हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
भगवा आतंकवाद का गुब्बारा फूटा

भगवा आतंकवाद का गुब्बारा फूटा

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग
0

सत्रह साल बाद 2008 के मालेगांव बम धमाके मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की विशेष अदालत ने सभी सात आरोपियो को बरी कर दिया है। अदालत ने सभी आरोपियों को निर्दोष करार देते हुए कहा है कि अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर पाया कि ब्लास्ट स्थल पर मिली बाइक में आरडीएक्स लगाया गया था। उल्लेखनीय है कि इस मामले में सात लोग आरोपी बनाए गए थे, जिनमें लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय शामिल थे। इन सभी लोगों पर मालेगांव बम धमाके में शामिल होने के तौर पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम यूएपीए और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी आरोपियों को बरी किए जाने से हिंदू आतंकवाद पर काली सियासत करने वाले तथाकथित सेक्यूलर दलों की बेचैनी बढ़ गयी है। उनका मुंह काला हुआ है। उनके भगवा आतंकवाद के जूमले की हवा निकाल गई है। उनकी बेचैनी इस कदर बढ़ गयी है कि वे अब एनआइए अदालत के फैसले पर परोक्ष रुप से सवाल खड़ा कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति ठीक नहीं है। अब जब हिंदू आतंकवाद का गढ़ा-बुना गया गुब्बारा फट गया है और यह सच भी दुनिया के सामने उजागर हो गया है कि यूपीए सरकार के इशारे पर ही प्रज्ञा सिंह ठाकुर एवं अन्य लोगों को फंसाने की साजिश रची गयी तो अब साजिश रचने वाले किंकर्तव्यविमुढ़ हैं और किस्म-किस्म के कुतर्कों का सहारा ले रहे हैं।

कांग्रेस समेत उन सभी तथाकथित सेक्यूलर दलों की पोल खुल गयी है जो कभी चीख-चीखकर हिंदू संगठनों को आतंकवाद का कारखाना बताने से हिचकते नहीं थे। उचित होगा कि अब वे देश से क्षमा मांगकर पश्चाताप करें कि हिंदू संस्कृति और संगठनों को बदनाम क्यों किया। लेकिन ऐसा करने के बजाए वे अब भी कुतर्कों के आसन पर जमे हैं।

याद होगा कि ज्यों ही साध्वी प्रज्ञा की गिरफ्तारी हुई कांग्रेस एवं तथाकथित सेक्यूलर दलों ने यह प्रचारित करना शुरु कर दिया था कि देश के लिए भगवा आतंकवाद खतरा बन रहा है। ध्यान देना होगा कि जिस समय भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़ी-बुनी गयी उस समय कांग्रेसनीत सरकार के गृहमंत्री शिवराज पाटिल गृहमंत्री थे। उनके बाद गृहमंत्री बने सुशील कुमार शिंदे ने भगवा आतंकवाद को खूब हवा दी। उन्होंने एक कथित जांच रिपोर्ट को आधार बनाते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी पर आतंकवादी ट्रेनिंग कैंप चलाने का आरोप है। तब सुशील कुमार शिंदे के इस वक्तव्य को लेकर देश भर में आलोचना और निंदा हुई। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह कि सुशील कुमार शिंदे के वक्तव्य को सही ठहराने के लिए कांग्रेस सरकार ने तब मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में असली गुनाहगारों को छोड़कर हिंदू संगठनों के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया।

कुतर्क गढ़ा कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे दल अपने सदस्यों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देते हैं। हद तो तब हो गयी जब उनके बाद पी चिदंबरम गृहमंत्री बने तो वे भी यह कहते सुने गए कि भगवा आतंकवाद देश की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से बेहद खतरनाक है। उन्होंने कहा कि भगवा आतंकवाद देश के लिए नई घटना है। लेकिन गौर कीजिए कि बी रमण जो तत्कालीन कांग्रेसनीत सरकार के मंत्रिमंडलीय सचिवालय के अपर सचिव रहे उनकी मानें तो भगवा आतंकवाद की शुरुआत तत्कालीन सरकार की पाकिस्तान और भारतीय मुसलमान समुदाय जो आतंकवाद में लिप्त हैं, के प्रति कथित नरम नीति के कारण हुई। अब जब अदालत ने इस मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, के बाद सवाल उठना लाजिमी है कि फिर मालेगांव विस्फोट मामले का असली गुनाहगार कौन है? कहीं ऐसा तो नहीं कि हिंदू संगठनों को बदनाम करने की साजिश में संलिप्त तत्कालीन कांग्रेसनीत सरकार असली गुनाहगारों को छोड़ दिया?

