विवेक रूरल डेवलपमेंट सेंटर (सेवा विवेक, भालिवली-विरार) प्रकल्प की जानकारी विवेक के पाठकों को नए रूप में पुनः देने की आवश्यकता नहीं है. यह प्रकल्प पालघर जिला की अनुसूचित जाति-जनजातियों की महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए संचालित किया जाता है. इसमें मुख्य कार्य बाम्बू से विविध प्रकार के वस्तुओं का निर्माण करना है. परिसर की मल्हार कोळी समाज की महिलाओं का इसमें विशेष तौर पर सहभाग है.
श्रीमती द्रोपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति बनी. अनुसूचित जाति-जनजातियों की वह प्रथम महिला राष्ट्रपति है. प्रकल्प की कुछ चुनिंदा महिलाओं को राष्ट्रपति से भेंट करवाना चाहिए, इस पर वर्ष भर से चर्चा चल रही थी. सांसद डॉ. हेमंत सावरा ने पहल की और १९ मार्च को भेंट करने की तिथि निश्चित हुई.
राष्ट्रपति से भेंट करने हेतु विवेक रूरल डेवलपमेंट सेंटर (सेवा विवेक, भालिवली-विरार) प्रकल्प से जुड़ी अनुसूचित जाति की बाम्बू महिला कारीगर विद्या दळवी, दीपाली दांडेकर, संध्या दांडेकर तथा इन्हें प्रशिक्षित करनेवाली मुख्य सक्षमता अधिकारी प्रगति भोईर, विवेक रूरल डेवलपमेंट सेंटर के संचालक प्रदीप गुप्ता, संचालिका राजकुमारी गुप्ता, बाम्बू प्रकल्प के मुख्य कार्यकारी अधिकारी लुकेश बंड, सांसद डॉ. हेमंत सावरा के साथ मैं और मेरी पत्नी हम सभी दिल्ली गए. प्रकल्प से जुड़ी महिलाएं पहली बार इतने दूर और वो भी विमान से यात्रा कर रह थी. इसलिए उनके लिए हवाई अड्डा, वहां की व्यवस्था, सेवा सुविधा, विमान में प्रवेश करना आदि सब कुछ नया था.
राष्ट्रपति भवन, राष्ट्र के प्रमुख का निवास स्थान और कार्यालय है. उनके जैसा भव्य निवास स्थान एवं कार्यालय किसी का नहीं है. इतने विराट राष्ट्रपति भवन के पूरे परिसर को देखना हर किसी का सपना होता है और वह भी अनुसूचित जाति-जनजातियों की महिलाओं के लिए तो परमानंद की अनुभूति जैसा था.
शाम 05.15 बजे हम सभी माननीय राष्ट्रपति जी के कक्ष में गए. वहां कैसे जाना है, कौन कहां बैठेगा, यह सब बातें राष्ट्रपति के एडीसी अच्छे तरीके से समझाकर बताते हैं. जाते ही फोटो सेशन होता है. बैठने के बाद लाए हुए भेंट वस्तु देने का कार्यक्रम होता है अर्थात बाम्बू से निर्मित वस्तु, संस्था की जानकारी देनेवाला पत्रक, एक शाल, बाम्बू पर उकेरी गई भारतीय राजचिह्न के प्रातिकृति की फ्रेम उन्हें अर्पण की गई.
प्रकल्प की महिलाओं का परिचय होने के उपरांत बाम्बू से जुड़े विविध कार्यों की जानकारी मा. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को दी गई. उन्होंने सभी बातों को बहुत ही ध्यानपूर्वक सुना और प्रश्न पूछा कि ‘प्रत्येक महिला को हर माह कितने रूपये मिलते हैं?’ विद्या दळवी और संध्या दांडेकर ने उत्तर दिया कि ‘आठ से दस हजार रूपये मिलते हैं.’ यह सुनकर राष्ट्रपति अत्यंत प्रसन्न हुई और कहा कि ‘बहुत खूब! घर और बच्चों की पढ़ाई संभालकर आप इतना कुछ करती हो, इसके लिए आपका अभिनंदन!”
मा. राष्ट्रपति जी ने आगे कहा कि ‘सरकार विविध योजनाएं संचालित करती है, परंतु उसकी एक मर्यादा होती है. जन भागीदारी के बिना योजना सफल नहीं होती. लोगों को स्वयं प्रेरणा से विकास के कामों के लिए आगे आना चाहिए. ऐसा काम विवेक रूरल डेवलपमेंट सेंटर (सेवा विवेक, भालिवली-विरार) प्रकल्प के द्वारा (भालिवली-विरार) में संचालित किया जाता है, इसके लिए आपका अभिनंदन!’
देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान मातृशक्ति की ओर से वात्सल्यमयी शब्दों में दिया गया यह आशीर्वाद सभी को प्रचंड बल देनेवाला सिद्ध होगा. हमारे कार्य की सराहना राष्ट्रपति ने की, उनसे वन टू वन प्रत्यक्ष संवाद करने का अवसर मिला, इससे प्रकल्प की प्रतिनिधि के रूप में आई हुई चारों बहने बहुत ही प्रसन्न हुई. जीवन भर सुखद आनंद देनेवाली अविस्मरणीय यादे लेकर हम सभी राष्ट्रपति भवन से अपने घर लौटे.
मा. राष्ट्रपति जी को ‘हम संघ में क्यों है…’ यह पुस्तक रमेश पतंगे ने भेंट स्वरूप प्रदान की. राष्ट्रपति जी ने पुस्तक को ध्यानपूर्वक देखा और समय मिलने पर इसे पढ़ने का आश्वासन दिया.
सांसद डॉ. हेमंत सावरा ने राष्ट्रपति जी से भेंट करने आए सभी लोगों का परिचय कराया. इस भेंट के लिए उन्होंने खूब प्रत्यत्न किया और अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.