संगीत एवं अध्यात्म
योगियों की भाषा में संगीत नादयोग है। इसकी साधना करने से संगीत के द्वारा परमात्मा से संबंध स्थापित करना संभव है। कुंडलीनी जागृत करना, षड्चक्र भेदन करना, आदि क्रियाएं नाद योग की साधना से करते हैं।
योगियों की भाषा में संगीत नादयोग है। इसकी साधना करने से संगीत के द्वारा परमात्मा से संबंध स्थापित करना संभव है। कुंडलीनी जागृत करना, षड्चक्र भेदन करना, आदि क्रियाएं नाद योग की साधना से करते हैं।
गायन, वादन तथा नृत्य तीनों का समन्वित रूप संगीत है। भारतीय संगीत का रूप बहुत वृहद् है। संगीत की अनेक शाखाएं हैं। मुख्य रूप से इसे हम शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, सुगम संगीत, वादन, नृत्य आदि रूप में विभक्त कर सकते हैं।