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बांग्लादेश हिंसा की चेतावनी

बांग्लादेश हिंसा की चेतावनी

by अमोल पेडणेकर
in विशेष, सितम्बर २०२४
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बांग्लादेश में तख्तापलट और अराजकता से दक्षिण एशिया में अस्थिरता बढ़ गई है। पाकिस्तान आज तक अपने विभाजन यानी बांग्लादेश के निर्माण का कारण भारत को मानता है।  वह बांग्लादेश के इस्लामिक कट्टरपंथी समूहों के साथ मिलकर भारत के विरुद्ध आतंकवादी और असामाजिक गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश करेगा, जो बिल्कुल भी भारत के हित में नहीं है। बांग्लादेश के मौजूदा हालात को देखते हुए बांग्लादेशी चरमपंथियों ने न सिर्फ हिंदुओं बल्कि हिंदू मंदिरों और उनके घरों को भी निशाना बनाया है।

शेख हसीना के 15 साल के शासन का नाटकीय अंत के साथ ही बांग्लादेश में हिंदुओं के घरों और मंदिरों को भी निशाना बनाया गया। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में नवगठित अंतरिम सरकार से हिंदुओं की सुरक्षा की मांग हो रही है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध भारत सहित विदेशों में भी हिंदू समाज सड़कों पर उतर आया है। स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में लाल किले से अपने सम्बोधन में देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हिंसक हमलों की बात रखी हैं। बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर शुरु हुआ आंदोलन हिंदुओं की हिंसा में परिवर्तित क्यों हुआ? बांग्लादेश की अराजकता के बाद यह स्पष्ट है कि मुस्लिम देशों में हिंदू असुरक्षित हैं। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अपने अंक में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों के सम्बंध में शीर्षक दिया था कि यह हमले ‘बदले के हमले’ हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स हमेशा हिंदू विरोधी रुख अपनाता है। सोशल मीडिया पर उम्मीदें जताई जा रही हैं कि नरेंद्र मोदी के साथ भी भारत में ऐसा हो सकता है। यहां मूल मुद्दा हिंदुओं के न्याय और अधिकारों का है, लेकिन इस बारे में कोई बात करने को तैयार नहीं है।

बांग्लादेश में तख्तापलट और अराजकता से दक्षिण एशिया में अस्थिरता बढ़ गई है। पाकिस्तान आज तक अपने विभाजन यानी बांग्लादेश के निर्माण का कारण भारत को मानता है।  वह बांग्लादेश के इस्लामिक कट्टरपंथी समूहों के साथ मिलकर भारत के विरुद्ध आतंकवादी और असामाजिक गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश करेगा, जो बिल्कुल भी भारत के हित में नहीं है। बांग्लादेश के मौजूदा हालात को देखते हुए बांग्लादेशी चरमपंथियों ने न सिर्फ हिंदुओं बल्कि हिंदू मंदिरों और उनके घरों को भी निशाना बनाया है। साथ में सैकड़ों हिंदू महिलाओं का बलात्कार कर उनकी निर्मम हत्या की हैं। ऐसा नहीं है कि आरक्षण मुद्दे की वजह से वर्तमान में बांग्लादेशी हिंदू असुरक्षित हैं। 1971 के बाद से ऐसे कई उदाहरण हैं, जो बांग्लादेश में हिंदुओं की असुरक्षा की गवाही देते हैं।

हिंदू होने के नाते हमें सोचना चाहिए कि यह मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा हिंदुओं के विरुद्ध छेड़ा गया जिहाद है। जिहाद का अर्थ है काफिर हिंदुओं का कत्लेआम। यह हमारे अस्तित्व की लड़ाई है। साथ ही यह हिंदुओं के विरुद्ध छेड़ा गया, छिपा हुआ जिहादी युद्ध है। राहुल गांधी देश में आतंकवादियों के जिहाद को समझने को तैयार नहीं हैं। उद्धव ठाकरे सत्ता के लालच में कट्टर मियांओं को गले लगाने को आतुर हैं। क्या अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव, शरद पवार, ममता बनर्जी जैसे नेताओं के लिए अपनी ही लंका जलाने वाली कहावत सच है? आने वाले भविष्य में यदि हम हिंदू स्वयं और अपने बच्चों को जीवित रखना चाहते हैं, तो हमें इसका उत्तर अवश्य खोजना होगा।

