हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
नफ़रत और युद्ध के बीच सद्भावना की कड़ी बन रही महिलाएं

नफ़रत और युद्ध के बीच सद्भावना की कड़ी बन रही महिलाएं

by हिंदी विवेक
in विशेष
0
किसी ने क्या खूबसूरत लिखा है कि, “हर दुःख-दर्द सहकर वो मुस्कुराती है,  पत्थरों की दीवार को औरत ही घर बनाती है।” लेकिन आज भी महिलाओं की स्थिति समाज में संतोषजनक नहीं और हम 8 मार्च को एक बार फ़िर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए एकत्रित हो रहें हैं। महिलाओं के साथ हो रहें दोयम दर्जे के व्यवहार को आप एक हालिया घटनाक्रम से भी जोड़कर देख सकते हैं। अभी बीते दिनों ही भारत और पाकिस्तान के बीच महिलाओं का क्रिकेट मैच हुआ। जिसमें जीत भारतीय महिलाओं की हुई, लेकिन वो शोर-शराबा हमारे समाज में देखने को नहीं मिला। जो माहौल हम पुरुष क्रिकेट टीम के जीतने पर देखते हैं। वैसे ये सिर्फ़ एक उदाहरण मात्र है और ऐसे हमारे समाज में अनगिनत उदाहरण मिल जाएंगे। जो महिलाओं के साथ हो रहें दोयम रवैये की पोल-पट्टी खोलते हैं, फिर भी आज बात कुछ सकारात्मक होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि महिलाएं भले सदैव समाज में एक सम्मानित स्थान पाने के लिए जद्दोजहद करती हो, लेकिन वो महिलाएं ही हैं। जो सदैव युद्ध और नफ़रत के बीच शांति और प्रेम का परचम लहराने का प्रयास करती हैं।
अब भारत और पाकिस्तान की महिला टीमों के बीच हुए बीते दिनों का मुकाबला ही उठाकर देख लीजिए। जहां पाकिस्तानी टीम की कप्तान बिस्मा मारूप अपनी छोटी सी बेटी को गोदी में लेकर जब क्रिकेट के मैदान पर आती हैं। उसके बाद भारतीय महिला खिलाड़ियों का दल उन्हें और उनकी बिटिया को घेर लेता है और जमकर नन्हीं सी बेटी के साथ सभी प्यार-दुलार करते हैं। जिसके विडियोज और फ़ोटोज़ अब सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहें हैं। ऐसे में एक बात स्पष्ट है कि भले सियासतदां दोनों मुल्कों के कितना भी दुश्मनी अदा कर लें, लेकिन जब बात इंसानियत और मानवता की आती है। फिर शत्रुता और वैमनस्यता उसके सामने टिक नहीं पाते। एक अन्य उदाहरण देखें तो अभी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। इसी बीच यूक्रेन की पूर्व मिस ग्रैंड इंटरनेशनल ने रूस के खिलाफ बंदूक उठाई और फैसला किया कि वो अपने देश के लिए रूस के खिलाफ लड़ेंगी, लेकिन उन महिलाओं के ख़िलाफ़ भी सोशल मीडिया पर काफ़ी अनाप-शनाप प्रचारित-प्रसारित किया जा रहा। जो अपने देश के अस्तित्व को बचाने के लिए उठ खड़ी हुई है। ऐसे में देखें तो यहां भी महिलाएं एक अलग प्रकार से ही समाज के निशाने पर हैं। फिर भी गौर करने वाली बात है कि मिस यूक्रेन एक ब्यूटी क्वीन रही हैं, लेकिन वक्त आने पर उन्होंने अपने स्वभाव के ठीक उलट जाकर अपने देश की रक्षा करने के लिए बंदूक उठाई और यह गुण कहीं न कहीं एक महिला के भीतर ही मिल सकता है।
बात अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की निकली ही है तो महिलाएं समाज का एक अहम हिस्सा हैं लेकिन वक्त के साथ महिलाएं समाज और राष्ट्र के निर्माण का भी एक अहम हिस्सा बन चुकी हैं। घर-परिवार से सीमित रहने वाली महिलाएं अब चारदीवारी से बाहर निकलकर अन्य क्षेत्रों की ओर बढ़ी हैं। खेल जगत से लेकर मनोरंजन तक और राजनीति से लेकर सैन्य व रक्षा मंत्रालय तक में महिलाएं न केवल शामिल हैं बल्कि बड़ी भूमिकाओं में हैं।इन सबके बावजूद अभी भी कुछ खामियां हैं हमारे समाज में जिन्हें दूर किए बिना महिला दिवस की सार्थकता सिद्ध नहीं की जा सकती और शायद यही वज़ह है कि इस बार के अंतरराष्ट्रीय महिला की थीम ‘जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो’ रखी गई है। वैसे देखें तो आज हमारे समाज में लैंगिक असमानता बहुत बढ़ गई है। जिसका परिणाम यह हुआ है कि वैश्विक आर्थिक मंच की अंतरराष्ट्रीय लैंगिक रिपोर्ट 2021 में हम 156 देशों की लिस्ट में 140 वें पायदान पर पहुँच गए हैं। ऐसे में बेटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ के दौर में  महिला समानता के दावों की पोल अपने आप खुलकर सामने आ रही है और रही- सही कसर कोरोना महामारी ने पूरी कर दी है। दुनिया में जब कोई विपत्ति या महामारी आती है। तब- तब महिलाओं को इसकी क़ीमत चुकानी पड़ती है और यह बात कोरोना काल पर भी लागू होती है। इस दौरान विश्व भर में लाखों महिलाओं ने अपनी जॉब खोई। अब सवाल यही उठता है कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में महिलाओं को ही क्यों जॉब से निकाला गया। विश्व भर में जब महिलओं के लेकर बात समता समानता की होती है तो यह बात धरातल पर क्यों नहीं दिखाई देती।
ऐसे में भले ही आज दुनिया के तमाम देश और हमारा समाज अधिक जागरूक बन गया है लेकिन महिलाओं के अधिकारों और हक की लड़ाई अभी भी जारी है और कई मामलों में महिलाओं को आज भी समान सम्मान और अधिकार नहीं मिले हैं। महिलाओं के इन्हीं अधिकार, सम्मान के लिए समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। वहीं एक आंकड़े की बात करें तो ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 कहती है कि विश्व भर में 35,500 संसदीय सीटों में महिलाओं का अनुपात सिर्फ 21.6 फीसदी ही है। इतना ही नहीं इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि 156 देशों में से 81 देश ऐसे है जहां उच्च राजनीतिक पदों पर कोई महिला नेता नहीं रही है और इसमें आश्चर्य की बात तो यह है कि अमेरिका, स्पेन, नीदरलैंड जैसे देश इसमें शामिल है। जहां लैंगिक भेदभाव ना के बराबर माना जाता है। हमारे देश में भी सक्रिय राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी बहुत कम ही देखी जाती है और 2018 के आर्थिक सर्वे में सभी विधानसभाओं में मात्र 9 फीसदी महिलाएं ही विधायक है। फिर आख़िर में सवाल एक ही है कि जब इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम भी ‘एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता’ रखी गई है तो क्या महिलाओं की दशा और उनके प्रति समाज की दिशा में बदलाव आएगा? या सिर्फ़ दिखावे की तरह ही महिला दिवस हर बार हम मनाते रहेंगे और समाज अपनी ढपली बजाते रहेगा?
                                                                                                                    सोनम लववंशी

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: #अंतरराष्ट्रीयमहिलादिवस #8मार्च

हिंदी विवेक

Next Post
राष्ट्रवादी तेवर

राष्ट्रवादी तेवर

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0