सर्व समावेशी लोक कलाएं
लोगों के समूह की भावनात्मक दुनिया की कलात्मक अभिव्यक्ति ही लोककला है। ऐसे लोकजीवन में अभी तक जी जान से संभाल कर रखी हुई संस्कृति खंडित होती जा रही है। बदलती हुई ग्राम व्यवस्था, पर्यावरण में होने वाले अकल्पनीय परिवर्तन, विघटित सामाजिक संरचना, घटते हुए जीवन मूल्य ऐसे अनेक कारण परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं।