
कहा जाता है कि इस दिन माता पार्वती सैकड़ों वर्षों की तप- साधना के बाद भगवान् शिव से मिली थीं। मान्यताएं यह भी है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था, लेकिन फिर भी माता को पति के रूप में शिव प्राप्त न हो सके। ऐसे में 108वीं बार माता पार्वती ने जब जन्म लिया तब श्रावण मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को भगवन शिव पति रूप में प्राप्त हुए। तभी से इस पर्व को मनाया जाता है। इस अवसर पर जो सुहागन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके शिव -पार्वती की पूजा करती हैं उनका सुहाग लम्बी अवधि तक बना रहता है। इसके साथ ही कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं और ऐसी मान्यताएं हैं कि उन्हें इस व्रत के करने से मनचाहा योग्य वर की प्राप्ति होती है।
इस दिन लोकगीत गाने की रही है परम्परा
झुला झूल रही सब सखियाँ, आई हरियाली तीज, राधा संग में झूलें कान्हा झूमें अब तो सारा बाग़। ये एक लोकगीत की पंक्ति है। जिसे हरियाली तीज के अवसर पर महिलाओं द्वारा समूह में गाया जाता है। वैसे सावन का महीना ही इतना खूबसूरत होता है कि सुर अपने आप कंठ से निकल पड़ते हैं। तभी तो हिंदी सिनेमा में एक गीत है सावन का महीना, पवन करें शोर। कहने का आशय यह है कि सावन का महीना ही ऐसा है कि सब तरफ रोमांच का माहौल बन जाता है और हरियाली-खुशहाली का माहौल निर्मित हो जाता है। वही जब बात हरियाली तीज की हो। फिर तो बात ही कुछ अलग है, क्योंकि सावन में प्रकृति अपना रूप-रंग ही नहीं बदलती, हमारा जीवन भी बदलता है और इसी सुहानी ऋतु में ही आता है हरियाली तीज।
हरियाली तीज पर हरे रंग का महत्व
हरियाली तीज पर हरे रंग का खास महत्व होता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और हरे रंग के कपड़े पहन कर पूजा करती हैं। हरा रंग शुभता का प्रतीक होता है। हिंदू धर्म में भी हरे रंग को शुभ माना गया है इसलिए हरियाली तीज पर सोलह श्रृंगार में हरे रंग का इस्तेमाल किया जाता है। हरा रंग यौवन का रंग है, सावन हरियाली का महिना है। इसलिए इस माह में हरा रंग पहना जाता है।
पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं महिलाएं
हिन्दू धर्म में हर पर्व का अपना एक अलग महत्व और उससे जुड़ी कहानी है। ऐसी ही कुछ कहानी हरियाली तीज की भी है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति के अखंड सौभाग्य के लिए सोलह श्रृंगार करती हैं, क्योंकि इसे अखंड सौभाग्य की निशानी मनाते हैं। पति की खुशहाली, तरक्की, सेहत और दीर्घायु ही एक पतिव्रता स्त्री की पहली प्राथमिकता होती है। ऐसे में महिलाएं इस दिन सोलह श्रृंगार करके उपवास के माध्यम से अपने पतियों के लिए मां पार्वती और भगवान शिव से आशीर्वाद मांगती हैं।
रिश्तों में नई ताज़गी भरने का अनूठा पर्व
सावन और हरियाली तीज का आपस में बहुत गहरा नाता है। किसी ऋतु और त्योहार का ऐसा संगम शायद ही देखने को मिलता है। स्त्री जीवन में इस संगम का बहुत महत्व है, क्योंकि जहां एक तरफ सावन की हरियाली हमारे भीतर नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करती है, वहीं हरियाली तीज का अपना एक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। तीज पर महिलाएं शिव-पार्वती की आराधना करके अपने मंगलमय दांपत्य जीवन की कामना करती हैं। तीज न सिर्फ सुखी दांपत्य जीवन की कामना का पर्व है, बल्कि पूरे परिवार के सुखमय जीवन का भी पर्व है। तीज के अवसर पर घर की बहन बेटियां अपने मायके आ जाती है, साथ ही मोहल्ले की सभी महिलाएं भी एक जगह एकत्र होकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। ऐसे में यह पर्व एक-दूसरे को जोड़ने का भी माध्यम है और इससे आपसी रिश्तों में नई ताजगी आती है।
-सोनम लववंशी