एक शानदार इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर, विचारक, सत्य के साधक, गौरांग दमानी जी हमारे पवित्र ग्रंथों के उत्सुक पाठक और व्याख्याता थे। ‘महाभारत: एक विश्व युद्ध’, ‘भगवद् गीता सरल’, ‘रामायण की अनकही कहानियां’ और ‘पाँचवें वेद का सार’ जैसे कार्यों के माध्यम से उनका योगदान भारतीय आध्यात्मिक और बौद्धिक परंपरा के प्रति उनकी गहरी समझ और भक्ति को दर्शाता है।
वह एक हमेशा मुस्कुराते हुए और शांत वक्ता थे, जिनके शब्दों में स्पष्टता, गहराई और दृढ़ विश्वास था – कभी जोर से नहीं, लेकिन हमेशा गहराई से प्रभावी था।
वह प्राय: हमें याद दिलाते हैं कि अगर भारत वास्तव में भौतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से उदय होना चाहता है तो हमें अपने आप को धर्म में जड़ से जड़ना चाहिए, जैसा कि हमारे वैदिक ज्ञान में इतनी खूबसूरती से वर्णन किया गया है। उनका संदेश सिर्फ दार्शनिक नहीं था बल्कि राजनेताओं, नौकरशाहों, न्यायपालिका, मीडिया और हर नागरिक के लिए कार्रवाई का आह्वान था।
गौरांग जी आपकी उपस्थिति, आपकी बुद्धि और आपकी कृपा बहुत याद आएगी, लेकिन आपके विचार और आदर्श आगे के मार्ग को रोशन करते रहेंगे।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति व सद्गति प्रदान करें।
ॐ शांति शांति शांति: