कांगड़ा चाय को मिला GI टैग

GI मुख्य रूप से एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पादों, हस्तशिल्प और औद्योगिक वस्तुओं के लिए दिया जाता है। इसके अलावा ये टैग इस वजह से दिया जाता है, ताकि प्रोडक्ट को लेकर उस भौगोलिक क्षेत्र को कानूनी अधिकार मिल सके। टैग मिलने से अब लोगों में कांगड़ा चाय को लेकर जागरुकता बढ़ेगी, जिससे साफतौर पर इसकी बिक्री में बढ़ोतरी होगी।

इस टैग के मिलने से कांगड़ा चाय के व्यापार से जुड़े लोगों में खुशी का माहौल है। ये टैग कांगड़ा चाय को यूरोपीय बाजार में प्रवेश करने का अवसर प्रदान करेगा। इससे पहले 2005 में इसे भारत का जीआई टैग मिला था। स्थानीय लोगों की मानें तो 1999 से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा क्षेत्र में चाय की खेती और विकास में लगातार सुधार हुआ है।

वहीं EU एग्रीकल्चर ने ट्वीट कर लिखा कि आज हमने भारत से एक नया जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्टर किया है। कांगड़ा चाय पश्चिमी हिमालय में धौलाधार पर्वत श्रृंखला की ढलानों पर समुद्र तल से 900-1400 मीटर ऊपर उगाई जाती हैं। इसका स्वाद काफी बेहतरीन होता है।

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