राष्ट्रीय विचारों का नैरेटिव स्थापित होना आवश्यक- दत्तात्रेय होसबाले, (सरकार्यवाह- रा.स्व.संघ)
वर्तमान समय नैरेटिव युग का है. भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के संबंध में झूठ फैलाने का काम नैरेटिव के माध्यम से जारी रहता है. हिंदुत्व आज भी प्रासंगिक है, राष्ट्रीय विचारों का नैरेटिव स्थापित होना आवश्यक है. हमें ‘राष्ट्र प्रथम’ विचार करनेवाली पीढ़ी निर्माण करना है. यह वक्तव्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने सा. विवेक द्वारा प्रकाशित ‘राष्ट्रोत्थान’ ग्रंथ के विमोचन समारोह के दौरान दिया. उन्होंने सभा को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि संघ १०० वर्ष पूर्ण कर रहा है. संगठन के रूप में निश्चित ही यह गौरवशाली है और समाज ने इसे स्वीकार किया है. देश की राष्ट्रीयता को हमें आत्मसात करना है. राष्ट्र सर्वोपरि इस भाव से ‘राष्ट्राय स्वाहा, इदं न मम’ श्रीगुरुजी के दिए हुए इस मंत्र को लेकर कार्य करना है. भूमि, जन और संस्कृति से राष्ट्र का निर्माण होता है. राष्ट्रीयता ही राष्ट्र धर्म है, इसलिए राष्ट्रीयता को जीना सीखें.
संघ केवल संगठन नहीं है अपितु जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को स्पर्श करनेवाला अभियान है. यह एक जीवनशैली है और समाज को संगठित करने का अभियान है. संघ का विचार यह भारतभूमि का विचार है. संघ कभी भी पुरस्कार का विचार नहीं करता है. समाज का विकास और समाज संगठित कैसे होगा, वो राष्ट्रीय विचारों को लेकर कैसे आगे जाएगा, यह विचार संघ करता है. इसके लिए पंच परिवर्तन का सूत्र बताया गया है. साप्ताहिक विवेक के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि पहले पत्रकारिता एक मिशन की तरह चलती थी, अब प्रोफेशनल हो गई है. ऐसा होने पर भी हमारा मिशन क्या हैं, इसे नहीं भूलना चाहिए. सत्य को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना ही पत्रकारिता का मिशन है. साप्ताहिक विवेक ने इस मिशन को अपने जीवन का व्रत बनाया है. वे समाचार, विचार और प्रचार इन तीनों का मिश्रण कर समन्वित कार्य कर रहे हैं.
व्यक्ति समाज का अविभाज्य घटक
व्यक्ति समाज का अविभाज्य घटक है. इसलिए सुख व सम्मान सभी को मिलना चाहिए. समाज उत्थान का विचार करनेवालों को इस सम्बंध में विचार करना आवश्यक है. स्मशान, पानी, मंदिर सभी के लिए एक समान है. वहां किसी भी रूप में भेदभाव न हो. कुछ जगहों पर विषमता आज भी दिखाई देती है. सामाजिक समरसता के माध्यम से समाज की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करना चाहिए- दत्तात्रेय होसबाले, (सरकार्यवाह- रा.स्व.संघ)
कार्यक्रम का परिचय देने के उपरांत हिंदुस्थान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष ‘पद्मश्री’ रमेश पतंगे ने कहा कि संघ के प्रारम्भ से ही संघ की गतिविधि संघर्षमय रही. आज संघ का विस्तार हो गया है और अनेकानेक क्षेत्र में संघ कार्य बढ़ रहा है. उन्होंने साप्ताहिक विवेक की यात्रा के दौरान आए उतार-चढ़ाव व चुनौती के सम्बंध में सभी को अवगत कराया और कहा कि ‘विवेक’ के असली मालिक इसके पाठक हैं.
‘राष्ट्रोत्थान’ ग्रंथ के सम्पादक रवीन्द्र गोळे ने अपने वक्तव्य में कहा कि ‘साप्ताहिक विवेक’ अपनी विचारधारा को आवश्यक और पूरक पुस्तकें, ग्रंथ प्रकाशित करता रहता है. ‘राष्ट्रोत्थान’ ग्रंथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंच परिवर्तन के सूत्र के अनुरूप तैयार की गई है. यह पंच सूत्र चिरंतर जीवन पद्धति के सूत्र हैं. समाज की सज्जन शक्ति को पंच सूत्र से जोड़कर राष्ट्र का विकास हो, इसलिए इस ग्रंथ की रचना की गई है. यह सूत्र मात्र चर्चा का विषय नहीं है, अपितु जीने का विषय है. ‘मैं और हम’ इसका अंतर क्या है, यह ग्रंथ पढ़ने पर समझ आएगा. हम सभी भारतमाता के पुत्र हैं, यह भाव जगाने के लिए इस ग्रंथ को प्रकाशित किया गया है.
बीते दिनों वडाला पश्चिम स्थित वडाला उद्योग भवन के समीप निको हाल में आयोजित विमोचन समारोह के दौरान मंच पर स्कान इन्फ्रा के उमेश भुजबळ, हिंदुस्थान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष ‘पद्मश्री’ रमेश पतंगे, ‘राष्ट्रोत्थान’ ग्रंथ के सम्पादक रवीन्द्र गोळे, साप्ताहिक विवेक के कार्यकारी प्रमुख राहुल पाठारे सहित अन्य मान्यवर उपस्थित थे. कार्यक्रम का सफल संचालन शिबानी जोशी ने किया और पसायदान से कार्यक्रम का समापन किया गया.