संस्कृत साहित्य परम्परा
कुमाऊं और गढ़वाल में कई ऐसे साक्ष्य प्राप्त हुए हैं जिनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि उत्तराखंड में संस्कृत साहित्य की परंपरा मौजूद थी। इन साक्ष्यों तथा ऐतिहासिक धरोहरों में से अधिकतर बहुत ही जीर्ण-क्षीर्ण स्थिति में हैं। इन धरोहरों का रखरखाव तथा संस्कृत का प्रचार-प्रसार इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि उत्तराखंड की द्वितीय राज्यभाषा भी संस्कृत है।