यह कट्टर जिहादी गुप्त युद्ध, पारम्परिक तरीकों से नहीं जीता जा सकता। हमारी मातृभाषा में कहावतें हैं, ‘कांटे को कांटे से ही निकालना चाहिए’, ‘जैसा को तैसा’ ये कहावतें यही कहती हैं कि सामने वाला जैसा हो, वैसा ही उत्तर उन्हें देना चाहिए। हिंदुओं पर हमले तभी रुकेंगे जब कट्टरपंथी आतंकी मारे जाएंगे। हमें यह समझना होगा कि यह सिर्फ राजनीति का मामला नहीं है, यह वोट बैंक बनाने का मामला नहीं है, यह तो संकट को संकट कहने की बात है। जिहाद को जिहाद कहने का विषय है। यह उस मानसिकता को नष्ट करने की बात है जो कट्टर जिहाद का गढ़ है। जब तक हम इस आतंकवादी मनोवृत्ति पर भयावह प्रहार नहीं करेंगे, हमें अपने हिंदू भाइयों की लाशें गिननी पड़ेंगी।

बांग्लादेश के युवाओं का स्वयं स्फूर्त आरक्षण विरोधी आंदोलन अचानक हिंदू विरोध में कैसे बदल गया? एक बार फिर मुस्लिम दंगों का मुद्दा उठा। पिछले सैकड़ों वर्षों में भारत में किसी भी पीढ़ी के लिए मुस्लिम दंगे नया विषय नहीं रहा है। पिछली कई पीढ़ियों से मुसलमानों के दंगे भारत में हिंदू समाज के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। विषय चाहे कोई भी हो, जिहादी मुसलमान इस देश के हिंदुओं पर हिंसक अत्याचार करके ही उसका अंत करते हैं। इन दंगों से हिंदुओं को कब मुक्ति मिलेगी? वर्तमान में इंग्लैंड, फ्रांस तथा विश्व के विभिन्न देश इस भयानक अनुभव से गुजर रहे हैं।

बांग्लादेशी दंगों में हिंदुओं के विरुद्ध अत्यधिक हिंसा से उत्पन्न चुनौती बहुत बड़ी है। हिंदुओं को इस चुनौती का दायरा समझना होगा। भारत के दूसरी ओर बसे, बांग्लादेश जैसे देश में किसी हिंदू के घर में आग लग जाती है, तो ‘हमें क्या करना है?’ ऐसा कहने से या अब भी हिंदुओं में जागृति नहीं आती है, तो वह यहां भी जल्द ही अपने घर को आग की लपटों में जलता हुआ देख सकते हैं क्योंकि एक तरह से भारत के विरुद्ध जिहादी षडयंत्र निरंतर रचा जा रहा है। देश में तीसरे विभाजन की तैयारी के उद्देश्य से कट्टरपंथी मुसलमानों को प्रशिक्षित करने के लिए देश के अलग-अलग स्थानों पर दंगों की आग भड़काई जाती है।

देश के समाजवादी, सेक्युलर विचारों के लोग बांग्लादेश और भारत में केरल-कश्मीर में कट्टरपंथी मुसलमानों द्वारा हिंदुओं पर हो रहे भयानक हिंसा की ओर अनदेखी करते हैं, लेकिन गाजा पट्टी में हो रहे बमबारी के बाद सेक्युलरवादी, समाजवादी, कांग्रेसी मानवतावाद के मुद्दे को लेकर जगह-जगह आंदोलन करते रहते हैं, लेकिन इन महानुभावों का मानवतावादी आंदोलन बांग्लादेश में हिंदुओं की हिंसा के दौरान कहीं भी महसूस नहीं किया गया। यह लोग कभी भी हिंदुओं के हित के बारे में नहीं सोचते हैं। जो लोग हिंदू बनकर रहना चाहते हैं, जिन्हें हिंदू संस्कृति पर गर्व है, जो लोग बर्बर, क्रूर और हिंसक संस्कृति से स्वयं को और अपनी माताओं-बहनों को बचाना चाहते हैं, उनके सामने वर्तमान समय में बहुत बड़ी समस्या है। कट्टरपंथी मुसलमान भारत और अन्यत्र कुरान का शासन लाना चाहते हैं? इस विषय पर उनका लक्ष्य और रणनीति निश्चित है।

