हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
फैशन : परंपरा और आधुनिकता का फ्यूजन

फैशन : परंपरा और आधुनिकता का फ्यूजन

by अमोल पेडणेकर
in फैशन दीपावली विशेषांक - नवम्बर २०१८, संपादकीय
1

 

फैशन याने जो है उससे अधिक आकर्षक बनकर प्रस्तुत होने की उत्कट इच्छा। मनुष्य में यह इच्छा न होती तो वह अन्य जीवों से अलग न होता। मनुष्य किसी साचे में बंधा नहीं रहना चाहता। इससे जीवन में उकताहट आ जाती है। इससे पार पाने के लिए उसने नयापन अर्थात सौंदर्य के सृजन का रास्ता अपनाया होगा। बहरहाल, सौंदर्य क्या है, यह प्रश्न शेष रहता ही है और उसके अनेकानेक उत्तर भी हैं। इस प्रश्न को लेकर भेद-मतभेद भी खूब हैं। दुनिया के सौंदर्य समीक्षक सौंदर्य की सर्वमान्य परिभाषा आज तक नहीं खोज पाए हैं।  सौंदर्य और सौंदर्य की संकल्पना में आने वाली फैशन के बारे में बहुत मत-मतांतर हैं। फैशन निर्विवाद नहीं है, इसलिए इस विषय के पचड़े में न पड़ने वाले भी बहुत हैं। फिर भी, किसी को ‘फैशन’ का विषय निर्विवाद नहीं लगता, स्वीकार नहीं होता इसलिए फैशन के महत्व को हम नकार नहीं सकते। ‘हिंदी विवेक’ मासिक पत्रिका ने भी फैशन यह मतमतांतर वाला विषय प्रस्तुत दीपावली विशेषांक के लिए चुनने का साहस ही किया।

प्रकृति ने हमारे आसपास अपार सौंदर्य बिखेरा है, फिर भी मनुष्य फैशन के माध्यम से और सौंदर्य की निर्मिति क्यों करना चाहता है? यह सवाल हमारे मन में कभी-कभी आता ही है। केवल जीना ही हो तो अन्न, वस्त्र, आश्रय जैसी बुनियादी बातें पर्याप्त होती हैं। लेकिन, केवल इस तरह के जीने से आदमी संतुष्ट नहीं होता। जो मिला है उसीमें संतुष्ट होने की अपेक्षा उसे और अधिक सुंदर बनाने की चेष्टा करना मनुष्य की मूल प्रवृत्ति है। यह प्रवृत्ति मनुष्य को चैन से बैठने नहीं देती। इस बेचैनी से ही फैशन जन्म पाती है। मनुष्य सौंदर्य की निर्मिति क्यों करता है? मनुष्य स्वयं को विभिन्न परिधानों, अलंकारों से क्यों सजाता है? इसलिए कि मनुष्य के जीवन में आने वाली भिन्न-भिन्न तरह की कुरुपताओं और निराशा के प्रतिकार का ‘फैशन’ एक आंदोलन है। प्रकृति तरह-तरह की बातों का सृजन करती है। मनुष्य भी इसी तरह के सृजन का परिणिती है। लेकिन, जैसे सृष्टि थमती नहीं वैसे मनुष्य भी थमता नहीं, खुद भी सृजन करना चाहता है। सौंदर्य का सृजन। ‘फैशन’ इसका जरिया है।

‘फैशन’ याने क्या? यह पूछने पर हमारा सहज उत्तर होता है- स्टाइलिश पेहराव। फबने वाला गेट-अप! यह कहना जितना आसान है उतना ‘फैशन’ का क्षेत्र आसान नहीं है। कई बार फैशन को परिधानों की डिजाइन तक सीमित कर दिया जाता है। लेकिन, फैशन से और कई बातें जुड़ी होती हैं। भारतीय फैशन दुनिया में ‘मोस्ट हॉट हैपनिंग’ का क्षेत्र है। भारत के फैशन क्षेत्र का कारोबार दुनिया के फैशन कारोबार से बहुत कम है। भारतीय फैशन क्षेत्र दुनिया के फैशन क्षेत्र से बहुत पीछे है। यह पिछड़ना आर्थिक मामलों में है, लेकिन उसे 2,000 वर्षों की वस्त्रोद्योग व सौंदर्य प्रसाधनों के उत्पादन की समृद्ध परंपरा प्राप्त है। कपास और पश्मीने का जिक्र पुरानों में भी आता है। भारत में पौराणिक व ऐतिहासिक काल में ऐश्वर्यशाली वस्त्रालंकारों की परंपरा रही है। उन बातों से हम विमुख होते दिखाई दे रहे हैं। लेकिन, इसे संभावनाओं के अर्थ में देखें तो इस क्षेत्र में करिअर, समृद्धि और सफलता के शिखर पर पहुंचने के आज अपार अवसर दिखाई देते हैं।

