दोहरी जंग
रमेश आज बहुत खुश था। वह अपने कमरे में अखबारों का ढेर लगाए एक-एक कर सबको पलटने में मशगूल था। अखबारों में अपनी तस्वीरों को देख-देख कर मन ही मन वह इठलाए जा रहा था। आखिर आज वो क्यों न इठलाए? उस पर चारों ओर से खुशियों की बरसात जो हो रही थी।
रमेश आज बहुत खुश था। वह अपने कमरे में अखबारों का ढेर लगाए एक-एक कर सबको पलटने में मशगूल था। अखबारों में अपनी तस्वीरों को देख-देख कर मन ही मन वह इठलाए जा रहा था। आखिर आज वो क्यों न इठलाए? उस पर चारों ओर से खुशियों की बरसात जो हो रही थी।