मुंबई में स्टॅम्प विक्रेता अतिरिक्त स्टॅम्प नियंत्रक मुंबई के अन्यायपूर्ण एवं अवैध कार्यालय आदेश का विरोध कर रहे है। नए आदेश में स्टॅम्प प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को शारीरिक रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता अवैध है और अब स्टॅम्प प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को स्टॅम्प विक्रेता के पास जाना होगा। यह आदेश मुंबई तक सीमित है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस मामले को लेकर सरकार से शिकायत की है। आंदोलन की स्थिति में मुंबई में स्टॅम्प मिलना असंभव होगा।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री को भेजे लिखित बयान में विस्तार से जानकारी दी है कि वर्ष 1982 से लाइसेंस जारी होने के बाद से कार्यालय में निर्देशानुसार यही प्रक्रिया अपनाई जा रही थी. आज भी उसी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। स्टॅम्प व्यवसायी द्वारा खण्ड 8 में निर्धारित नियमों के अनुसार स्टॅम्प व्यवसायी के हस्ताक्षर अथवा अंगूठा लिया जायेगा। लेकिन अधिकारियों ने जानबूझकर ऐसे आदेश जारी किए हैं जिससे मुंबई में लाइसेंस धारकों को परेशानी हुई है और स्टॅम्प लेने जाने वाले नागरिकों को भी। इस नए आदेश के कारण कल आम नागरिकों, वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों, मंत्री महोदय या अन्य किसी बड़े व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से जाकर मुहर लगवानी होगी।
स्टॅम्प डीलर्स यूनियन, मुंबई के अध्यक्ष अशोक आर कदम का कहना है कि 21 फरवरी 2023 के सर्कुलर में बनाए गए नियम स्टॅम्प एक्ट के दायरे में नहीं हैं। साथ ही जनप्रतिनिधियों के माध्यम से निजी व्यक्तियों को स्टॅम्प न बेचने की भी परिपत्र में कहीं भी कोई शर्त (नियम) नहीं है। कदम ने आगे कहा कि लाइसेंस धारक का ऑनलाइन कागज बेचने से कोई लेना-देना नहीं है और जो लोग निजी तौर पर ऐसा कर रहे हैं उनके खिलाफ पूरी कार्रवाई करने का अधिकार सरकार के पास है। कार्यालय आदेश में विसंगति है जबकि जनहित याचिका 5/2022 को लेकर राज्य सरकार का स्पष्ट रूख है कि होम डिलीवरी के लिए ऑनलाइन संस्था को स्टॅम्प पेपर भेजना, स्टॅम्प अनुज्ञप्तिधारी द्वारा ऐसी कोई सेवा नहीं दी जा रही है.
एक मामले में राज्य सरकार द्वारा मुंबई हाईकोर्ट में दायर हलफनामे में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि वर्तमान नियम के प्रावधानों के तहत स्टॅम्प खरीदने वाला व्यक्ति या संस्था किसी अन्य के माध्यम से अपना स्टॅम्प खरीद सकता है। अब कार्यालय आदेश में विसंगति है। अनिल गलगली का कहना है कि उक्त कार्यालय आदेश में जो बातें प्रस्तुत की गई हैं, वे लाइसेंस धारक के कार्य में विसंगतियां हैं और इस कार्यालय आदेश को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
मुंबई तक सीमित कार्यालय आदेश जारी करने का क्या औचित्य है? अनिल गलगली ने मांग की है कि इस मामले की जांच कर अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।