चलने लगे एवं अपनी योजनाएं बनाने लगे। केवल लाभ कमाने का उद्देश छोड़ कर बैंक सामाजिक बैंकिंग की दिशा में बढ़ने लगे। सरकारी प्रचार एवं सरकार प्रायोजित कई योजनाओं के कारण किसान, मजदूर, छोटे व्यापारी अपनी आवश्यकताओं हेतु बैंकों में आने लगे। प्रारंभ में आईआरडीपी योजना, लघु एवं सीमांत किसानों के लिए योजनाएं, सिंचाई (लघु) योजनाओं के लिए सरकारी निर्देशों के तहत बैंकों द्वारा ऋण दिए जाने लगे। इससे देश में सिंचाई का रकबा बढ़ा, पैदावार एवं दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हुई एवं छोटे किसान, खेतिहर मजदूर और छोटे व्यापारियों-कारोबारियों की माली हालत सुधरने लगी। बैंकों से सभी को उनकी हैसियत तथा आवश्यकता के अनुसार कर्ज मिलने लगा।

अब यदि कर्ज दिया गया तो उसकी वसूली, मय ब्याज, भी निश्चित है। प्रत्येक योजना के नियमों के अनुसार कर्ज वसूली की समय सीमा निर्धारित की गई। इसके लिए बैंकों द्वारा वार्षिक, अर्धवार्षिक, त्रैमासिक एवं मासिक किश्तें निर्धारित की गईं। फसल ऋण के लिए फसल आने पर एक मुश्त रकम मय ब्याज के जमा करना निश्चित किया गया।

सामान्य व्यक्ति या संस्थाओं के पास जो उनकी जमा पूंजी होती है या जो चल अचल संपत्ति होती है वह उनकी आस्तियां होती हैं। बैंकों के लिए उनके द्वारा दिए गए ऋण उनकी आस्तियां होती हैं। बैंकों का काम कम ब्याज पर विभिन्न अवधि के लिए जमा राशियां स्वीकार करना एवं उसे अधिक ब्याज पर विभिन्न अवधि के लिए ऋण के रूप में देना है। ब्याज के अंतर से प्राप्त राशि बैंकों की ब्याज से आय कहलाती है। इस प्रकार जो जमा राशियां बैंक ने स्वीकार की हैं वे बैंक की देयता एवं ऋण राशि आस्तियों की श्रेणी में आती है।

अब हम अर्जक एवं अनर्जक आस्तियों की बात करें। सामान्य बोलचाल की भाषा में अर्जक आस्तियां अर्थात परफॉर्मिंग  असेट एवं अनर्जक आस्तियां अर्थात नॉन परफॉर्मिंग असेट कहलाती हैं।

अर्जक आस्तियां

वह ऋण राशि जिसकी वसूली नियमित हो रही है एवं बैंक जिन पर ब्याज बराबर प्राप्त कर रहे हैं अर्थात मूलधन एवं ब्याज निर्धारित समय सीमा में प्राप्त हो रहा है।

अनर्जक आस्तियां अर्थात एन.पी.ए.

एन.पी.ए. अर्थात ऐसे ऋण खाते जिनमें मूल धन की किश्त, ब्याज या निर्धारित मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक या वार्षिक किश्त (ईएमआई) नियमित रूप से प्राप्त नहीं हो रही है।  ईएमआई की गणना इस प्रकार की जाती है जिससे पूरी ऋण राशि मय ब्याज के निर्धारित अवधि में पूरी चुकता हो जाए। गृह ऋण (होम लोन), व्यक्तिगत ऋण (पर्सनल लोन) तथा वाहन ऋण (व्हैइकल लोन) में  ईएमआई लागू होती है। कुछ बैंक कुछ अन्य व्यापारिक ऋणों में भी ईएमआई की सुविधा देते हैं।

कोई भी ऋण खाता अचानक अनर्जक नहीं हो जाता। इसके लिए कुछ मापदण्ड निश्चित किए गए हैं। जिन खातों में किश्तें निर्धारित समय में आना बंद हो जाती हैं, उन्हें प्रथम अनियमित खातों में वर्गीकृत किया जाता है। जैसे स्वस्थ मनुष्य जब अस्वस्थ हो जाता है तो उसे औषधि दी जाती है या फिर अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। ऋणी को नोटिस भेज कर या उससे व्यक्तिगत मिल कर खाते को नियमित करने को कहा जाता है। उसे यह भी बताया जाता है कि यदि उसने खाते को एक-दो किश्तों तक भी अनियमित रखा तो उस अनियमित राशि या सम्पूर्ण शेष पर कुछ दण्डात्मक ब्याज (पीनल इंटरेस्ट) लगाया जा सकता है। साधारणत: इस प्रकार के अनियमित खातों की बार-बार समीक्षा की जाती है, ऋणी से बार-बार संपर्क कर यह प्रयास किया जाता है कि खाता नियमित हो जाए ताकि उसे अनर्जक आस्तियों की श्रेणी में वर्गीकृत होने से बचाया जा सके। अधिकतर ऋण खाते ऋणी की अपनी व्यक्तिगत मजबूरियों के कारण अनियमित हो जाते हैं एवं ऐसे ऋणी उन्हें नियमित करने हेतु सजग भी रहते हैैं। परंतु जो लोग जानबूझकर ऋण की किश्तों को नहीं चुकाते हैं एवं बैंकों को मजबूर करते हैं कि उनके खातों को अनर्जक की श्रेणी में वर्गीकृत किया जाए ऐसे ऋणियों को जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाला अर्थात विलफुल डिफॉल्टर कहते हैं।