पिछले कुछ वर्षों में फैशन के बारे में भारतीयों की अनुभूतियां विस्तृत होती जा रही हैं। लेटेस्ट फैशन, लेटेस्ट ट्रेंड क्या है, इसकी आम लड़कियों को भी काफी जानकारी होती है। पहले फैशन हिंदी फिल्मों से आती थी। लेकिन, आज हिंदी फिल्मों की फैशन चाहे जितनी ‘हिट’ हो, किंतु वह जस के तस नहीं उठाई जाती। फैशन का दायरा वहीं तक सीमित नहीं होता। हमारे युवाओं, महिलाओं-पुरुषों को इसकी खूब खबर होती है कि बाजार में नया क्या आया है, फिलहाल क्या ट्रेंड चल रहा है, विशेष याने दुनिया में कौनसा ट्रेंड चल रहा है? वैश्विक फैशन ब्रांड हमारे यहां भी लोकप्रिय बनते जा रहे हैं। लेकिन, साथ में देसी ब्रांड भी उनके मुकाबले खड़े हो गए हैं और लोकप्रिय भी होते जा रहे हैं।

आम तौर पर ‘फैशन’ कहने पर ग्लैमर ही हमारी आंखों के समक्ष आता है। केवल कलाकारों, उच्चस्तरीय लोगों तक ही फैशन सीमित होने के दिन अब लद चुके हैं। अपने रूप और अपनी प्रस्तुति के बारे में आम लोग भी जागरूक हो गए हैं। इसलिए फैशन के क्षेत्र का विस्तार खूब होता जा रहा है। अतः फैशन के क्षेत्र में कदम रखने को युवा अब बहुत उत्सुक हैं। इसमें असीमित अवसर दिखाई देते हैं। फैशन रोजमर्रे के जीवन का अनिवार्य अंग बन गई है। बढ़ती आय के साथ व्यक्ति की क्रय शक्ति भी बढ़ गई है। इसलिए फैशन के क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों की बड़े पैमाने पर आवश्यकता है। इससे रोजगार के असीमित अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।

फैशन तेजी से बदलता क्षेत्र है। उसमें जादुई ताकत है। पुरुषों और महिलाओं का व्यक्तित्व फैशन के कारण ही खिलता और उभरता है। इसके लिए कला और सृजनता की आवश्यकता होती है। कब और किस समय किस बात की फैशन चल निकलेगी इसका अचूक अनुमान लगा पाना इस क्षेत्र में सफलता की अनिवार्य शर्त है। फैशन का मतलब उठाई कैंची और झटपट काट दिया ऐसा नहीं है। फैशन डिजाइनिंग एक कला है। इस कला में माहिर होने के लिए मन का संवेदनशील होना बहुत जरूरी है। इसलिए एक कोने में रहकर, दुनिया से दूरी बनाकर डिजाइन नहीं बनाई जा सकती। इस क्षेत्र में सफल होने के लिए लोग क्या चाहते हैं, उनकी पसंद-नापसंद क्या है, आसपड़ोस में होने वाले बदलाव क्या हैं आदि सभी की जानकारी रखनी होती है। सार यह कि फैशन सौंदर्य ढंकने का नहीं सौंदर्य निखारने का साधन है। इसलिए दुनिया में फैशन पर जितना खर्च किया जाता है उतना अन्य किसी बात पर नहीं किया जाता। जूतें-चप्पल, ज्वेलरी, वालेट, पर्सेस, बेल्ट्स, जैकेट्स, स्कार्फ आदि सहायक साधन ग्राहकों का परिधान और व्यक्तित्व को देख कर डिजाइन किए जाते हैं। इसका बाजार दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। फिलहाल, इनके भिन्न-भिन्न ब्रांड बाजार में उपलब्ध हैं।

‘सब से हटके दिखने’ की फैशन अब अनिवार्य मानी जाती है। किसी जमाने में लोकप्रिय रहा परिधान, गहनें और केश विन्यास फैशन के नाम पर पुनः अवतीर्ण होता है। फैशन का कालचक्र कभी थमता नहीं, निरंतर घूमता रहता है। पिछले कुछ वर्षों में भारत में फैशन उद्योग का फैलाव तेजी से हो रहा है। भारतीय फैशन उद्योग के सितारे दुनिया के अन्य भागों में भी चमचमा रहे हैं और इस कारण इस क्षेत्र में अवसरों की भरमार हैं। इसका कुल प्रभाव पिछले कुछ समय से दिखाई दे रहा है। मनुष्य प्राकृतिक अवस्था से लेकर चमड़ा और पेड़ों के पत्तों के इस्तेमाल और वहां से वस्त्रालंकार व बाद में बिकनी तक क्रांतिकारी सफर करता रहा है। फैशन के बारे में विचार करें तो दुनिया गोल है इसकी अनुभूति होती है और मन में प्रश्न उठता है कि विवस्त्र अवस्था से आरंभ आदमी की  फैशन यात्रा फिर कहीं वहीं न पहुंच जाए!

