दिल्ली धमाका चेतावनी है कि जिहाद अब गांवों तक सीमित नहीं बल्कि व्हाइट कॉलर प्रोफेशनल्स तक फैल चुका है। अब आवश्यक है शैक्षणिक संस्थानों की सख्त जांच, बैकग्राउंड वेरिफिकेशन, साइबर मॉनिटरिंग अन्यथा यह नेटवर्क और मजबूत हो सकता है। भारत को एकजुट होकर इस जिहादी इकोसिस्टम को उखाड़ फेंकना होगा।
मेडिकल जिहाद का मतलब है कि चिकित्सा पेशे की आड़ में कट्टरपंथी विचारधारा को फैलाना और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना। शिक्षा जिहाद में विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों का प्रयोग जिहादी प्रचार के लिए किया जाता है। दिल्ली धमाके की जांच में ये दोनों धाराएं स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आई हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और दिल्ली पुलिस ने पाया कि उमर नबी के अलावा कम से कम 6 डॉक्टर इस नेटवर्क का हिस्सा थे, जो 8 शहरों- दिल्ली, फरीदाबाद, पुलवामा, अनंतनाग, सहारनपुर, कानपुर, लखनऊ और नूह-में फैले हुए थे। इनका एकमात्र उद्देश्य था- भारत को अस्थिर करना, कट्टरपंथी विचारधारा फैलाना और गजवा-ए-हिंद जैसे जिहादी कैंपेन को बढ़ावा देना।
मेडिकल जिहाद: डॉक्टरों का घिनौना चेहरा
यह नेटवर्क ‘डॉक्टर टेरर मॉड्यूल’ के नाम से जाना जाता है, जिसमें उच्च शिक्षित चिकित्सक शामिल थे। उमर के अलावा मुख्य आरोपी थे-
डॉ. मुजम्मिल शकील: अल फलाह यूनिवर्सिटी में शिक्षक, जिनके कमरे नम्बर 13 (बिल्डिंग 17) में साजिश रची गई। उनके पास कोडेड डायरी मिली, जिसमें ऑपरेशन शब्द बार-बार आता था।
डॉ. शाहीन सईद: लखनऊ की रहने वाली, मुजम्मिल की कथित गर्लफ्रेंड। अल फलाह में काम करती थीं और विस्फोटक जमा करने में शामिल।
डॉ. अदील अहमद राथर: सहारनपुर में गिरफ्तार। जसीर बिलाल वानी उर्फ ‘डैनिश’ को सुसाइड बॉम्बर बनाने की कोशिश की।

अन्य तीन डॉक्टर: पुलवामा, कानपुर और अनंतनाग से, जो स्विट्जरलैंड- बेस्ड थ्रीमा ऐप पर सम्पर्क में थे।
ये डॉक्टर मेडिकल नॉलेज का प्रयोग विस्फोटकों के निर्माण में करते थे। पहले आतंकी जंगलों में हथियारों की ट्रेनिंग लेते थे, लेकिन अब ये मेट्रो शहरों में रहते हुए डिजिटल नैरेटिव बनाते, रासायनिक फॉर्मूले समझते और सोशल नेटवर्किंग से भर्ती करते। एनआईए ने पाया कि यह मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद से जुड़ा था। एक पोस्टर श्रीनगर में मिला, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद की महिलाओं की विंग स्थापित करने का प्लान था।

शिक्षा जिहाद: अल फलाह यूनिवर्सिटी का काला अध्याय
शिक्षा जिहाद का केंद्र बिंदु है अल फलाह यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद का 76 एकड़ का कैंपस। यहां उमर, मुजम्मिल और शाहीन काम करते थे। यूनिवर्सिटी पर दो एफआईआर दर्ज हुईं- यूजीसी और एनएएसी की अनियमितताओं के लिए। एनएएसी ने फर्जी एक्रिडिटेशन के आरोप में शो-कॉज नोटिस जारी किया और यूनिवर्सिटी की वेबसाइट डाउन हो गई। विश्व हिंदू परिषद ने मांग की कि अल फलाह जैसे संस्थानों की जांच हो क्योंकि यहां जिहाद के नाम पर हिंसा फैलाई जा रही है। विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, इस्लाम और जिहाद के नाम पर उत्पात हो रहा है। ऐसे विश्वविद्यालयों में कट्टरपंथ फैलाया जा रहा है।
फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी के कैंपस में हुई छापेमारी में एक संदिग्ध ब्रेजा कार बरामद हुई है। यह कार डॉ. शाहीन सईद के नाम पर रजिस्टर्ड है और इसे दिल्ली धमाके से जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि यह उसी डॉक्टर टेरर मॉड्यूल का हिस्सा मानी जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा कार की गहन जांच की जा रही है।

आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर नबी के सहयोगी जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश पॉलिटिकल साइंस ग्रेजुएट है और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा था। वह अक्टूबर 2024 में एक मस्जिद में डॉक्टरों से मिला, फिर अल फलाह ले जाया गया। वहां उसे सुसाइड बॉम्बर बनाने की ब्रेनवॉशिंग की गई, लेकिन वह पीछे हट गया। यूनिवर्सिटी के बॉयज हॉस्टल में मीटिंग्स होती थीं, जहां जिहादी प्रचार किया जाता था। खुफिया एजेंसियों ने पाया कि यूनिवर्सिटी के रिकॉर्ड्स में फर्जीवाड़ा था और यह गशच के ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (जॠथ) का हब था।

फंडिंग और नेटवर्क: कौन गाइड कर रहा है?
यह नेटवर्क हवाला रूट्स से फंडेड था। तीन डॉक्टरों (उमर, मुजम्मिल, शाहीन) से जुड़े 20 लाख रुपये गशच के हैंडलर को भेजे गए। 3 लाख रुपये 26 क्विंटल एनपीके उर्वरक खरीदने में खर्च हुए, जो विस्फोटक बनाने के लिए इस्तेमाल हुए। नूह के एक दुकानदार को अमोनिया नाइट्रेट बेचने के लिए हिरासत में लिया गया।
गाइडिंग हैंड्स विदेशी हैं: तुर्की-बेस्ड हैंडलर ‘उकासा’(कोडनेम) ने निर्देश दिए। 2022 में उमर की तुर्की यात्रा के दौरान स्ट्राइक्स प्लान बने। अफगानिस्तान और दुबई से लिंक्स मिले। गशच की पाकिस्तान-बेस्ड विंग ने महिलाओं का सेल स्थापित करने का प्लान किया। एनआईए ने इंटरपोल के साथ मिलकर स्लीपर सेल्स को ट्रैक किया, जो डार्क वेब और एन्क्रिप्टेड चैट पर सक्रिय थे।
उच्च प्रशिक्षित लोग: रणनीति का नया रूप
यह नेटवर्क उच्च प्रशिक्षित लोगों से भरा था- एमबीबीएस, एमडी होल्डर्स, जो अनंतनाग गवर्नमेंट हॉस्पिटल और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थानों से पास हुए। वे ड्रोन हमलों (हामास स्टाइल) और रॉकेट-बेस्ड खएऊी की प्लानिंग कर रहे थे। उमर ने जसीर को महीनों ब्रेनवॉश किया, लेकिन असफल रहा।
अंतरराष्ट्रीय उदाहरण: अल-कायदा चीफ इंजीनियर था, ओसामा बिन लादेन उच्च शिक्षित। भारत में इंडियन मुजाहिद्दीन का पैटर्न समान।
-आशीष कुमार ‘अंशु’
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