आस्तियां अनर्जक कब हो जाती हैं?

बैंक अपनी आस्तियों अर्थात ऋण खातों को कब अनर्जक अर्थात एनपीए की श्रेणी में वर्गीकृत करता है इसके नियम रिजर्व बैंक द्वारा बनाए गए हैं जो सभी बैंकों पर समान रूप से लागू होते हैं। इनमें से कुछ विशेष ऋण जो सामान्यत: सभी की जानकारी में है, वे कब अनर्जक आस्तियों में वर्गीकृत किए जाते हैं इसकी जानकारी निम्नानुसार है-

टर्म लोन-

वे ऋण (लोन) जिनकी चुकौती की अवधि निश्चित रहती है। इसमें गृह ऋण, कार के लिए ऋण, व्यक्तिगत ऋण, छोटे कारोबारियों को दिए गए ऋण, उद्योगपतियों को दिए गए ऋण, प्रोफेशनल्स अर्थात डॉक्टर, इंजीनियर, आर्किटेक्ट इ. को दिए गए ऋण, कृषि ऋण जिनमें ट्रेक्टर एवं अन्य औजार खरीदने के लिए दिए गये ऋण, लघु सिंचाई हेतु दिए गए ऋण, ट्रक-बस इत्यादि खरीदने हेतु दिए गए ऋण एवं ऐसे अन्य सभी ऋण जिनकी चुकौती की अवधि निश्चित होती है, शामिल हैं।

उपरोक्त ऋण, तभी अनर्जक अस्तियों में वर्गीकृत किए जाते हैं जब इन खातों में ब्याज और/या मूलधन की किश्त या जहां ईएमआई निश्चित की गई है वह ईएमआई 90 दिन से ज्यादा के लिए बिना चुकाई रह जाती है। इसे ओवरड्यू कहा जाता है। वह तभी ओवरड्यू हो जाती है जब वह बैंक द्वारा निर्धारित तिथि तक जमा नहीं होती।

कैश क्रेडिट एवं ओवरड्राफ्ट सुविधा

ये खाते निम्न स्थितियों में एनपीए में वर्गीकृत किए जाते है-

1) जब इन खातों में शेष लगातार 90 दिनों से अधिक स्वीकृत सीमा से अधिक रहता है या

2) भले ही खाते का शेष स्वीकृत सीमा से कम है परंतु बैलेन्स शीट की तारीख तक उसमें लगातार 90 दिन कुछ जमा नहीं होता या जो राशि जमा हो रही है उससे बैंक द्वारा लगाए गए ब्याज की भी वसूली नहीं हो रही हो।

कृषि ऋण

1) छोटी अवधि के फसल ऋण यदि उनकी किश्त एवं ब्याज यदि दो फसल तक ओवरड्यू रहता है।

2) बड़ी अवधि के ऋण जिनमें ब्याज एवं मूल धन एक फसल तक ओवरड्यू रहता है।

ऋण तो अन्य कई प्रकार के भी हैं जो एनपीए की श्रेणी में वर्गीकृत होते हैं परंतु आम लोगों से उनका सरोकार कम रहता है। परंतु आजकल एक योजना क्रेडिट कार्ड की है जो अधिकांश लोगों द्वारा उपयोग में लाई जा रही है। इसमें पचास दिनों तक बिना ब्याज के खरीददारी हेतु ऋण मिलता है। बैंक द्वारा निर्धारित तिथि तक यह ऋण चुकाना होता है। यदि निर्धारित तिथि से 90 दिनों के भीतर यह ऋण नहीं चुकाया जाता तो वह एनपीए में वर्गीकृत होता है एवं बैंक द्वारा क्रेडिट कार्ड की सुविधा बंद कर दी जाती है।

