आपात काल का क्रांति पर्व

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अभिव्यक्ति मानव का नैसर्गिक स्वभाव है। इसकी स्वतंत्रता को अक्षुण्ण बनाए रखना लोकतांत्रिक सरकार की सब से बड़ी कसौटी है। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सन १९७५ में पहली बार आपात काल की घोषणा के बाद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया। आपात काल की काल-कोठरी में कानून के नाम पर प्रशासन ने अकांड- तांडव मचाया।

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