हिंदुओं को अब व्यक्तिगत धर्म, व्यक्तिगत मोक्ष और जात-पात में उलझे रहने की बजाय सामूहिक दृढ़ संकल्प, संगठनात्मकता और शौर्य के धर्म को अपनाना चाहिए। मुस्लिम दंगों को रोकने का यही एकमात्र तरीका है। आज देश में हर जाति अपना अस्तित्व तलाश रही है। हिंदू समाज के अंदर चल रहे जातीय अतिवाद के कारण अवसरवादी राजनीतिज्ञों के माध्यम से समाज के प्रत्येक जातिगत तत्व को अलग-थलग करने की कोशिश हो रही है। इस बारे में हिंदुओं को भी सोचने की जरूरत है। यह स्वीकार करते हुए कि संघर्ष का कोई विकल्प नहीं है। वर्तमान परिस्थिति में उत्पन्न संकटों का सामना करना ही होगा। यह समय अपने सम्मुख उपस्थित विभिन्न प्रश्नों से जूझने का है। मुसलमान कट्टरपंथी जिहादी बन रहे हैं। उनके सामने भविष्य के जिहाद का रोडमेप तैयार है, लेकिन हिंदू भविष्यवाणी पर विश्वास कर रहे हैं कि दुनिया में अन्याय का परिमार्जन करने के लिए कोई अवतार लेगा। हम रोजमर्रा के धार्मिक अनुष्ठानों और अंधविश्वासों में डूबे हुए हैं। आस्था को बरकरार रखने के लिए कौशल, सक्रियता और महान प्रयासों के संयोजन की आवश्यकता होती है।

1947 के बाद अब एक बार फिर भारत को बांटने जैसे घातक मंसूबों का संकट मंडरा रहा है। जब ऐसा समय आ गया है तो संघर्ष के डर से चुप बैठ जाना मूर्खता होगा। हमें संघर्ष के रणांगण में अपना घोड़ा अवश्य उतारना पड़ेगा। संघर्ष चाहे वैचारिक हो, पुनर्वास का हो, सामाजिक न्याय का हो। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वर्तमान बांग्लादेश की राजनीतिक और धार्मिक हिंसा के शिकार हमारे हिंदू भाई-बहन हैं और हम सभी का उनसे रिश्ता है। हिंदुत्व और हिंदुओं पर होने वाले अन्याय को नहीं भूलना चाहिए। कट्टर मुस्लिम समाज में हिंदू समाज के प्रति घृणा, यह एक प्रकार की राष्ट्रीय आपदा है? ऐसे माहौल में सभी पाखंडी सेक्युलरवादी उत्सव मना रहे हैं। यह बहुत स्वाभाविक है कि ये पाखंडी सेक्युलरवादी बहुत खुश हैं, कारण हिंदू लोग जिस प्रकार उनके जाल में फंस गए हैं, जो जाल उन्होंने बड़ी कुशलता से रचा था। यह पाखंडी धर्मनिरपेक्षतावादी एक संगठन के रूप में संगठित नहीं हैं। ये कई पार्टी एवं संगठनों में बिखरे हुए हैं। इसके नेता कोई गणमान्य नहीं हैं, साथ ही उनके पास कोई साझा एजेंडा नहीं है जो देश के सामने मौजूद सभी मुद्दों से निपटता हो। सभी अतिवादी धर्मनिरपेक्षतावादियों में केवल एक समान सूत्र दृढ़ता से महसूस किया जाता है। उस सूत्र का अर्थ है कि ये सभी लोग हिंदुत्व विरोधी हैं। इस कारण सेक्युलरवादियों की सभी प्रकार की अभिव्यक्तियों में हिंदू द्वेष व्याप्त है।

राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव, शरद पवार, मायावती, उद्धव ठाकरे ये सभी नेता हिंदू हैं, लेकिन यह सभी नेता जातिवादी और अवसरवादी भी हैं। लालू प्रसाद, अखिलेश यादव सिर्फ यादवों के बारे में सोचते हैं। मायावती दलितों के बारे में सोचती हैं। शरद पवार मराठों के बारे में सोचते हैं। सभी को अपना जातीय ‘वोट बैंक’ बनाया है और इन्होंने मुस्लिम वोट के लिए धर्मनिरपेक्ष रुख अपनाया है। ये सभी लोग एक सुर में कह रहे हैं कि भाजपा साम्प्रदायिक है। संघ-भाजपा संविधान के विरुद्ध हैैं, यह मुस्लिम विरोधी है। यह उन सभी हिंदू विरोधी और सेक्युलरवादियों का दृढ़ राजनीतिक रुख है। अगर कुछ करोड़ बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठ भारत घुस जाए तो भी इन सेक्युलरवादियों को कोई दिक्कत नहीं है। यहां तक कि जब मुस्लिम आतंकवादी कश्मीर में अपने सैनिकों को मारते हैं, तब भी यह गुट मजबूती से आतंकवादियों के साथ उनके समर्थन में खड़ा रहता है। इस सभी का एक नियम है कि जितना ज्यादा झूठ बोला जाता है, वह लोगों के लिए उतना ही अधिक सच हो जाता है। इस राष्ट्र विरोधी नेरेटिव सेट करने वाले झूठ का हिंदुओं के माध्यम से आक्रामक तरीके से विरोध नहीं किया जाता है। इसी कारण उनका भ्रमित करने वाला नेरेटिव लोगों को प्रभावित करता है। इसका अनुभव हमें 2024 के लोकसभा चुनाव में मिल चुका है। इन सभी नेताओं को हिंदुओं द्वारा समर्थन देना यानी हिंदू स्वाभिमान से समझौता करना है। यह चुनावी सफलता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जैसा कि 2024 के लोकसभा चुनावों में हुआ है। नरेंद्र मोदी सरकार को उम्मीद से बहुत कम सीटें मिलीं, यह मोदी विरोधी और धर्मनिरपेक्ष सेक्युलर समूहों के हाथों भाजपा की पीछे हटाना नहीं है, बल्कि यह आत्ममुग्धता से ग्रस्त हिंदुओं की ही हार हैं।

जब राहुल गांधी ने बांग्लादेश के नवनियुक्त प्रधान मंत्री को बधाई संदेश भेजा तो बांग्लादेशी अखबार ब्लिट्ज लाइव के सम्पादक सलाउद्दीन शोएब चौधरी ने राहुल के ट्वीट का उत्तर देते हुए राहुल के राजनीतिक पाखंड की पोल खोलते हुए लिखा कि हां, मुझे पता है कि आप देश को नव-तालिबान राज्य में बदलकर बांग्लादेश को अस्थिर करने और फिर भारत को अस्थिर करने की अपनी गुप्त साजिश की सफलता का जश्न मना रहे हैं। मर रहे हिंदुओं के संदर्भ में एक शब्दों में भी आपका एक भी संदेश नहीं हैं? बांग्लादेश के अखबार ब्लिट्ज लाइव के सम्पादक ने राहुल गांधी के मुंह पर तमाचा मारा है। अपने देश और विदेश में हिंदू विरोधी व राष्ट्रविरोधी शक्ति प्रबल हो गई हैं। गत चार महीनों में हम अनुभव कर रहे हैं कि वे किस प्रकार लगातार प्रहार करने का प्रयास कर रहे हैं। यह समय हिंदू समाज के अस्तित्व रक्षण का है। इस लड़ाई में राजनीतिक रणक्षेत्र एक अहम रणक्षेत्र है। हिंदुओं के पास अपनी संगठनात्मक शक्ति बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हमें सेवा, संगठन, संघर्ष, धर्मजागरण जैसे अधिक से अधिक साधनों का उपयोग करके उस संख्यात्मक शक्ति को प्राप्त करना होगा। सभी हिंदुओं की दिशा एक हो और सभी के कदम हिंदू हित के पथ पर हों। हम हिंदू ही एक-दूसरे के पैरों मैं पैर डालेंगे तो हम हिंदुओं के शत्रुओं को ही प्रबल करेंगे। अपने सभी मतभेदों को किनारे रखकर राजनीति और सामाजिक क्षेत्र में सभी प्रकार से हिंदू शक्ति को और हिंदू पराक्रम को मजबूत करना यह वर्तमान समय की आवश्यकता है।

 

 

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