आज सौंदर्य को संवारने और बनाए रखने के लिए अनेक तरकीबों का इस्तेमाल किया जाता है। प्लास्टिक सर्जरी कर नाक को सुंदर बनाना, अतिरिक्त चरबी मशीन से बाहर निकलवाना, जीरो साइज के लिए डायटिंग करना, पैरों को कोमल बनाने के लिए त्वचा को उत्तेजित करने वाले उपाय करना आदि न जाने कैसे-कैसे उपाय महिलाएं सौंदर्य पाने के लिए करती हैं। पुरुष भी अपने सिक्स पैक को दिखाने और तंदुरुस्त दिखने के लिए क्या नहीं करते! लेकिन केवल बाह्य सौंदर्य की रक्षा कर ही अपनी आकर्षकता में वृद्धि होती है, यह सच नहीं है। रूप, फैशन और सौंदर्य ये अलग-अलग बिंदु हैं। रूप और फैशन बाहरी सौंदर्य से जुड़े हैं और दोनों में सामंजस्य लगभग असंभव है। इसलिए आंतरिक सौंदर्य का ‘शिवतत्व’ जोड़ने वाली, उस प्रकार का जीवनदायी आधार देने वाली ‘फैशन’ खोजना अत्यंत आवश्यक लगता है। फैशन एक शौक है। किसी भी शौक को पूरा करने के लिए संतुष्टि की एक सीमा रेखा क्या हो, इसका विचार करना भी जरूरी है। अतः लगता है कि, अपना ‘मिडास’ बनने से बचना चाहिए।

‘हिंदी विवेक’ मासिक पत्रिका का दीपावली विशेषांक पिछले नौ वर्षों से संवेदनशीलता व नवनिर्मिति की नींव का सूत्र पकड़कर प्रकाशित किया जाता है। विषय के प्रति पूर्ण समर्पित, ज्ञानवर्धक विेशेषांक ‘हिंदी विवेक’ की विशेषता है। इसी परंपरा के अनुरूप, किंतु भारतीय सौंदर्य, वेशभूषा, वस्त्रालंकार आदि की जानकारी देने वाला प्रस्तुत फैशन विशेषांक इस वर्ष की दीपावली का खास तोहफा है। फैशन क्षेत्र के मान्यवरों के लेख इस विशेषांक की विशेषता है। लेखकों, विज्ञापनदाताओं, हितचिंतकों के सहयोग के कारण ही इस विशेषांक का ‘शिवधनुष्य’ हम उठा सके। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी फैशन दीपावली विशेषांक के माध्यम से ‘हिंदी विवेक’ ने हटके विषय प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इसमें हमें कितनी सफलता मिली, यह आप जैसे सुविज्ञ पाठकों की प्रतिक्रियाओं से ही हमें पता चलेगा। हम उसकी प्रतीक्षा में हैं।

‘हिंदी विवेक’ के पाठकों, लेखकों, विज्ञापनदाताओं, हितचिंतकों आदि सभी को दीपावली और नववर्ष की अनंत शुभकामनाएं।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: fashion

अमोल पेडणेकर

Next Post

हिंदी विवेक का फैशन दीपावली विशेषांक ट्रेंड सेटर है- मा. मोहनजी भागवत

Comments 1

  1. प्रोफेसर श्री राम अग्रवाल झाँसी says:
    7 years ago

    प्रत्येक स्त्री और पुरुष के मन में एक अन्तर्निहित सौन्दर्यबोध होता है। उसकी अभिव्यक्ति वह अपने माध्यम से ही सर्वश्रेष्ठ रूप में कर सकता है। उसकी लालसा भी होती है और प्रेरणा भी कि उसके द्वारा प्रस्तुत इस भाव की लोग व्यक्त अथवा अव्यक्त भावात्मक प्रशंसा भी करें । यही सनातन भाव सदैव से ही नित नयी फैशन परम्परा को जन्म देता रहा है। यदि फैशन के माध्यम से आधुनिकता बोध के साथ हम अपनी संस्कृति को भी नित नये परिवेश में अभिव्यक्त करने में सक्षम होते हैं तो हमारी आने वाली पीढियों में भारतीय राष्ट्रीय संस्कृति बोध भी बना रहेगा ।
    हिन्दी विवेक का दीपावली पर प्रस्तुत फैशन विशेषांक अपने इस उद्देश्य की पूर्ति में पूर्णतः सफल रहा है। पूरे विवेक सम्पादन परिवार को इस हेतु बधाई एवं साधुवाद ।

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0