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नौपरिवहन का प्रतिनिधि जे.एन.पी.टी.

by प्रशांत मानकुमरे
in जून २०१७, साक्षात्कार
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देश की नौ परिवहन क्षमता के ४६ प्रतिशत का संवहन करने वाला जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट भी अपने अपको प्रधानमंत्री जी की राष्ट्र विकास की संकल्पना के अनुसार ढाल रहा है। जेएनपीटी के चेयरमैन अनिल डिग्गिकर ने हिंदी विवेक से अपनी राय साझा की:

जेएनपीटी का चेयरमैन बनने के बाद आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
मेरा यह नया कार्य मेरे लिए किसी महासागर की तरह है। जेएनपीटी देश का व्यस्ततम बंदरगाह है जहां से देश से होने वाले या देश में आने वाली नौ परिवहन आवाजाही और सामानों की लदाई का ४६ प्रतिशात कार्य किया जाता है । कुछ समय पूर्व ही देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के हाथों जेएनपीटी के चौथे टर्मिनल का उदघाटन संपन्न हुआ है। इस टर्मिनल पर सामानों की पूर्ण आवाजाही शुरु होते ही जेएनपीटी दुनिया के १५ सबसे बड़े बंदरगाहों में शुमार हो जाएगा।
निकट भविष्य में हमें कई और कार्य भी करने हैं, जैसे कि इसकी क्षमता को दुगुनी करना, इसकी कार्य क्षमता में बढ़ोत्तरी करना, उत्पादकता को बढ़ाना और जीडीपी में बढ़ोत्तरी, रोजगार के नए अवसर पैदा करना; और चूंकि यह पूरा एरिया विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) घोषित किया जा चुका है इसलिए इस बंदगाह में रोजगार के नए अवसर पैदा होने की संभावना प्रबल है।

जेएनपीटी की परियोजना से प्रभावित लोगों की वर्तमान स्थिति क्या है?
यह एक संवेदनशील मुद्दा है और इसका निपटारा सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। दुर्भाग्यवश पिछले २५ वर्षों में जेएनपीटी इस क्षेत्र में परियोजना से प्रभावित लोगों की समस्याओं का निराकरण करनें में विफल रहा है। वर्तमान प्रोजेक्ट का १२.५ प्रतिशत हिस्सा विस्थापितों का था जिसका काफी हद तक निपटारा नहीं हो पाया। हमने देखा कि उनके विस्थापन का एरिया तटीय विनियमन क्षेत्र (सी आर जेड) के अंतर्गत आता है। हम उस इलाके से सी आर जेड समाप्त करवाने की दिशा में हर संभव प्रयास कर रहे हैं। साथ ही हमने राज्य और केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि फिलहाल वैकल्पिक तौर पर उन्हें ‘सेज‘ में घर बनाने की आज्ञा दी जाए।

जेएनपीटी सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था बनने की राह पर है क्या भविष्य में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपंनियों से प्रभावित होने की आशंका है?
सामान्यत: यह माना जाता है कि सरकारी क्षेत्र की अपेक्षा सार्वजनिक क्षेत्र में ज्यादा प्रतिस्पर्धा होती है। यहां जेएनपीटी में बस हमें अपनी कार्य क्षमता और उत्पादकता को सार्वजनिक क्षेत्रों की अपेक्षा ऊंची रखनी है। इसलिए मेरी समझ में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।

क्या जेएनपीटी प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया‘ के स्वप्न को सार्थक करने में सक्षम है ?
हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक विशिष्ट दृष्टि वाले महान व्यक्ति हैं। वे एक उत्साही, महान अवधारणाओं और अभिनव कौशल से परिपूर्ण व्यक्ति हैं। हम सब उनके राष्ट्रहित के स्वप्नों जैसें कि ‘मेक इन इंडिया‘,‘स्वच्छ और हरित नगर‘ जैसी अवधारणाओं के प्रति अधिक दक्षता, अधिक उत्पादकता और अधिक रोजगारपरकता के साथ पूर्ण समर्पित हैं। इसी के तहत हम बंदरगाह की वर्तमान ७० लाख बिलियन की संचालन क्षमता को बढाकर १३० लाख बिलियन तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा सेज (स्पेशल इकोनामिक जोन) २७० हेक्टेयर तक का विस्तार पाने वाला है। यह प्रोजेक्ट प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को तो आकषित करेगा ही साथ ही आजीविका के नए अवसर भी प्रदान करेगा।

आप परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की कार्यशैली से कितने प्रभावित हैं?
निश्चित तौर पर ! और इस बात का मुझे गर्व है। ‘महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एम एस आर डी सी)‘ उन्हीं की देन है। राज्य सरकार में अपने लोक निर्माण विभाग मंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने ही मुंबई-पुणे एक्सप्रेस राजमार्ग की अवधारणा रखी और इसे पूरा भी किया जबकि उस समय तक इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
उन्हीं के कार्यकाल मुम्बई शहर की जाम की समस्या के निदान हेतु ५५ उड़ानपुल बनाने का मसौदा तैयार हुआ और बना भी। सोचिए यदि उस समय यदि उन्होंने उन उड़ानपुलों की संकल्पना नहीं की होती तो आज मुम्बई शहर में जाम की समस्या कितनी गंभीर होती? वे एक महान निर्णय लेने वाले, उत्साह से परिपूर्ण और अपने पोर्टफोलिओ के प्रति समर्पण वाले व्यक्ति हैं। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक बार फिर ऐसे मंत्री के साथ कार्य कर रहा हूं।

डीपीडी सुविधा से आयातकों को रसद लागत और समय में होने वाली बचत पर प्रकाश डालिए ?
अक्टूबर २०१६ में प्रत्यक्ष पोर्ट डिलीवरी (डीपीडी) सेवा शुरु करने के बाद जेएनपीटी ने ३४.४४ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। सरकार कंटेनर टर्मिनल से ट्रान्जेक्शन कॉस्ट को कम करने के लिए डीपीडी को
प्रोत्साहन दे रही है। जेएनपीटी ने एक्जिम ट्रेड के प्रतिमानों, मापदण्ड और प्रणाली को काफी सरल किया है।

आप बंदरगाह में किस प्रकार डिजिटलीकरण को बढावा देने और प्रयोग में लाने का कार्य कर रहे हैं?
हम अपने व्यापारिक भागीदारों के समय और कागजी परेशानियों के प्रति चिंतित हैं इसलिए हमने पेपरलेस होने का निर्णय लिया है। सिस्टम में अधिकतम पारर्शिता और तीव्रता लाने के लिए हम इ-प्लेटफॉर्म को ओर बढ़ रहे हैं। इसमें अन्दर आने और बाहर जाने के लिए उपयोग में आने वाले फार्म-१३ और फार्म-११ की बजाय वेब आधारित एंट्री सिस्टम एक महत्वपूर्ण कदम है!

जेएनपीटी की हरियाली और इको सिस्टम को बनाए रखने की दिशा में क्या प्रयत्न कर रहे हैं?
एक जिम्मेदार बंदरगाह के रूप में जेएनपीटी ने वहां की पर्यावरणीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए हाल ही में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे कि तटीय क्षेत्र को बचाने के लिए तटीय प्रबंधन योजना शुरु की है। बंदरगाह क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के प्रति गंभीर हैं। हम जल्द ही २५ मेगावाट का सोलर सिस्टम लगाने वाले हैं ताकि बंदरगाह की आंतरिक विजली आपूर्ति के मामले में हम आत्मनिर्भर हो सकें ।

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