गौर करें तो भगवा आतंकवाद को सही ठहराने के लिए उस दौरान जितने भी विस्फोट हुए सभी में हिंदू संगठनों के सदस्यों को ही आरोपी बनाया गया। 2007 के समझौता एक्सप्रेस धमाके में भारतीय सेना के अफसर रहे श्रीकांत पुरोहित को गिरफ्तार किया गया। इसी तरह 2007 के अजमेर दरगाह धमाके में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को घेरने की कोशिश की गयी।
यहां ध्यान देना होगा कि मक्का मस्जिद विस्फोट मामला तभी संदेह के घेरे में आ गया था जब तत्कालीन कांग्रेसनीत सरकार ने प्रारंभिक जांच में स्थानीय पुलिस द्वारा विस्फोट के लिए जिम्मेदार ठहराए गए आतंकी संगठन हरकतुल जिहाद के आतंकियों पर शिकंजा कसने और दंडित करने के बजाए उन्हें जेल से छोड़ दिया और सीबीआइ जांच के बरक्स हिंदू संगठनों के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। अच्छी बात यह कि 2007 में हैदराबाद की मक्का मस्जिद में हुए बम विस्फोट मामले में भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की विशेष अदालत ने असीमानंद समेत सभी पांच आरोपियों को बरी कर दिया है।

मालेगांव विस्फोट मामले पर गौर करें तो 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में रमजान के दौरान एक मस्जिद के बाहर मोटरसाइकिल में बम धमाका हुआ था जिसमें सात लोगों की मौत हुई थी। सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इन धमाकों की जांच करने वाली महाराष्ट्र पुलिस और मुंबई एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को धमाकों का मास्टरमाइंड माना और 23 अक्टुबर 2008 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इस बम धमाके की शुरुआती जांच मुंबई एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे ने की जो अब दुनिया में नहीं हैं। वे 26/11 आतंकी हमले में शहीद हो गए। एक दशक तक चले मुकदमें के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए। उस दरम्यान कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह समेत कई नेताओं ने खूब कुप्रचारित किया कि इस बम धमाके के पीछे हिंदू संगठनों का हाथ है। यहां तक कि शहीद हुए हेमंत करकरे की हत्या के पीछे भी हिंदू संगठनों के हाथ होने का दावा किया गया। लेकिन 2016 में एनआइए द्वारा पूरक एवं अंतिम जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद दुध का दुध और पानी का पानी हो गया। तब एनआइए ने अपर्याप्त सबूतों का हवाल देते हुए आरोपियों को क्लीनचिट दे दी।

बता दें कि 2009 में मुंबई एटीएस ने इस मामले में अदालत में जो चार्जशीट दाखिल की थी उसमें प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों के विरुद्ध गंभीर आरोप लगाए थे। मुंबई एटीएस ने अपनी जांच में कहा था कि विस्फोटक के साथ रखी मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की थी और वह मुस्लिम बहुल इलाकों में धमाके के लिए आयोजित बैठकों में शामिल होती थी। मुंबई एटीएस ने यह भी आरोप जड़ा था कि भोपाल में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के साथ हुई एक बैठक में कर्नल पुरोहित ने विस्फोटक मुहैया कराने की बात कही थी। लेकिन अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि कर्नल पुरोहित के घर में आरडीएक्स भंडारण का कोई सबूत नहीं मिला है और न ही यह साबित हुआ है कि उन्होंने बम को असेंबल किया। अदालत ने यह भी कहा है कि घटनास्थल से कोई खाली खोल बरामद नहीं हुए जबकि आरोप में फायरिंग की बात कही गई थी। अदालत ने यह भी कहा है कि न तो कोई फिंगर प्रिंट और न ही डीएनए सैंपल लिया गया। यहां तक कि मोटरसाइकिल का चेसिस नंबर भी मिटा दिया गया। अदालत ने साध्वी प्रज्ञा सिंह मामले में स्पष्ट कहा है कि मोटरसाइकिल का मालिकाना हक या कब्जे को लेकर कोई ठोस सबूत भी पेश नहीं किया गया।

गौरतलब है कि इन सभी पर यह आरोप लगाए गए कि वे फरीदाबाद और भोपाल में साजिश रचने के लिए बैठक किए। लेकिन अदालत ने कहा है कि इसका कोई सबूत नहीं मिला है। अब सवाल यह उठता है कि फिर प्रज्ञा सिंह ठाकुर, कर्नल पुरोहित समेत सभी सात लोगों को फंसाने की साजिश किसके इशारे पर रची गयी? मालेगांव कांड का असली गुनाहगार कौन है?

-अरविंद जयतिलक

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: #Malegaon #MalegaonDiaries #hindivivekmagazine #magazine #reads #world #viral #india #reach #clickes #google #pragyasingh #sadhwi #purohitupdates

हिंदी विवेक

Next Post
एडवोकेट श्री जयप्रकाश मिश्रा जी का हार्दिक अभिनंदन !

एडवोकेट श्री जयप्रकाश मिश्रा जी का हार्दिक अभिनंदन !

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0