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हमारी इच्छाशक्ति को जंग लग चुका है

हमारी इच्छाशक्ति को जंग लग चुका है

by sonali jadhav
in कहानी, सामाजिक
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हमारी इच्छाशक्ति को जंग लग चुका है
ज्यादा सोशल मीडिया इस्तेमाल करने का एक दुष्प्रभाव ये भी है कि बड़े अजीब अजीब से सपने आते हैं.
उदाहरण के लिए अभी रात का सपना ही ले लें.
अभी सपने में मैं प्रभु महादेव के पास बैठा हुआ था और उनसे चर्चा कर रहा था.
चर्चा के दौरान मैंने प्रभु जी से शिकायती लहजे में कहा कि… हम हिंदू लोग इतना कष्ट सह कर आपकी पूजा करते हैं..
लेकिन, आप भी बड़के कोठा और राजनीतिक पार्टियों की तरह ही हमलोगों से बहुत भेदभाव करते हो.
तभी तो हमलोगों की एक इच्छा तक पूरी नहीं करते हैं.
जबकि, शास्त्रों के अनुसार आप तो सदियों से राक्षसों तक की इच्छा पूरी करते आये हैं.
तो, क्या हम लोग राक्षस से भी गए बीते हैं ??
मेरी बात सुनकर… भगवान आश्चर्यचकित हो गए और बोले… तुम लोगों की कौन सी इच्छा हमने पूरी नहीं की ???
तो, मैंने बताया कि… करोड़ों हिन्दुओं की भावना का मान रखते हुए आज तक आपने हिन्दुस्तान को हिन्दुराष्ट्र क्यों नहीं बनाया ???
मेरी बात सुनकर भगवान जी जोर से हँसे और मुझे अपने साथ चलने को बोला.
फिर , भगवान जी ने अपना रूप बदल कर मेरी ही तरह एक सामान्य मानव का रूप बना लिया और हम लोग धरती पर उतर गए…
धरती पर (हिन्दुस्तान में) उतरने के बाद भगवान जी मुझे लेकर 10 हिन्दुओं के पास गए और उनसे पूछा कि अगर उसकी एक पूछा तुरंत पूरी जाए तो फिर उसकी वो एक इच्छा क्या होगी… ???
तो पहले ने जबाब दिया : हमको तो आप एक अच्छी सी सरकारी नौकरी लगवा दो … बस.
इस पर मैंने आपत्ति दर्ज करते हुए भगवान जी से कहा कि… आपने जानबूझ कर एक बेरोजगार से पूछा इसलिए उसने ऐसा कहा.
किसी बुजुर्ग से पूछते तो वो दिल की बात बताता न…
तो, इसके बाद प्रभु ने एक बुजुर्ग से पूछा : अगर उसकी एक पूछा तुरंत पूरी जाए तो फिर उसकी वो एक इच्छा क्या होगी… ???
इस पर बुजुर्ग ने जवाब दिया कि : इस आरक्षण के कारण वे बहुत परेशान हैं क्योंकि उसके बेटे बेटी की नौकरी नहीं लग रही है.
इसीलिए… पहले तो इस आरक्षण को खत्म करो.
फिर अमीर ने इसी बात के जवाब में कहा : सरकार टैक्स बहुत लगा देती है.. किसी तरह ये टैक्स कम करवा दो.
तो, गरीब ने कहा : कहीं से कोई लॉटरी वगैरह लगवा दो.
वहीं, मध्यम वर्ग… अभी पैकेज्ड आटा, चावल, दही आदि पर टैक्स लगने से दुखी था और उसे हटवा चाहता था.
और… बहुसंख्यक आबादी ने सस्ते पेट्रोल, एक अच्छा घर, अच्छी नौकरी, एक सुंदर गर्ल फ्रेंड आदि की इच्छा व्यक्त की.
इसके बाद… मैंने अपना ब्रह्मास्त्र चलते हुए कहा…
प्रभु… आप ई सबको छोड़ो…
हमारे सोशल मीडिया में मौजूद लोगों से पूछो..
