फिल्म संगीत एवं गजल गायकी
स्वर, लय और ताल के साथ शब्दों के स्वरों की अदायगी की अनुभूति केवल भावों द्वारा ही स्पष्ट होती है। भावहीन संगीत का सांगीतिक जीवन में कोई स्थान नहीं है। विस्तार से देखा जाए तो किसी भी गायन, वादन और नृत्य शैली में भावों द्वारा ही नव रसों की उत्पत्ति होती है। विभिन्न गायन शैलियां एक-दूसरे से भिन्न होते हुए भी एक-दूसरे के पूरक हैं।