शिवराज सिंह: दिलों पर राज जमीं पर पांव

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29 नवंबर, 2005 को जब शिवराज सिंह चौहान पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तब प्रदेश बीजेपी में स्व. कुशाभाऊ ठाकरे और सुंदरलाल पटवा जैसे बड़े नेता मौजूद थे। इन नेताओं की छत्रछाया में ही उन्होंने राजनीति की शुरूआत की थी। आम चुनावों में भी में जीत उमा भारती…

स्वाधीनता संघर्ष ..कांग्रेस और वास्तविक इतिहास…!

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के इस बयान ने देश में बहस छेड़ दी है कि भारत को आजादी दिलाने में सिर्फ कांग्रेस का ही योगदान रहा। साथ में उन्होंने यह भी कह दिया कि भाजपा संघ अथवा किसी और का एक कुत्ता भी मरा हो तो उसका नाम बता दें।…

भारतबोध के साथ वैश्विक कल्याण का पथ ‘एकात्म दर्शन’

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धरती के हर  मनुष्य के साथ  ठीक वैसा व्यवहार हो, जैसा हम दूसरों से अपने लिए चाहते हैं। परिवार, समाज,देश और यहां तक कि विश्व के सभी शासक अपने पर निर्भर लोगों के साथ उनके हित को ध्यान में रखते हुए एक जैसा व्यवहार करें को एकात्म मानव दर्शन का…

तालिबान और भारत के तथाकथित सेक्युलर

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कल्पना कीजिए अगर किसी हिन्दू संगठन ने ऐसा किया होता तो देश के सेक्युलर बुद्धिजीवियों ने कैसा रुदन मचा दिया होता? आज इन बुद्धिजीवियों और तुष्टिकरण की राजनीति के झंडावरदारों को अफगानी महिलाओं और बच्चों पर हो रहा बर्बर अत्याचार नजर नहीं आ रहा है क्योंकि वहां उनकी सेलेक्टिव सेक्युलरिज्म की थ्योरी फिट बैठती है।

14 अगस्त विशेष : भारत विभाजन की त्रासदी

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कहते हैं आगे बढ़ने के प्रयासों के दौरान पड़ने वाले आराम दायक पड़ावों को मंजिल मान लिया जाए, तो फिर प्रगति के रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं। यही बात भारत की खंड-खंड आजादी को संपूर्ण आजादी मान लिए जाने पर लागू होती है। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि…

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