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सरदार पटेल पुण्यतिथि 15 दिसम्बर पर विशेष

सरदार पटेल पुण्यतिथि 15 दिसम्बर पर विशेष

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, दिनविशेष
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नेहरू की आत्ममुग्धता के साक्ष्य – सरदार पटेल के वेदनापूर्ण पत्र
पारिवारिक, सामाजिक, राजनैतिक क्षेत्रों में पत्राचार का अपना एक बड़ा महत्व रहा है। एक समय ऐसा था जब परस्पर लिखे गए ये पत्र राष्ट्र की दिशा को मोड़ देने में भी अपनी भूमिका निभाते थे। कई पत्र इतने सार्वजनिक महत्व के रहते थे कि वो सामाजिक विमर्श का विषय बन जाते थे। ऐसे पत्र आज भी इतिहास की पुस्तकों में सम्मिलित है।
स्वतंत्रता आंदोलन के मध्य और स्वातंत्र्योत्तर काल में ऐसी बहुत सी चिट्ठियाँ सरदार वल्लभभाई पटेल ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को लिखी थीं। इन पत्रों में नेहरू जी की कार्यशैली के प्रति वल्लभभाई अपनी नाराजगी और असहमति प्रकट करते हैं। नेहरू जी और पटेल जी के परस्पर संबंधों की खट्टी-मीठी, तनाव भरी बातें इन पत्रों में स्पष्ट ही झलकती है। भविष्य के भारत की चिंता को लेकर इन दोनों के मध्य अंतर्विरोधों का एक बड़ा संसार जन्म ले चुका था जो इन पत्रों में समाहित है।Rare images of Sardar Vallabhbhai Patel from the lens of Kulwant Roy | Research News - The Indian Express

1950 में, लौहपुरुष द्वारा पंडित नेहरू को चीन के विषय में लिखा गया पत्र चीन के संदर्भ में नेहरू की गलतियों को बताता है। इस पत्र में उन्होंने तिब्बत के संदर्भ में चीन की आक्रामकता के बारे नेहरू को चेतावनी दी थी। पूर्वोतर भारत को लेकर लौह पुरुष की चिंता व दूरदृष्टि इस पत्र में झलकती है।

सरदार पटेल ने नेहरू जी को एक पत्र 3 जुलाई, 1939 को लिखा था। इस पत्र में सरदार पटेल ने लिखा था कि गांधीजी आपसे सर्वाधिक प्रेम करते हैं। वे स्पष्टतः गांधी जी के नेहरू जी के प्रति अंधे मोह से होने वाली आपदाओं को भाँप रहे थे। समूचे देश ने उस समय सरदार पटेल की इन भावनाओं को समझा भी था तब ही तो सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनाने हेतु समूची कांग्रेस अड़ी हुई थी। दूसरी और महात्मा गांधी जी नेहरू को प्रधानमंत्री बनाने का दुराग्रही प्रकार का हठ पाले हुए थे। ऐसा ही एक पत्र लौह पुरुष ने 7 नवंबर, 1950 को लिखा था। यह पत्र तिब्बत के संदर्भ में चीन के व्यवहार के प्रति चिंता प्रकट करता है। यह पत्र चीन के संदर्भ में भारतीय गणराज्य के गृहमंत्री की नहीं अपितु समूचे राष्ट्र की भावनाओं का प्रकटीकरण था। दुखद यह रहा कि नेहरू समय रहते चेते नहीं।आज भी इस पत्र को पढ़कर हम सरदार पटेल की दूरदर्शिता एवं नेहरू जी की भयंकर भूलों का आभास कर सकते हैं।

नेहरू लेडी एडविना से प्रेरित राजनीति में रमे रहे। नेहरू के अंग्रेजीदां रहन-सहन, विचार प्रक्रिया, निर्णय प्रक्रिया ने राष्ट्र के समक्ष चीन और तिब्बत के विषय में एक नई उलझन खड़ी कर दी थी। सरदार पटेल बारम्बार तिब्बत पर चीन के नियंत्रण को लेकर चेता रहे थे और नेहरू उन्हें अनदेखा कर रहे थे।

Sardar Vallabhbhai Patel death anniversary: 5 interesting facts about the man behind United India

चीन के विस्तारवाद को पटेल साहब समझ चुके थे। इसी को लेकर उन्होंने नेहरू जी को लिखा था कि चीन व पूर्वोत्तर के सात राज्यों के हेतु एक स्पष्ट नीति, उत्तरी सीमाओं पर सैन्य तथा गुप्तचर विभाग की सुदृढ़ व सुव्यवस्थित, व्यापक उपस्थिति होनी चाहिए। नेहरू जी ने इसे भी अनदेखा किया था।

