फैशन पर भारी खादी

Continue Readingफैशन पर भारी खादी

खादी वस्त्र नहीं विचार है, भारतीय संस्कृति का आधार है। खादी हिंदुस्थान की समस्त जनता की एकता और उसकी आर्थिक स्वतंत्रता का प्रतीक है। करोड़ों को वह रोजगार देती है, अपनत्व देती है। खादी ने अब करवट ली है, वह आधुनिक फैशन और ग्लैमर का हिस्सा बन गई है।

फुटवेयर पांव ना रहे जमीन पर

Continue Readingफुटवेयर पांव ना रहे जमीन पर

जूतें-चप्पल केवल हमारे पैरों की सुरक्षा ही नहीं करते, वे फैशन में भी शुमार हो गए हैं। दिन और परिधानों के अनुसार अलग-अलग रंगों, डिजाइनों में ये उपलब्ध हैं। लेकिन यह ध्यान रहें, ये आरामदायी हों, अनावश्यक ऐंठन पैदा करने वाले न हो। फैशन का माने सेहत से खिलवाड़ नहीं है।

फैशन का गृहप्रवेश, माध्यम फिल्में

Continue Readingफैशन का गृहप्रवेश, माध्यम फिल्में

फिल्में, यद्यपि आती जाती रहती हैं फिर भी समाज से फैशन का रिश्ता कायम रहता है। समाज उसमें भी कुछ नया ढूंढ़ने की कोशिश करता है। फैशन को बढ़ाने में फिल्मों का बहुत बड़ा योगदान है।

रुपहले परदे पर बरकरार फैशन की चमक

Continue Readingरुपहले परदे पर बरकरार फैशन की चमक

गुजरे ज़माने की फिल्मों में फैशनेबल कपड़ों का चलन काफी कम था और कलाकारों की ड्रेस कम बजट और स्थिति को देखते हुए तय की जाती थी, लेकिन आज ब्राण्ड का दौर है, कंपनियों की लाइन लगी हुई है और हर शुक्रवार यहां फैशन बदलता है।

फैशन उद्योग

Continue Readingफैशन उद्योग

भारतीय फैशन उद्योग का देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में 14 प्रतिशत हिस्सा है और सकल घरेलू उत्पाद का 8 प्रतिशत इसी उद्योग से प्राप्त होता है। इतना ही नहीं भारतीय फैशन उद्योग लगभग 38 मिलियन लोगों को स्वरोजगार एवं रोजगार प्रदान करता है। इस उद्योग में एक बार पहचान बन जाए तो अपार संभावनाओं के द्वार खुलते हैं।

कामकाजी महिलाओं की फैशन

Continue Readingकामकाजी महिलाओं की फैशन

महिलाएं जॉब क्या करने लगीं, कई वर्गों में बंट गईं। गरीब, अर्ध-मध्यम और मध्यम वर्ग के अपने-अपने पैमाने बन गए। उनके फैशन के भी मानक बदल गए। माना कि हर सिक्के के दो पहलू हैं- नकारात्मक और सकारात्मक। जरा देखें कहां पहुंचना चाहते हैं हम-

मेंहदी लगा के रखना…

Continue Readingमेंहदी लगा के रखना…

मेंहदी केवल श्रृंगार की ही वस्तु नहीं है, बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर है। मेंहदी शादी-ब्याह में रस्म का हिस्सा है। मेंहदी से मनपसंद टैटू भी आजकल बनाए जाते हैं। भारत समेत पूर्वी देशों में मेंहदी जीवन का अभिन्न अंग है।

फैशन की मारी दुनिया बेचारी

Continue Readingफैशन की मारी दुनिया बेचारी

“मुझे पहली बार पता चला कि आजकल कम कपड़ों में, नंगे या फटे कपड़ों में घूमना ही बड़े होने और फैशन की निशानी है। और वास्तव में यह शर्म का नहीं बल्कि गर्व का विषय है।”

रंगों से जानिये स्वभाव

Continue Readingरंगों से जानिये स्वभाव

फैशन व्यक्ति के निजी स्वभाव को भलिभांति दर्शाता है। हर व्यक्ति के स्वभाव में किसी खास रंग के प्रति लगाव झलकता है। किसी को भड़कीले रंग एवं खालिस चमकीले वस्त्र लुभाते हैं, तो कुछ लोग हलके और सौम्य वस्त्र पसंद करते हैं

मुस्लिम महिलाओं के पेहराव और फैशन

Continue Readingमुस्लिम महिलाओं के पेहराव और फैशन

इस्लामी संस्कृति में परिधानों के कई प्रकार हैं। उन पर भी तरह-तरह की कारीगरी से चार चांद लग जाते हैं। गत कुछ वर्षों से ब्यूटी कांटेस्ट- सौंदर्य स्पर्धाओं- में इस्लामी लिबास में महिला स्पर्धक भाग लेती दिखाई देती हैं। इस्लामी फैशन डिझाइनें भी बदलते समय के अनुसार बदल रही हैं।

फैशनेबल बचपन

Continue Readingफैशनेबल बचपन

बच्चे भी फैशन के दीवाने हैं। रैम्प पर चलने वाले ये नन्हें कदम इतने आत्मविश्वास से भरे होते हैं कि इनके सामने हर फैशन फीकी दिखाई देती है।

अति से विकृति

Continue Readingअति से विकृति

फैशन अगर व्यक्त्वि को आकर्षक बनाती है, आत्म-विश्वास देती है, तो उसकी अति अनेक प्रकार की शारीरिक, मानसिक विकृतियों को भी जन्म देती हैं। फैशन के प्रति स्वीकृती तो हो, लेकिन वह विकृति की सीमा तक नहीं पहुंचनी चाहिए।

End of content

No more pages to load