वहाँ तो सभी मोदी से नाराज रहते हैं कि उसने अभी तक देश को हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं बनाया.
और, सोशल मीडिया पर भी करोड़ो हिन्दू हैं जो दिन भर आपका जयकारा लगाते हैं..
तो, वे तो पक्का हिन्दू राष्ट्र की इच्छा व्यक्त करेंगे.
तो, प्रभु ने मुझे तिरछी नजरों से देखते हुए मुस्कुराए और सोशल मीडिया के लोगों से पूछना शुरू किया.
तो, एक ने कहा कि… हिन्दू राष्ट्र बने न बने… हमको तो मठाधीश बना दो बस.
इतना कम लाइक शेयर देख कर बेइज्जती लगती है.
तो, दूसरे ने एक सुंदर गर्ल फ्रेंड की इच्छा जाहिर की.
तीसरे ने बताया कि… पहले हम मठाधीश थे… अब उस फलनवा को कैसे बना दिये, पहले उसको हटाओ वहां से.
इसी तरह… सब ने अलग अलग इच्छाएं व्यक्त की और कुल मिलाकर सबका सार यही रहा कि… मैक्सिमम लोगों ने बताया कि हिन्दू या मुसरिम राष्ट्र नहीं..
बल्कि, वे वही लिखते हैं जिनमें उन्हें अधिकाधिक लाइक्स और शेयर मिलने की संभावना होती हो.
भले ही उसमें कोई सच्चाई हो या न हो.
उसके बाद भगवान जी बोले कि… चलो, अब मैं एक और चीज दिखाता हूँ..
फिर , वे मुझे लेकर मुसरिम बस्ती में गए और एक मियांइन को पूछे कि… तुमको तो इस गर्मी में भी बुरका पहन के रहना होता है,
गाहे बगाहे हलाला होते रहता है.
10-20 बच्चे पैदा करने पड़ते है.
तो, आज मैं तुम्हारी एक इच्छा पूरी कर देता हूँ … बोलो कि क्या चाहिए ?
इस पर मुल्ली बोली : या हल्ला, हमको अगर कुछ देना है तो बस इस हिन्दोस्तान को पिस्लामिक मुल्क बना दो.
उसी तरह… एक पंचर वाले से उसकी दुर्दशा का जिक्र करने के बाद जब उसकी कोई इच्छा पूछी गई तो उसने भी… पिस्लामिक मुल्क की ही इच्छा जताई.
एक फुरफुरी दाढ़ी वाले मरणासन्न कटेशर ने भी अपने मरने से पहले भारत को एक पिस्लामिक मुल्क के रूप में देखने की इच्छा जताई.
और, बच्चे ने भी … अपनी पूरी जिंदगी पिस्लामिक मुल्क में गुजारने की इच्छा जताई.
अब भगवान जी ने मुझे सवालिया नजर से देखा…
लेकिन, तब तक मेरा मुँह लटक चुका था.
और, मैं कुछ बोलने की स्थिति में नहीं था.
फिर , प्रभु महादेव ने मुझे समझाया कि…
तुमने अपने लोगों की प्राथमिकता देख ली..
और, उनके लोगों की भी प्राथमिकता खुद अपनी आंखों से देख ली.
फिर भी… आजतक हिन्दुस्तान में तुम लोग बहुसंख्यक बने हुए हो और चैन से जी खा रहे हो.
ये मेरी ही कृपा है.
इसके बाद भगवान जी अंतर्ध्यान हो गए और अपने लोगों की सोच रूपी कड़वी सच्चाई जानने के बाद मेरी भी नींद उचट गई.
फिर भी… कभी आरक्षण का..
तो, कभी सस्ते प्याज का,
कभी सस्ते पेट्रोल का
तो, कभी परमानेंट नौकरी का
और, कभी… 1-2 रुपया बढ़े महंगे पैकेज्ड दही की लड़ाई लड़ते हिन्दुओं को देखकर मुझे अपने सपने पर पूरा भरोसा है कि वो कोई सपना नहीं था.
जय महाकाल…!!!
Kumar Satish

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