न्यू यॉर्क टाइम्स में एक कॉलम इंच के ब्लैक ऐंड वाइट ऐड की कीमत 1196 डॉलर (लगभग 95,500 रुपये) है। और इस तरह के ऐड सामान्य तौर पर अंदर के पेजों पर छापे जाते हैं, फ़्रंट पेज के लिए निश्चित ही यह कीमत कुछ और ज़्यादा होगी।
फिर भी, अगर इसी कीमत पर चलें, तो 22 इंची लंबाई वाले इस न्यूजपेपर का ऊपर का 5 इंच मास्टहेड का निकाल दीजिए और साइड के दो कॉलम निकाल दीजिए तो फ़्रंट पेज के बीच के चार कॉलम में अरविंद केजरीवाल का ऐड निकला है। अब हिसाब लगाइए कि 17 इंची 4 कॉलम में छपे इस ऐड की कीमत क्या होगी। तो इस इंटरनैशनल ऐड पर केजरीवाल जी ने 81328 डॉलर (लगभग 65 लाख रुपये) खर्च किए हैं। और सेम ऐसा ही ऐड इन्होंने खलीज टाइम्स में भी दिया है। हालांकि, उसमें ये ऐड अंदर के पन्ने पर है लेकिन फुल पेज है।

मतलब एक करोड़ तो इन्होंने एक दिन में ही लुटा दिए हैं। आम आदमी की ये रईसी देखकर भी अगर आप ये पूछने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं कि अच्छे दिन कहां हैं, तो लानत है आप पर।
मार्केटिंग का धूर्त
अरविंद केजरीवाल जिस न्यूयॉर्क टाइम्स (और ख़लीज टाइम्स भी) में आम आदमी पार्टी के कथित शिक्षा मॉडल की तारीफ में खबर छपने को उपलब्धि बता रहे हैं, वह भी वास्तव में एक घोटाला है।
दोनों अखबारों में एक ही लेखक/रिपोर्टर करण दीप सिंह (Karan Deep Singh) के नाम से समान खबर छपी है, जिसमें छपी तस्वीरें भी समान हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स में तो आम आदमी पार्टी के बारे में करण दीप सिंह के नाम से और भी पॉजिटिव खबरें दिखाई दे रही हैं। 18 अगस्त को जहां अखबार में खबर छपी है, वहीं 16 अगस्त को अखबार की वेबसाइट पर भी खबर छपी है। उसमें भी वही तस्वीरें हैं, जो ख़लीज टाइम्स में छपी हैं।

दरअसल, आजकल पीआर एजेंसियां पैसे लेकर एक साथ कई अखबारों में खबरें छपवा दिया करती हैं। यह पूरी दुनिया में भ्रष्ट होते मीडिया की भी कहानी है। पेड न्यूज अब एक यूनिवर्सल बुराई है।
भारतीय मीडिया तो विज्ञापन के लालच में खुलेआम अरविंद केजरीवाल का पेड न्यूज, प्रोपगंडा न्यूज और फेक न्यूज छापता/दिखाता रहता है।