स्त्रीत्व ही मातृत्व!
घर के बगीचे से एक ब़डा सा अमरूद तो़डकर रसोई घर में ला रखा था। पकने पर वह महकने लगा, तब उसे काटकर खिलाने की मांग होने लगी। मां ने काटकर उसकी तीन फांकें बनाईं, दो अपने बेटे-बेटी को सौंपी और एक अपने लिए रख ली।
घर के बगीचे से एक ब़डा सा अमरूद तो़डकर रसोई घर में ला रखा था। पकने पर वह महकने लगा, तब उसे काटकर खिलाने की मांग होने लगी। मां ने काटकर उसकी तीन फांकें बनाईं, दो अपने बेटे-बेटी को सौंपी और एक अपने लिए रख ली।