हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
स्वाधीनता संघर्ष ..कांग्रेस और वास्तविक इतिहास…!

स्वाधीनता संघर्ष ..कांग्रेस और वास्तविक इतिहास…!

by डॉ राघवेंद्र शर्मा
in ट्रेंडींग, राजनीति, सामाजिक
0

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के इस बयान ने देश में बहस छेड़ दी है कि भारत को आजादी दिलाने में सिर्फ कांग्रेस का ही योगदान रहा। साथ में उन्होंने यह भी कह दिया कि भाजपा संघ अथवा किसी और का एक कुत्ता भी मरा हो तो उसका नाम बता दें। उनके इस अमर्यादित बयान ने एक बार फिर यह बात उजागर कर दी है कि कॉन्ग्रेस देश को आजादी दिलाने का श्रेय स्वयं के पास ही रख किसी भी अन्य सेनानी को इतिहास में स्थान नही देना चाहती है। आज देश को इस सत्य से अवगत कराने का वक्त आ गया है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की शुरुवात कॉन्ग्रेस ने की ही नहीं। सही मायने में तो इसकी शुरुआत कोंग्रेस की स्थापना से बहुत पहले हो चुकी थी। जिसमें सभी वर्गों ने यथा क्षमता भाग लिया और कुर्बानियां दीं। बाबजूद हमें पाठ्य पुस्तकों में यह पढ़ाया जाता रहा कि देश को कॉन्ग्रेस ने स्वतंत्र कराया। उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को तो कभी प्राथमिकता दी ही नहीं गई, जिन्होंने आजादी के लिए अपने सिर कलम करवा दिए। सिद्धू मुर्मू, कानू मुर्मू और उनके संथाली भाइयों के बलिदान की चर्चा करना उचित होगा ।

इस परिवार के चार सदस्य अंग्रेजो द्वारा मार डाले गए। जबकि आजादी के संग्राम में 10 हजार संथाल आदिवासियों ने अपना बलिदान दिया है। तथ्य यह है कि कांग्रेस 15 अगस्त 1947 से पूर्व अनेक वर्षों तक स्वतंत्रता संघर्ष का भारत का सबसे बड़ा मंच था। लेकिन वह कांग्रेस आज की तरह एक राजनीतिक पार्टी नहीं थी। अहिंसक आंदोलनों से स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले दूसरी विचारधाराओं के लोग भी उस समय कांग्रेस के मंच से काम करते थे। कांग्रेस के नेता जिस हिंदू महासभा की दिन रात आलोचना करते हैं उन्हें यह पता होना चाहिए कि एक ही व्यक्ति एक साथ हिंदू महासभा एवं कांग्रेस दोनों का सदस्य हो सकता था। यहां तक किअध्यक्ष भी। पंडित मदन मोहन मालवीय हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे और कांग्रेस के भी। वास्तव में सबका लक्ष्य अंग्रेजों से भारत की मुक्ति था और उसमें आज की तरह तथाकथित विचारधारा का तीखा विभाजन नहीं था। वर्तमान कांग्रेस तब के कांग्रेस के उन नेताओं का नाम नहीं लेती जिनकी विचारधारा को हिंदुत्ववादी या संप्रदायिक मानती है। अंग्रेजों को प्रतिवेदन देने वाले मंच से प्रखर संघर्ष के रूप में कांग्रेस को परिणत करने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बाल गंगाधर तिलक के योगदान
को कांग्रेस उस रूप में नहीं स्वीकारती जैसा था। यही बात लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल जैसे नेताओं के साथ लागू होता है। तिलक और लाला लाजपत राय दोनों उन स्वतंत्रता सेनानियों के प्रतिनिधि थे जो हिंदुत्व तथा धर्म अध्यात्म के आधार पर भारत का विचार करते थे।

क्या इनका आजादी के आंदोलन में योगदान नहीं था? यह एक उदाहरण बताता है कि आजादी के आंदोलन को लेकर वर्तमान कांग्रेस की सोच संकुचित और विकृत है। एक और उदाहरण लीजिए। डॉ राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी धारा के नेता भी कांग्रेस के साथ ही स्वतंत्रता संघर्ष में सक्रिय थे। क्या कांग्रेस कभी इनकी और इनकी तरह दूसरे नेताओं के महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करती है? वास्तव में छोटे बड़े संगठनों, संगठनों से परे और कांग्रेस में भी ऐसे लाखों की संख्या में विभूतियां थीं जिन्होंने अपने-अपने स्तरों पर स्वतंत्रता की लड़ाई में योगदान दिया, अपनी बलि चढ़ाई। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर उन गुमनाम स्वतंत्र सेनानियों को तलाश कर सामने लाया जा रहा है। जितने सेनानियों के विवरण आ रहे हैं वे बताते हैं कि कोई एक संगठन ,कुछ नेता या कोई एक पार्टी स्वतंत्रता का श्रेय नहीं ले सकती।

