नमामि नर्मदे

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 रामघाट के प्रपातों को देखकर सहस्रधारा का स्मरण हो आया। अंतर यह है कि सहस्रधारा के प्रपात दूर-दूर तक बगरे हैं, जबकि यहां के प्रपातों का रेवड़ एक ही जगह इकट्ठा हो गया है। घोड़े के टाप के आकार की एक विस्तृत सपाट चट्टान से असंख्य जलधाराएं गिरती हैं। मोर जैसे पंख फैलाकर नाचता है, उसी तरह नर्मदा ने यहां अपनी जलधाराएं फैला दी हैं।

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