हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
राष्ट्रनिष्ठ पत्रकारिता ही स्वतंत्रता की सही दिशा

राष्ट्रनिष्ठ पत्रकारिता ही स्वतंत्रता की सही दिशा

by हिंदी विवेक
in विशेष
0

हर साल 3 मई को ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ मनाया जाता है, जो केवल एक औपचारिक आयोजन मात्र नहीं है बल्कि यह दिन पत्रकारिता के उस आत्मनिरीक्षण का अवसर है, जिसमें यह तय किया जाता है कि क्या कलम अभी भी उतनी ही निडर, निर्भीक और सत्यनिष्ठ बनी हुई है, जितनी एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अपेक्षित है। यह दिवस पत्रकारों की उन संघर्षपूर्ण यात्राओं का प्रतीक है, जिसमें सत्ता के गलियारों से लेकर माफिया के अड्डों तक, कलम ने सच को सामने लाने के लिए अनेक बलिदान दिए हैं परंतु दुर्भाग्य की बात है कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और पत्रकारिता के मूल्यों पर जिस तरह से लगातार कुठाराघात हो रहा है, वह चिंताजनक है। प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, पर जब यह स्तंभ ही भय, दबाव और समझौतों के नीचे दबने लगे तो लोकतंत्र की नींव पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक हो जाता है।

पिछले कुछ वर्षों में दुनियाभर में पत्रकारों पर हमलों, उनकी गिरफ्तारी और हत्या की घटनाओं में जिस प्रकार वृद्धि हुई है, वह दर्शाता है कि ‘सत्य को सामने लाने’ की कीमत आज पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। भारत सहित कई देशों में यदि कोई पत्रकार सत्ता के विरुद्ध खड़ा होता है तो उसे निशाना बनाना, प्रताड़ित करना, झूठे मुकद्दमे में फंसाना, आर्थिक रूप से पंगु करना और यहां तक कि कुछेक मामलों में जान से मार देना, ये घटनाएं आम हो चुकी हैं। यही कारण है कि 3 मई का यह दिन हमें पत्रकारिता की उन बुनियादी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है, जिनका निर्वहन भयमुक्त होकर करना किसी भी राष्ट्र के लिए अनिवार्य है।

World Press Freedom Day : कब और क्यों मनाया जाता है विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस, जानिए

प्रेस की वास्तविक परिभाषा को यदि अंग्रेजी शब्द ‘PRESS’ के अक्षरों के माध्यम से समझें तो वह ‘Public Related Emergency Social Service’ (जनता से जुड़ी आपातकालीन सामाजिक सेवा) के रूप में सामने आती है यानी पत्रकारिता केवल खबर देना नहीं बल्कि समाज के लिए सेवा का भाव है। यही भाव था, जब स्वतंत्रता संग्राम के समय अखबारों ने ब्रिटिश सत्ता की नींव हिला दी थी। यही कारण है कि अकबर इलाहाबादी जैसे कवियों ने कहा था, ‘न खींचो कमान, न तलवार निकालो, जब तोप हो मुकाबिल, तब अखबार निकालो।’ यह उक्ति आज भी उतनी ही प्रासंगिक है क्योंकि कलम जब जागती है तो भ्रष्टाचार, अन्याय, दमन और षड्यंत्रों की चूहेदानी में फंसी सच्चाई बाहर आ जाती है।

इतिहास इसका साक्षी है कि अमेरिका के वाटरगेट कांड से लेकर भारत में विभिन्न घोटालों तक, अनेक बार प्रेस की सजगता ने सत्ता के गलियारों में कंपन पैदा किया है परंतु यही जागरूकता कई बार सत्ता और संगठित अपराध के लिए असहज करने वाली होती है। यही कारण है कि भारत सहित अनेक देशों में पत्रकारों को निर्भीकता की कीमत अपनी जान से चुकानी पड़ी है। कोई भी राष्ट्र तब तक पूर्ण लोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता, जब तक वहां पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं और जब तक उन्हें निर्भीकता से सत्य को लिखने की स्वतंत्रता नहीं मिलती। आज जबकि मीडिया का बड़ा हिस्सा कॉरपोरेट और राजनीतिक गठजोड़ों की गिरफ्त में है, तब स्वतंत्र पत्रकारिता की प्रासंगिकता और चुनौती दोनों ही बढ़ गई हैं।

‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स’ जैसी संस्थाएं हर वर्ष एक प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक जारी करती हैं, जिसमें यह स्पष्ट होता है कि किस देश में पत्रकारों को कितनी स्वतंत्रता प्राप्त है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत की स्थिति भी चिंता का विषय है, जहां पत्रकारों पर राजनीतिक, धार्मिक और माफियाई हमलों का खतरा निरंतर बढ़ रहा है। हाल ही में जारी 2024 की रिपोर्ट के अनुसार भारत प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में 180 देशों में 159वें स्थान पर है। 2023 की रिपोर्ट में भारत का स्थान 161वां था जबकि 2022 में यह 150वें पायदान पर था। ‘कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट’ की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में 293 पत्रकारों को जेल में डाला गया और 24 पत्रकारों की हत्या की गई। ये आंकड़े कोई सामान्य आंकड़े नहीं बल्कि अभिव्यक्ति की हत्या के प्रतीक हैं।

भारत में पत्रकारिता का इतिहास स्वर्णिम रहा है और भारतीय संविधान ने सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है, जो पत्रकारों के लिए भी लागू होती है लेकिन यह स्वतंत्रता निरंकुश नहीं है। देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के नाम पर यह स्वतंत्रता सीमित की जा सकती है। आज के डिजिटल युग में जब सोशल मीडिया और फेक खबरें आम होती जा रही हैं, तब सच और झूठ के बीच की रेखा धुंधली होती जा रही है। पत्रकारों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे सूचनाओं के सागर में सत्य की पहचान करें और उसे निर्भीकता से जनमानस के सामने लाएं। इस दौर में जब सरकारें भी मीडिया पर नियंत्रण की आकांक्षा रखती हैं, तब न केवल पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बल्कि प्रेस की नैतिक जिम्मेदारी के संरक्षण के लिए भी व्यापक कानूनी और सामाजिक संरचना की आवश्यकता है।

इस दिशा में सबसे पहले आवश्यकता है पत्रकारों की सुरक्षा हेतु कठोर और प्रभावी कानूनों की, जो उन पर होने वाले किसी भी प्रकार के हमले या उत्पीड़न को गंभीर अपराध मानें। साथ ही नागरिकों को मीडिया साक्षरता की शिक्षा देना भी आवश्यक है ताकि वे खबरों की सत्यता को परख सकें और झूठी सूचनाओं के जाल में न फंसें। इसके अतिरिक्त मीडिया में विविधता और वैचारिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देना भी अनिवार्य है ताकि हर विचारधारा और मत की आवाज समाज में सुनी जा सके। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस केवल एक तारीख नहीं है, यह उस पत्रकार की स्मृति का दिन है, जो कलम के लिए जिया और उसी के लिए बालिदन हो गया। यह उस चेतावनी का दिन है, जो हमें याद दिलाता है कि जब कोई समाज अपने पत्रकारों की आवाज नहीं सुनता, तब वह तानाशाही की ओर अग्रसर होता है। इसलिए यह आवश्यक है कि प्रेस की स्वतंत्रता को न केवल कानूनी बल्कि नैतिक, सामाजिक और राजनैतिक रूप से भी संरक्षित किया जाए क्योंकि यही लोकतंत्र की असली पहचान है।

 

-योगेश कुमार गोयल

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: #hindivivek $Magazine #press #viral #world#worldpressday

हिंदी विवेक

Next Post
सकल हिन्दू समाज की महिलाओं ने लव जिहाद के विरुद्ध भोपाल में 25 स्थानों पर किया प्रदर्शन

सकल हिन्दू समाज की महिलाओं ने लव जिहाद के विरुद्ध भोपाल में 25 स्थानों पर किया प्रदर्शन

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0