प्रकृति का आनंद तभी सुखद होता है जब आप सुरक्षा के पायदान पर खड़े हों। चार महीने तक चलने वाले इस मौसम का लुत्फ बच्चे भी उठाते हैं। बारिश की बूंदों को देखकर वे खुश होते हैं, अपने दोस्तों व भाई- बहनों के साथ कागज की कश्ती को पानी में चलाते हुए मचलते हुए दिखाई देते हैं। यहां तक कि बारिश के आनंद के साथ कई तरह की संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर बना होता है। डायरिया, पेचिश, टाईफाइड और पाचन से सम्बंधित परेशानियां सामने आती हैं।
मौसम ने करवट बदली और शुरुआत हुई बरसात की। बारिश के इस मौसम में प्रकृति अपना असीम सौंदर्य बिखेरती है। प्रकृति के गोद में खेलती हैं नदियां, झीलें और कई जलप्रपात। वैसे देखा जाए तो बारिश से मन का रिश्ता बहुत गहरा होता है। इस मौसम में प्रकृति का मनोरम दृश्य व वर्षा ऋतु की बौछारों को देखकर मन में एक नई उमंग, नया तरंग और एक नया उल्लास होता है। मेढ़कों की टर्र-टर्र, पक्षियों की चहचहाट, झरने की कल-कल की आवाज कानों में अमृत घोलते हैं।
भारत में वर्षा ऋतु एक बेहद ही महत्वपूर्ण ऋतु है। वर्षा ऋतु आषाढ़, श्रावण तथा भादों मास में मुख्य रूप से होती है। अर्थात जून महीने में शुरु होती है और सितंबर के आखिर तक रहती है। इन दिनों मौसम की बरसात के साथ ही कहीं मूसलाधार बारिश तो कहीं रिमझिम फुहार हो रही है। कहीं जनजीवन अस्त-व्यस्त तो कहीं मौसम का आनंद लेते, जलप्रपातों का नजारा देखते लोग मस्ती में डूबे-डूबे दिखाई पड़ रहे हैं। इस मस्ती में सैलानियों के कदम भी फिसल रहे हैं। बीच, झील और झरनों के बीच सेल्फी और रील्स बनाने की होड़ में वे जान गवां रहे हैं। आपको इस तरह की घटनाएं आए दिन सुनाई दे रही होंगी। अभी हाल ही में पुणे के भुशी डैम में एक ही परिवार के पांच लोगों की मृत्यु हो गई। पूरा परिवार बारिश का आनंद लेने इस डैम में आया था। पानी के बीच बहाव में वो लोग सेल्फी और रील्स बना रहे थे। ऐसे में उनको इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि पानी का बहाव अचानक इतना तेज हो जाएगा। फिर क्या था! पूरा का पूरा परिवार इस तेज बहाव में बह गया और सभी लोग काल के गाल में समां गए।
प्रकृति का आनंद तभी सुखद होता है जब आप सुरक्षा के पायदान पर खड़े हों। चार महीने तक चलने वाले इस मौसम का लुत्फ बच्चे भी उठाते हैं। बारिश की बूंदों को देखकर वे खुश होते हैं, अपने दोस्तों व भाई- बहनों के साथ कागज की कश्ती को पानी में चलाते हुए मचलते हुए दिखाई देते हैं। यहां तक कि बारिश के आनंद के साथ कई तरह की संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर बना होता है। डायरिया, पेचिश, टाईफाइड और पाचन से सम्बंधित परेशानियां सामने आती हैं।
इन दिनों सभी पेड़ और पौधे नई हरी पत्तियों से भर जाते हैं। पेड़ों पर टुसे लगने शुरु हो जाते हैं। उद्यान और मैदान सुंदर दिखाई देने वाली हरी मखमल की घास से ढक जाते हैं। गांव व कस्बों में पेड़ों पर झूले लग जाते हैं और सावन में कजरी के मधुर गीत सुनाई देने लगते हैं। कजरी पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध लोकगीत है। कजरी की उत्पत्ति मिर्जापुर में मानी जाती है। मिर्जापुर पूर्वी उत्तर प्रदेश में गंगा के किनारे बसा जिला है। यह वर्षा ऋतु का लोकगीत है। ऐसे कई लोकगीत हैं जो सावन में गाए जाते हैैं।
अबकी सावन में झूला गढ़ाई दे रसिया
या कईसे खेलन जइबू सावन में कजरिया
बदरिया घिर आइल ननदी
आज भी गांव और कस्बों में महिलाओं व युवतियों द्वारा झूले खेलते हुए कजरी गाने की प्रथा है। महिलाएं पूरे साज-श्रृंगार के साथ हाथों में मेंहदी रचाकर, हरी-हरी चूड़ियों को पहनती हैं और अपने परिवार व सखियों के साथ मिलकर झूले खेलते हुए कजरी गाती हैं।
गोदना, जी हां! आपको याद होगा गोदना गोदने की प्रथा। जो सावन में ही होती है। ये अलग बात है कि गोदना अब आधुनिक युग में टैटू का रुप ले चुका है। गोदना गोदने की प्रथा दम तोड़ चुकी है लेकिन गांव में यह परम्परा गाहे-बगाहे देखने को मिल जाती है। गांव में आज भी यह विचार है कि पति का नाम महिलाएं नही लेतीं और जिन महिलाओं के पति नहीं होते हैं वो भी अपने पति के नाम का गोदना गुदवाती हैं और यदि कोई उनसे पति का नाम पूछता है तो वो अपने हाथ में गुदे गोदना को दिखाती हैं-
जाको नाम गोदना में सोई पति मेरो
अब वर्षा ऋतु के फायदों पर नजर डालते हैं कि ये वर्षा ऋतु क्यों महत्वपूर्ण है, विशेषकर कृषि क्षेत्रों में, क्योंकि यह फसलों के लिए आवश्यक पानी प्रदान करती है। यह मीठे पानी के स्रोतों को भी भर देती है और ग्रह पर जीवन को फिर से जीवंत करती है।
भारतीय मानसून दो भागों में आता है- अरब सागर का मानसून और बंगाल की खाड़ी का मानसून। अरब सागर का मानसून पश्चिम भारत में थार रेगिस्तान को कवर करता है और बंगाल की खाड़ी के मानसून से अधिक मजबूत होता है। बंगाल की खाड़ी का मानसून भारत के पूर्वी तट के साथ-साथ चलता है, जो उत्तर में भारत-गंगा के मैदानों तक पहुंचने से पहले ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों से होकर गुजरता है। जैसे-जैसे मानसून आगे बढ़ता है, देश ठंडा हो जाता है और समय के साथ मानसून कमजोर हो जाता है। अगस्त के मध्य तक यह उत्तर भारत से पीछे हटना शुरू कर देता है और भारत में नवम्बर के अंत तक मानसून समाप्त हो जाता है।
– स्निग्धा अवतंस