विपश्यना, योग और मेरा अनुभव

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         सन १९९५ मैं अपने जीवन के अत्यंत कठिन दौर से गुजर रहा था। मेरी इंजनियरिंग की डिग्री, पारिवारिक पृष्ठभूमि, २० वर्ष की भ्रष्टाचारमुक्त नौकरी इत्यादि कुछ भी मेरे काम का नहीं था। इस निराशा और अंधकारयुक्त जीवन के बीच मुझे मेरी बहिन ने आशा की किरण दिखाई। उसने मुझे इगतपुरी स्थित विपश्यना केन्द्र में जाने का सुझाव दिया। उसने वहां के कुछ लोगों के अनुभव बताये, जिन्हें सुनकर मैंने वहां जाने का निश्चय किया।

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