देश के उत्तर पूर्वीय आठ राज्यों के बीच एक छोटे से राज्य सिक्किम को ‘देश का स्वर्ग’ कहें तो कोई गलत नहीं होगा। सात बहनों असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश के बीच एक भाई के रूप में रहा। सिक्किम चारों तरफ से अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय सीमाओं से घिरा होने के बावजूद अति ही शांत प्रदेश है।
७०९६ वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला, समुद्री सतह से ५५०० फुट ऊंचाई पर स्तिथ इस छोटे से राज्य की जनसंख्या भी महज ६ लाख ही है। चार जिलों में बंटे सिक्किम प्रदेश के मुख्य प्रवेश द्वार-रंगपो, मल्ली और मझितार है। सबसे ज्यादा आवागमन रंगपो सीमा से होता है। यहां से सिक्किम की राजधानी गंगटोक महज ४० किलोमीटर है। यह मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग १० के नाम से जाना जाता है। सिक्किम में किसी भी सीमा से प्रवेश करते ही जन्नत में प्रवेश करने जैसा महसूस होता है। छोटी छोटी घुमावदार सड़कें, साफ़, सुन्दर और मृदुभाषी नागरिक ही इस राज्य की सबसे बड़ी खासियत है।
इससे बड़ी खासियत यहां का प्राकृतिक सौंदर्य है। सड़क किनारे तीस्ता और रंगीत नदी का सुंदर दृश्य और घने जंगलों के दृश्य के साथ छोटी-बड़ी झील का दृश्य अति ही लुभावना और मनमोहक होता है।
विगत २० वर्षोंं के भीतर सिक्किम ने पर्यटन में उल्लेखनीय विकास किया है। विशेष कर आध्यात्मिक पर्यटन की दिशा सिक्किम ने उल्लेखनीय प्रगति की है। दक्षिण जिले में सिद्धेश्वर धाम, तथागत स्थल के साथ साईं मंदिर, नामथांग स्थित नागी डांडा अति प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं। इसके साथ पूर्व जिले के पाण्डम् गड़ी में १५० फुट ऊंची मां काली की मूर्ति स्थापना के साथ रिनक में सिद्धि विनायक मंदिर का निर्माण कार्य और पूर्वाधार विकास कार्य तीव्र गति से चल रहा है। इसके अलावा पश्चिम सिक्किम के में ‘स्वर्ग की सीढ़ी’ का निर्माण कार्य चल रहा है। दक्षिण सिक्किम के ततोपानी नामक जगह है, जहां के बारे में विश्वास किया जाता है कि उस जगह के पानी से नहाने से सब प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं।
आध्यात्मिक नगरी दक्षिण सिक्किम नामची स्थित सिद्धेश्वर धाम और रबंगला स्थित तथागत स्थल का अपना अलग ही महत्व है। सिद्धेश्वर धाम में देश के चारों धामों का प्रारूप दिया गया है और उसी से कुछ दूर भगवान सामद्रूपसे की विश्व की १३५ फुट सब से ऊंची प्रतिमा स्थापित है।
दूसरी ओर रबंगला स्थित तथागत स्थल में भगवान बुद्ध की १५० फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित कर विश्व में इतिहास रचा गया है। इस वर्ष से भारत सरकार द्वारा मानसरोवर यात्रा के लिए सिक्किम राज्य से होकर मार्ग खोलना पर्यटकीय विकास में एक ‘मील का पत्थर’ साबित हुआ है। इस वर्ष पांच चरणों में २०० से ज्यादा यात्रियों ने सिक्किम की नाथुला सीमा से होकर मानसरोवर यात्रा का आनंद उठाया है।
धार्मिक दृष्टिकोण से सिक्किम का अपना अलग महत्व है। यहां सभी धर्मों को एक समान सम्मान दिया जाता है। सिक्किम सरकार ने सभी धर्मों की सुरक्षा के लिए पहल शुरू करते हुए अलग से धर्म और संस्कृति विभाग गठित किया है और सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। भारत में सिक्किम ही ऐसा राज्य है जहां इस तरह का कोई विभाग गठित किया गया।
इसके अलावा ऐसे कई रमणीय स्थल हैं जिससे सिक्किम को भारत का स्वर्ग कहे तो गलत नहीं होगा। पूर्व सिक्किम के छांगू पोखरी, भारत-चीन सीमा पर नाथुला दर्रा, उत्तर सिक्किम की यूमथांग घाटी, पश्चिम सिक्किम का पेलिंग जैसे कई स्थान हैं, जिसका अवलोकन करना स्वर्ग देखने के बराबर है। बौद्ध एवं ऐतिहासिक स्थानों के कारण प्रति वर्ष लाखों देशी विदेशी बौद्ध धर्मावलम्बी सिक्किम आते हैं।
भारत के इस छोटे से राज्य, जहां विधान सभा की महज ३२ सीटों के साथ लोकसभा और राज्यसभा की मात्र एक एक सीट है, की विशेषता यह है कि यह प्लास्टिक मुक्त, तम्बाकू मुक्त के साथ साथ कार्बन न्यूट्रल स्टेट है। यहां विगत वर्ष मारवाड़ी युवा मंच के द्वारा किए गए ‘से नो टू क्रैकर्स’ जागरूकता कार्यक्रम का असर यह रहा कि सिक्किम सरकार ने सिक्किम में पटाखों की बिक्री और प्रयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। आगामी दिसम्बर महीने तक सिक्किम सरकार के मुख्यमंत्री श्री पवन चामलिंग के दिशा निर्देशन में राज्य को पूर्ण जैविक राज्य बनाने की घोषणा करने जा रही है। इस ऐतिहासिक पल में भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं सिक्किम आ रहे हैं।
…तो आइये आप भी एक बार सिक्किम की सैर कीजिए और आनंद लीजिए आध्मात्मिक पर्यटन, प्राकृतिक सौन्दर्य और अतिथि देवो भव का।