उपरोक्त जानकारी एनपीए क्यों होता है इसकी प्राथमिक जानकारी है। इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी होते हैं जिनसे खाते एनपीए होते हैं परंतु उनके विस्तार में जाने का यहां औचित्य नहीं है।

एनपीए का बैंक की आय एवं लाभप्रदता पर प्रभाव

ऋण खाता जिस दिन से एनपीए श्रेणी में आता है, उस दिन से बैंक उस पर ब्याज लगाना बंद कर देता है। सामान्यत: ऋण की स्कीम के अनुसार मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक या वार्षिक स्तर पर ब्याज लगाया जाता है। जो ब्याज लगाया जाता है उसे खाते में नामे कर बैंक की ‘ब्याज से आय’ खाते में जमा किया जाता है। इसका अर्थ हुआ कि बैंक जिस दिन से खाते को अनर्जक खाते में डालता है, खाते में ब्याज लगना बंद हो जाता है एवं बैंक की ब्याज से आय कम हो जाती है जिससे बैंक की लाभप्रदता प्रभावित होती है। बैंक का जो सकल एनपीए होता है उस पर भी बैंक को प्रावधान करना होता है और वह राशि भी बैंक के सकल लाभ में से कम होती है। बैंक भले ही अनर्जक आस्तियों पर ब्याज खाते को नामे नहीं करते हों परंतु उसकी गणना कर उसकी जानकारी रखी जाती है। वसूली होने पर उसे आय में शामिल किया जाता है।

एनपीए खातों में वसूली

कोई व्यक्ति यदि गंभीर रूप से बीमार हो जाए तो उसे अस्पताल में आईसीयू या आईसीसीयू में भर्ती कराया जाता है। वहां व्यक्ति की विशेष देखभाल की जाती है। खाते का वर्गीकरण एनपीए में करना अर्थात उस खाते की ओर विशेष ध्यान देने जैसा है। इन खातों में वसूली के लिए सामान्य प्रक्रिया के अंदर जो नोटीस इ. भेजे जाते हैं, ऋणी से प्रत्यक्ष संपर्क किया जाता है, वह तो किया ही जाता है परंतु इससे भी कोई अंतर न पड़ता हो तो ऋणी के जमानती से भी संपर्क किया जाता है। उसी प्रकार कानूनी कार्रवाई भी प्रारंभ की जाती है। छोटे ऋण खातों में शासन द्वारा नियुक्त वसूली तहसीलदार के माध्यम से वसूली के प्रयास किए जाते हैं जिसमें ऋणी की चल-अचल संपत्ति की जब्ती एवं नीलामी शामिल है। बड़े ऋण खातों में जहां ऋण राशि का बकाया ब्याज सहित दस लाख से कम होता है वहां अदालत में केस दायर कर डिक्री प्राप्त की जाती है एवं उससे ऋण वसूली की जाती है। दस लाख से अधिक बकाया (ब्याज सहित) के खातों में डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) अर्थात ऋण वसूली अधिकरण में दावा दायर कर वसूली की प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है।

वसूली का एक सरल उपाय समझौते के माध्यम से भी है। परंतु यह तभी किया जाता है जब ऋणी की संपत्ति जो बैंक में बंधक रखी है या अन्य संपत्तिया जो गिरवी नहीं रखी हैं, उनसे वसूली संभव नहीं हो। तब बैंक समझौते के लिए प्रयास करता है। यह वास्तव में मोलभाव वाली प्रक्रिया है। बैंक चाहता है कि उसे कम से कम नुकसान हुए बिना ऋण की राशि वसूल हो जाए, जबकिऋणी चाहता है कि उसे बकाया कम से कम देना पड़े। इसके लिए रिजर्व बैंक ने नियम बनाए हैं एवं उसी के अंतर्गत बैंकों को समझौते करने होते हैं। समझौते करने का मूल उद्देश्य होता है कि बैंक का पैसा जल्दी से जल्दी परिचालन में आ जाए एवं वसूली के लिए किए जाने वाले खर्चों से बचा जा सके।

वास्तव में विषय इतना विस्तृत है कि इसे 2-3 पन्नों में नहीं समेटा जा सकता। इस आलेख का मूल उद्देश्य है सामान्य जन को विषय एवं उसकी गंभीरता समझ में आ जाए एवं पता चले कि क्यों सरकार से लेकर बैंक  तक सभी इस विषय में गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं। आखिर सवाल बैंकों के लाभ, लाभप्रदता एवं इस लाभ में से सरकार को प्राप्त होने वाली राशि एवं देश विकास हेतु ऋणों के माध्यम से राशि उपलब्ध कराने का भी है।

 

 

विजय मराठे

Next Post
तीन तलाक के मुक्तिदाता मोदी

तीन तलाक के मुक्तिदाता मोदी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0