भगवा से नफरत की राजनीति पर केरल हाईकोर्ट की रोक

भारत में छद्म धर्मनिरपेक्षता की राजनीति करने वाली जमात, सनातन धर्म में त्याग के प्रतीक भगवा रंग से भी नफरत करती है, इसीलिए वर्षों तक भगवा आतंक की झूठी कहानी गढ़ने का प्रयास हुआ और उसमें असफल रहने के बाद अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के भगवा कपड़ों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करने से लेकर फ़िल्मी पर्दे पर अभिनेत्री को भगवा रंग की बिकनी पहना कर उसे बेशर्म रंग कहकर कुंठा निकाली जा रही है।

इसी बीच भगवा से नफरत और उसके खिलाफ विकृत राजनीति पर सबसे बड़ी खबर केरल से आई है जहां वामपंथी सरकार राज्य में भगवा रंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का षड्यंत्र रच रही थी लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद व स्थानीय हिंदू संगठनो की जागरूकता के कारण इसका भांडा फूट गया। दक्षिण के राजनैतिक विष्लेषकों का अनुमान है कि जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है, राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रभाव क्षेत्र बढ़ रहा है तथा विश्व हिंदू परिषद व अन्य हिंदू संगठनों की सक्रियता बढ़ने के कारण केरल में घर वापसी अभियान का प्रभाव दिखने लगा है। अब लोग अपने मूल हिंदू धर्म और हिंदुत्व के प्रति फिर से आकर्षित हो रहे हैं । वामपंथ के प्रति झुकाव तेजी से कम हो रहा है और अब कम लोग वामपंथ में शामिल हो रहे हैं जिसके कारण वामपंथियों के मन में अपने अस्तित्व के लिए भय व्याप्त हो रहा है।

विगत विधानसभा चुनावों में केरल में भले ही भाजपा का खाता न खुला हो लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैलियों में भीड़ आ रही थी अब वह लोकप्रियता और बढ़ गई है। स्वाभाविक है वामपंथी घबराहट में आ गये हैं और यही कारण है कि अब वे हिंदुत्व के प्रतीकात्मक रंग भगवा रंग विरुद्ध भी षड्यंत्र कर रहे हैं। विष्लेषकों का अनुमान है कि केरल का वामपंथ भगवा के खिलाफ जितनी नफरत फैलायेगा केरल में भगवा की लोकप्रियता उतनी ही बढ़ती जाएगी और अगले 5 से 10 साल मे वहां पर भाजपा सत्ता में होगी।

असली विवाद – केरल के तिरुअनंतपुरम में मेजर वेल्लयानी भद्रकाली देवी मंदिर और पुलिस प्रशासन के बीच एक बड़ा विवाद हो गया था, जिसका कारण था वामपंथी प्रशासन द्वारा मंदिर प्रबंधन को यह निर्देश जारी किया जाना कि स्थानीय कालीयूट्टू पर्व के समय मंदिर में भगवा रंग से सजावट करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। मंदिर प्रबंधन को किसी और तथा तटस्थ रंगों से मंदिर की सजावट करनी होगी। मंदिर पक्ष इस विषय को लेकर कोर्ट चला गया।

इस विवाद पर केरल हाईकोर्ट के जज जस्टिस अनिल के. नरेंद्रन और जस्टिस पी. अजीत कुमार ने एक बड़ी टिप्प्णी के साथ व्यापक आदेश जारी करते हुए कहा है कि जिला और पुलिस प्रशासन इस बात को लेकर कतई दबाव नहीं बना सकते कि मंदिर के किसी आयोजन में सिर्फ राजनैतिक रूप से तटस्थ निरपेक्ष रंगों का ही इस्तेमाल किया जाए। प्रशासन ने मंदिर बोर्ड को दिए निर्देश में कहा था कि कलीयूट्टू पर्व के लिए सिर्फ भगवा रंग से सजावट की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे किसी अन्य धर्म के लोगों की भावना को ठेस पहुंच सकती है।

कोर्ट ने कहा कि, “पूजा अर्चना, मंदिर के महोत्सवों में राजनीति की कोई भूमिका नहीं हो सकती। एक पूजा करने वाले या भक्त के पास कोई कानूनी अधिकार नहीं होता कि वह मंदिर को चलाने वाले बोर्ड पर भगवा रंग के इस्तेमाल के लिए कोई दबाब बनाए।इसी तरह जिला या पुलिस प्रशासन भी मंदिर के आयोजन में राजनीतिक रूप से तटस्थ रंगों के उपयोग का कोई दबाव नहीं बना सकता। यह त्रावणकोर देवस्थान बोर्ड का निर्णय होगा कि मंदिर में कलीयुटटू पर्व में परंपरा और मान्यता के अनुसार कौन सा रंग प्रयोग करना है। हां, यदि आशंका है कि मंदिर परिसर या इसके आसपास कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा है तो प्रशासन केवल कानून व्यवस्था नियंत्रित रखने के लिए कदम उठा सकता है।”

केरल हाईकोर्ट का यह फैसला मंदिर प्रबंधन और भगवा रंग के इस्तेमाल करने के पक्ष में आया। वास्तव में प्रशासन का निर्देश मुस्लिम तुष्टिकरण की एक अनोखी साजिश थी जो बेनकाब हो गई है किन्तु वामपंथी तथा अन्य छद्म धर्मनिरपेक्ष यहाँ रुकने वाले नहीं है अब वे भगवा के विरुद्ध युद्ध में सामाजिक वातावरण बिगाड़ने का प्रयास करेंगे। दो दिन पहले ही झारखंड के पलामू जिले में महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान शिव की शोभायात्रा के स्वागत के लिए भगवा रंग का तोरणद्वार लगाया गया था जिसको लेकर मुस्लिम समाज के लोगों आपत्ति की और उसे तोड़कर फेंक दिया साथ ही स्थानीय मस्जिद से पत्थरबाजी की गई जिसके कारण वहां पर दंगे जैसी स्थिति बन गई और हालात अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं । पलामू में मुस्लिम जनसंख्या अधिक है और झारखंड की सोरेन सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण की रणनीति पर अमल कर रही है क्योंकि सोरेन सरकार को भी भगवा रंग और हिंदुत्व से नफरत है।

भगवा रंग के खिलाफ नफरत की राजनीति करने वाले दलों को केरल हाईकोर्ट ने सटीक उत्तर दे दिया है। भगवा रंग तो हमारे तिरंगे में भी है क्या नफरती लोग कल तिरंगे से भी भगवा को निकाल देंगे । अग्नि की ज्वालाओं और उगते हुए सूर्य का रंग है भगवा, जो सृष्टि की रचना काल से है। यह सृजन और उर्जा का प्रतीक रंग है । त्याग और बलिदान का प्रतीक रंग है । उत्सर्ग का रंग है भगवा ऐसे रंग से आपत्ति और घृणा? सम्पूर्ण भारतीय वांग्मय भगवा से ओत-प्रोत है रामायण और महाभारत में भी इसके महत्व की चर्चा है।महाभारत युद्ध में अर्जुंन के रथ पर भगवा झंडा ही विराजमान था । स्वतंत्रता के बाद भारत का ध्वज भी भगवा ही होता किन्तु जवाहर लाल नेहरू की अदूरदर्शिता के कारण ऐसा हो न सका।

आज सनातन समाज को केरल हाईकोर्ट को धन्यवाद देना चाहिए कि उसने भगवा रंग के खिलाफ वामपंथी साजिश को विफल कर दिया है और साथ ही आगे की बड़ी लड़ाई के लिए अपने को तैयार करना चाहिए ।

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