सरदार पटेल का ऐसा एक पत्र 14 नवंबर, 1950 का भी है। सरदार पटेल ने अस्वस्थ होते हुए भी नेहरू जी को जन्मदिन का बधाई पत्र लिखा था, इसमें उन्होंने कुछ चिंतनीय विषयों पर नेहरू के साथ एकांत में चर्चा करने की इच्छा व्यक्त की थी। इस पत्र से झलकता है कि समूचे देश की 560 से अधिक बिखरी रियासतों को एक माला में पिरोने का महान कार्य करने वाला गृहमंत्री अपने प्रधानमंत्री से चर्चा करने हेतु भी समय मांगा करता था। इससे हम सरदार पटेल की उपेक्षा का आभास कर सकते हैं। सरदार पटेल ने तिब्बत और डोकलाम को लेकर अपनी दूरदर्शिता भरे पत्रों में चीन के साथ हुए 1962 व 1965 के युद्ध की आशंका व्यक्त कर दी थी। सरदार पटेल का ऐसा ही 28 मार्च, 1950 को नेहरू को लिखा पत्र भी उल्लेखनीय है। इसमें तमाम विरोधाभासों व असहमतियों के रहते हुए भी राष्ट्रहित में नेहरू के प्रति निष्ठा और विश्वास व्यक्त करने का है।

इस पत्र में वल्लभभाई लिखते हैं, बापू ने मुझ संग चर्चा में कहा था कि मैं और तुम मिलकर काम करें। क्योंकि यदि हम ऐसा नहीं करेंगे तो वह कदापि देश के हित में नहीं होगा। बापू के इन शब्दों को याद करते हुए मैंने पूरी कोशिश की है कि मैं आपके हाथों को मजबूत करूं। ऐसा मैंने हरसंभव किया है। ऐसा करते हुए मैंने अपने विचारों को हर संभव ढंग से बताने की कोशिश की। मैंने तुम्हें पूरी वफादारी के साथ समर्थन किया। ऐसा करते समय मैंने अपने पर पूरा नियंत्रण रखा। इन पिछले दो वर्षों में मैंने ऐसा कोई भी रास्ता नहीं अपनाया जो तुम्हारे द्वारा अपनाई गई नीति के विरूद्ध हो। इस दरम्यान मेरे और तुम्हारे बीच में कुछ मतभेद भी हुए। इस तरह के मतभेद स्वभाविक हैं। परंतु इन मतभेदों के बावजूद हमने मिलाजुला रास्ता अपनाया।

इस पत्र में पटेल विदेश नीति के संदर्भ में लिखते हैं – जहां तक विदेश नीति का सवाल है मुझे याद नहीं पड़ता कि इस मामले में मैंने कभी भिन्न मत जारी किया हो, सिवाए उस समय जब कैबिनेट में ऐसे किसी विषय पर चर्चा हुई हो। मैंने ऐसी राय से तुमको अवगत कराया है। वह भी कुछ विशेष नीति के संदर्भ में। शायद मैं यह कहने की स्थिति में हूँ कि विदेशी मामलों में मैंने तुम्हारी नीति में किसी किस्म की बाधा पहुंचाई हो। सरदार पटेल ने अपने पत्र में लिखा था, मैं भी इस राय का हूं कि हमारे मिलेजुले कदम देश की प्रगति के लिये आवश्यक हैं। सच पूछा जाए तो बापू ने जो 1948 के जनवरी माह में कहा था वो आज भी पूरी तरह से उचित है। इसलिए मैंने उस संदर्भ में तुमसे अपील की थी कि तुम कोई भी ऐसा कदम न उठाओ जिसमें पद को छोड़ने की संभावना हो। क्योंकि ऐसा कोई भी कदम कदापि राष्ट्र के हित में नहीं होगा। इस तरह का कोई भी कदम देश के लिए पूरी तरह हानिप्रद होगा और इसलिए मैं सदा सोचता रहा हूं कि मुझे

तुम्हारा पूरा विश्वास प्राप्त है। मेरी कदापि यह इच्छा नहीं है कि मैं किसी पद पर रहूं, यदि मैं बापू द्वारा दिये गये मिशन को पूरा करने की स्थिति में नहीं हूं। बापू ने मुझे स्पष्ट कहा था कि मैं तुम्हारे हाथों को मजबूत करूं और मैं गलती से भी यह बात महसूस करने कि स्थिति में नहीं हूँ कि तुम्हारे प्रति मेरी वफादारी नहीं है, या तुम यह सोचो कि तुम्हारे द्वारा बनाई गई नीतियों के पालन में मैं किसी किस्म का रोड़ा बन रहा हूं। देश पर जो बीच में विपत्तियां आई हैं उन्हें दूर करने में जो भी समय ईश्वर ने मुझे दिया है उन्हें हल करने में बिताऊं। सच पूछा जाये तो सत्ता से बाहर रहकर भी मैं तुम्हारे हाथ मजबूत कर सकता हूं। मैं कदापि यह नहीं चाहूंगा कि मेरे कारण संगठन और देश किसी प्रकार की बाधा में पड़ जाये। क्योंकि इस समय राष्ट्र को ऐसी आवाज़ और ऐसी ताकत की आवश्यकता है जो एकता से ही संभव है। इन पत्रों से हमें पता चलता है कि नेहरू के आचरण से सरदार पटेल कितना दुखी, अपमानित व उपेक्षित महसूस कर रहे थे।

-डॉ. प्रवीण गुगनानी

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Tags: #SardarPatel #IronManOfIndia #UnityInDiversity #IndianHistory #FreedomFighter #NationalIntegration #PatelJayanti #IndianLeadership #LegacyOfPatel #StatueOfUnity

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