आबोहवा को क्या हो गया है?

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आबोहेवा का मिजाज बदल गया है और मौसम रूठ गए हैं। मनुष्य इसका दोषी है। जिस तेजी से हम जंगलों को काट कर हरियाली मिटा रहे हैं, जल, थल और आसमान में जहर भर रहे हैं, अपनी सदानीरा नदियों को प्रदूषित कर रहे हैं, उस सबका परिणाम है यह। नए भारत में इसे सुधारने के लिए हमें कदम उठाने होंगे।

हम और हमारे वन

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वनों में जीवों की जो दुनिया बसती है, उसमें सभी जीवों का एक आपसी रिश्ता है। सच तो यह है कि जड़ और चेतन सभी का अटूट रिश्ता है। जीवन तो वनों के कारण पनपता है। इसका विनाश कर हम अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मारेंगे।

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