राजनीति की पुरपेंच गलियारों से होती हुई दिल्ली की सत्ता पर आतिशी मार्लेना विराजमान हो चुकी है, लेकिन क्या सत्ता उसके हाथों में सौंपी जानी चाहिए थी, जिसका अतीत हमेशा विवादों के कटघरे में रहा हो। क्या दिल्ली की जनता को एक साफ-सुथरी छविवाला मुख्य मंत्री नहीं मिल सकता?
केजरीवाल सरकार में शिक्षा, महिला और बाल कल्याण, टूरिज्म जैसे पांच मंत्रालय सम्भालने वालीं आतिशी मार्लेना को अब दिल्ली का नया मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। टाइटल पढ़कर आपको ऐसा लगा होगा कि यह ऐसा क्यों लिखा गया है। इसके पीछे कारण यह है कि आतिशी मार्लेना का विवादों से दूर-दूर तक लेना देना है। उन पर शराब घोटाले में शामिल होने से लेकर दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने तक के आरोप लगे हैं। वहीं, उन पर विदेशी धरती पर भारत को बदनाम करने के भी आरोप लग चुके हैं। आतिशी पर दिल्ली शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने अप्रैल 2024 में कोर्ट को बताया कि आतिशी का नाम अरविंद केजरीवाल ने लिया था। इतना ही नहीं, विजय नायर की रिपोर्टिंग भी आतिशी और सौरभ भारद्वाज को होती थी। पैसे के लेनदेन का किंगपिन वहीं था। आतिशी ने खुद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात को स्वीकार किया था कि ईडी उन्हें और बाकी तीन लोगों को कभी भी गिरफ्तार कर सकती है।
टाइम्स नाऊ की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि आतिशी गोवा की आम आदमी पार्टी की चुनावी प्रभारी थीं। दिल्ली शराब घोटाले का पैसा यहां चुनाव में उपयोग किया गया था। गौरतलब है कि 13 फरवरी 2022 को आतिशी ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर खुद सूचित किया था कि पार्टी ने उन्हें गोवा चुनाव का प्रभारी बनाया है। इनपर दक्षिण भारत के शराब लॉबी से रिश्वत लेकर उसका चुनाव में दुरुपयोग करने का आरोप लगा हुआ है और उन्हें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। ऐसा नहीं है कि उनकी मुश्किलें खत्म हो गई हैं।
आतिशी ने विदेश में भी भारत की छवि धूमिल करने का प्रयास किया है। उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में भारत विरोधी आयोजित हुए कार्यक्रम में भाग लिया था। यह कार्यक्रम गुरुवार 15 जून 2023 को हुआ था। इसका नाम ‘इंडिया एट हंड्रेड: टुवर्ड्स बीइंग ए ग्लोबल लीडर’ था। इस कार्यक्रम में उन्होंने भारत की उपलब्धियां को कम आंकते हुए कहा था कि भारत की जीडीपी 3 ट्रिलियन डॉलर को भले ही पार कर गई है और भारत जी-20 में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है लेकिन वास्तविकता उससे कहीं अधिक भयानक और खराब है। उन्होंने ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स को आधार बनाते हुए कहा था की 191 में से भारत 132 में स्थान पर है, जबकि भारत को स्वतंत्र हुए 75 वर्ष हो गए हैं। उन्होंने ग्लोबल हंगर इंडेक्स को आधार बनाकर भी प्रोपेगेंडा भी किया था।
आतिशी दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री और विधायक बनने से पहले सलाहकार थीं। सरकारी स्कूलों के आधुनिकीकरण के दावों के बीच मनीष सिसोदिया और उनकी सलाहकार रहीं आतिशी की आप सरकार ने दिल्ली में सरकारी शिक्षा व्यवस्था को बदलने का मौका खो दिया। इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में पहले से बदहाल शिक्षा व्यवस्था को और खराब कर दिया है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में छपा था कि एएपी मॉडल स्कूल प्रोजेक्ट में गम्भीर कई कमियां हैं। जिसके चलते ढ़ाई सौ (2500) करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। आम आदमी पार्टी ने 54 सरकारी स्कूलों को मॉडल स्कूल में बदलने की शुरुआत तो की थी और इसका काम भी डीटीडीसी को सौंपा था। हालांकि 3 साल बाद ही स्कूलों की दीवारों में दरारें आ गईं। इतना ही नहीं, आतिशी के कार्यकाल में दिल्ली के स्कूलों से किताबें और शिक्षकों की भी कमी की गई है।
आतिशी के माता-पिता ने आतंकवादी अफजल गुरू को बचाने का भी प्रयास किया था। आतिशी के माता-पिता विजय कुमार सिंह और तृप्ता वाही कम्युनिस्ट हैं। दोनों ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी अफजल गुरू की मौत की सजा के विरुद्ध भारत के राष्ट्रपति को दया याचिका लिखी थी। आतिशी की मां भारत विरोधी और आतंकवादियों के हमदर्द रहे एस. ए. आर. गिलानी से भी जुड़ी हुई हैं। इस बारे में आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने कहा था, दिल्ली के लिए आज बहुत ही दुखद दिन है। आज एक ऐसी महिला दिल्ली की मुख्य मंत्री बनने के लिए चुनी गई है, जिसके माता-पिता ने आतंकवादी अफजल गुरू को फांसी से बचाने के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी थी। इतना ही नहीं, उन्होंने राष्ट्रपति से दया याचिका पर साइन करने के लिए भी कहा था। दोनों का मानना था कि अफजल गुरु निर्दोष था और उसे एक राजनीतिक षडयंत्र के आधार पर फंसाया गया था। स्वाति मालीवाल ने तो यहां तक कहा है कि आतिशी मार्लेना एक डमी मुख्य मंत्री होंगी और उन्होंने भगवान से दिल्ली को बचाने की भी गुहार लगाई थी। अब ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि क्या आतिशी मार्लेना के राज में दिल्ली सुरक्षित होगी?
– रूपेश गुप्ता