क्या भूत-प्रेत महज मनोविज्ञान की उपज है ?

कल मैंने एक छोटी सी पोस्ट से समझाने का प्रयास किया था कि भूत-प्रेत महज मनोविज्ञान की उपज है.
अगर वे होते भी होंगे तो उनका होना या न होना बराबर है क्योंकि वे न तो किसी जीवित इंसान को दिख सकते हैं, न बात कर सकते हैं..
और, न ही किसी तरह का लाभ या हानि पहुंचा सकते हैं.
क्योंकि, किसी भी एंगल से देखा जाए तो बहुत एक ऊर्जा अथवा हवा से ज्यादा कुछ नहीं है.
मेरे इस पोस्ट पर विद्वान मित्रों ने तरह-तरह की प्रतिक्रिया दी..
जिसमें से बहुतायत प्रतिक्रिया इससे संबंधित थी कि… भूत-प्रेत वास्तव में होते हैं..
और, उन्होंने खुद उसे देखा है, महसूस किया है तथा उनके कारनामे देखे हैं.
साथ ही… कुछेक मित्रों ने तो इस भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने वाली संस्था एवं व्यक्तियों का भी नाम बताया.
सच बताऊँ तो… अपने विद्वान मित्रों के ऐसे अनुभव को सुनकर आज मैं बहुत भावविह्वल हूँ और और अपनी नादानी पर आंखों में पानी के आंसू आ गए.
क्योंकि, कुछ विद्वान मित्रों ने ये भी बताया कि… भूत को अपना शरीर नहीं होता है लेकिन सिद्ध पुरुष तंत्र-मंत्र से उसे दूसरों के शरीर में प्रविष्ट करवा कर उनसे मनचाहा काम करवा सकते हैं.
इसीलिए… मैं अपने मित्रों के भूतों का सम्मान करते हुए…. अपने भूतदेखू मित्रों से आग्रह करता हूँ कि वे मेरा थोड़ा मार्ग दर्शन करें ताकि मैं भूतों के सम्बंध में बोल्ड हो सकूँ..
1. कहा जाता है कि जब मुहम्मद बिन कासिम पहली बार भारत आया था तो उसने हजारों लाखों हिनूओं का कत्लेआम किया था..
एवं, बहन-बेटियों को अपमानित किया था.
तो, तरीके से… उन सभी हजारों लाखों हिनूओं की अकालमृत्यु ही हुई थी और जाहिर सी बात है उसमें से कम से कम एक दो लोग भी भूत-प्रेत तो बने ही होंगे.
तो, बदले की आग में जल रहे उस भूत ने मीर कासिम के पेट में छुरा क्यों नहीं घोंप दिया…?
या फिर… किसी मियें के शरीर में घुस के उसी से क्यों नहीं घोपवा दिया..?
2. शायद वे पुरातन काल के भूत थे इसीलिए सीधे सादे थे.
लेकिन, जब अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला किया और उस कारण हजारों वीर योद्धा वीरगति को प्राप्त हो गए..
तथा, महारानी पद्मावती ने अपने 16000 राज परिवार की महिलाओं के साथ जौहर कर लिया..
तो, उसमें से भी एक भी भूत-प्रेत बनकर उस नराधम खिलजी से बदला क्यों नहीं ले पाए ??
या हमारे… हमारे तांत्रिकों ने ही किसी भूत-प्रेत का आह्वाहन कर खिलजी को क्यों नहीं मरवा दिया.
3. इसी तरह जालियांवाला बाग, नौआखली का डायरेक्ट एक्शन प्लान, मोपला कांड, 1947 की विभीषिका जैसे अनेकों उदाहरण हैं जिसमें लाखों लोग असमय ही मृत्यु को प्राप्त हो गए लेकिन एक भी व्यक्ति/महिला भूत अथवा प्रेत या फिर चुड़ैल बनकर दुश्मनों को मारना तो दूर डरा तक नहीं सका.
इसमें ये भी हो सकता है कि वे सब गुलामी के दौर के भूत थे इसीलिए उन्हें ये सब करना सूझा ही नहीं होगा.
लेकिन, आज तो हम सबकूछ जानते हैं..
और , प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाने वाले सिद्ध पुरुषों को भी जानते हैं.
तो, जाहिर सी बात है कि… जो सिद्ध पुरुष भूत-प्रेत से छुटकारा दिलवा देते हैं उन्हें किसी को पकड़वाने का भी तरीका मालूम होगा.
या… पकड़वाने का तरीका न मालूम हो तो न सही..
कम से कम उन्हें वश में करके अपना मनपसंद काम करवाने या मनपसंद बात बुलवाने का तो तरीका मालूम होगा ही.
सिर्फ इतना ही नहीं…. सियाचिन जैसे -70 डिग्री की कठिन परिस्थिति में हमारे वीर सैनिक जो पहरा देते हैं..
उनकी जगह हम तंत्र-मंत्र से दो-चार भूत या भयानक वाला प्रेत ही तैनात कर देते हैं ताकि जैसे ही कोई दुश्मन सेना हमारे देश की तरफ बढ़ने की कोशिश करे तो… हमारा अभिमंत्रित भूत या भयानक वाला प्रेत झपट कर उसे पकड़ ले..
इसी तरह… विदेशी दौरों के समय कूटनीति और राजनीति के फालतू चक्कर में पड़ने से बेहतर क्या ये नहीं होगा कि..
हम साथ में दो-चार भूत-प्रेत ही लेकर जाएं और अमेरिका-इंग्लैंड-चीन-पाकिस्तान आदि के राष्ट्राध्यक्ष को उस भूत से पकड़वा दें तथा मनमाने दस्तावेज पर साइन करवा दें.
जब हमारे पास इतनी दिव्य शक्ति सदियों से मौजूद है…जो न किसी को दिखाई देती है, न सुनाई देती है..
लेकिन, इंसान के अंदर घुस कर उस पर कंट्रोल कर सकती है..
साथ ही… ऐसी दिव्य शक्तियों को कंट्रोल वाले 1-2 सिद्ध पुरुष लगभग हर शहर में तो मौजूद रहते ही हैं.
तो, फिर ऐसी दिव्य शक्तियों द्वारा… सिर्फ लाइट ऑन-ऑफ करवाना, दरवाजे पटकवाना, खिड़की खुलवाना, किसी को साइकिल से धकेल देना, रात में पलंग को उठवा देना, या दुश्मन को छत से धकेल देना जैसे टुच्चे काम की जगह देशहित में बड़े बड़े काम क्यों न करवाये जाएँ ???
मेरे हिसाब से तो… देश के टॉप लोगों को तो अक्ल ही नहीं है जो अपने दिव्य शक्ति वाले ऐसे संसाधनों का उचित प्रयोग करने की जगह उनसे ऐसे टुच्चे काम करवा रही है.
आखिर , फिफ्थ या सिक्स्थ जेनरेशन के लड़ाकू जहाजों की जरूरत ही क्या है ?
दू गो भूत को हाथ में बम दे के भेजो..
हमारे वही भूत उड़ते हुए जाएँगे…
और, दुश्मन देश के राष्ट्राध्यक्ष के खटिया के नीचे वो बम रख कर आ जाएंगे.
किस्सा खत्म..!
क्योंकि, आजतक दुनिया में कहीं भी भूत देखू राडार थोड़े न बना है कि वे हमारे भूतों को डिटेक्ट कर लेंगे ??
-भास्कर झा

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