सबसे अधिक हैरानी इस बात पर होती है कि कॉन्ग्रेस वीर सावरकर को कायर बताकर उनका चारित्रिक हनन करती रहती है। जबकि यह स्थापित सत्य है कि वीर सावरकर एकमात्र ऐसे योद्धा थे जिन्हें अंग्रेजों द्वारा दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उन्हें प्रताड़ित करने के लिए तेल निकालने वाले कोल्हू में बैल के स्थान पर जोता गया। उल्लेखनीय है कि वीर सावरकर के शेष तीनों भाई भी क्रांतिकारी रहे। सब से बड़ी बात तो यह है कि इनके देश प्रेम को आदर्श मानकर ही मदनलाल ढींगरा विदेश गए और शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की हत्या का बदला अंग्रेजों से लिया। देश के अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने सावरकर बंधुओं से देश के लिए मरना सीखा। कॉन्ग्रेस और उसके नेता अक्सर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा से यह सवाल भी करते रहते हैं कि उनके किस नेता ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। इस बाबत यह उल्लेख करना उचित रहेगा कि डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक हैं, उन्हें एक से अधिक बार जेल हुई। एक बार तो जब वे रिहा होकर नागपुर लौटे तो उनके स्वागत में ढेर सारे कांग्रेसी भी मौजूद हुए। जिनमें मोतीलाल नेहरु प्रमुख रहे।

उन्होंने बेहद प्रसन्नता के साथ कहा था कि स्वतंत्रता संग्राम में श्री हेडगेवार की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो चली है। इसके अलावा भी नमक आंदोलन में संघ के आदि सरसंघचालक श्री हेडगेवार का विशेष योगदान रहा। उनके नेतृत्व में हजारों स्वयंसेवक उक्त आंदोलन को मूर्त रुप देने में लगे रहे। संघ की स्थापना तो वर्ष 1925 में की गई। जबकि श्री हेडगेवार इससे पहले भी हजारों स्वयंसेवकों के साथ मिलकर स्वतंत्रता संग्राम में विभिन्न दायित्वों का स्व स्फूर्त होकर निर्वहन करते रहे। बर्ष 1921 में जब असहयोग आंदोलन शुरु हुआ और सत्याग्रह की पहली शुरुआत हुई, तब भी डॉक्टर हेडगेवार उसमें बढ़ चढ़कर शामिल हुए। फलस्वरुप वे अंग्रेजों की आंख में खटकते रहे। जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार किया गया और एक साल के कारावास की सजा सुनाई गई। यह सजा 1921 के अगस्त माह से शुरु होकर वर्ष 1922 के जुलाई माह तक जारी रही। बंगाल में अनुसीलन समिति और युगांतर नाम के क्रांतिकारियों के दल काफी सक्रिय थे। इनमें भी रास बिहारी बोस, सचिन नाथ सान्याल, बालेंदु कुमार घोष, महर्षि अरविंद के साथ डॉक्टर हेडगेवार की सक्रियता प्रमुखता से दर्ज है।

1930 में जब सविनय अवज्ञा आंदोलन और नमक सत्याग्रह उफान पर थे, तब भी डॉक्टर हेडगेवार अग्रणी नेता बने रहे। फलस्वरुप उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार किया और 9 महीने की सजा सुना दी। आजादी की लडाई में जंगल सत्याग्रह का उल्लेख प्रमुखता से दर्ज है। इसमें संघ के स्वयंसेवकों की भूमिका प्रमुख रही। यह तत्कालीन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने भी माना था। 1942 का स्वतंत्रता संग्राम भी अध्ययन करने योग्य है। सत्ता के दबाव में इतिहासकारों ने यह सच छुपाया कि तब सक्रिय आंदोलनकारियों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका सर्वाधिक सक्रिय दर्ज की गई गई। उस दौरान अधिकतर स्वयंसेवकों ने लाठियां और गोलियां खाईं।
जहां तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गठन की बात है तो डॉक्टर हेडगेवार को यह बात कांग्रेस में रहकर ही समझ आई कि जब तक आंदोलन जातियों और वर्गों में बंटा रहेगा, तब तक देश में फूट डालो राज करो कि नीति सफल होती रहेगी। अतः 1925 में संघ की स्थापना हुई और डॉक्टर हेडगेवार ने अपनी पूरी ताकत समाज को एकजुट करने में लगा दी। तो क्या कॉन्ग्रेस यह कहना चाहती है कि जो लोग दूसरे दलों के माध्यम से देश की सेवा करते रहे, वे सब देश भक्त थे ही नहीं? बहस तो इसी बात की है कि जिन लोगों ने कॉन्ग्रेस की भेदभाव पूर्ण नीतियों से अलग होकर अलख जगाई, ऐसे सुभाष चंद्र बोस, सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, लाल बहादुर शास्त्री, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय औऱ अन्य गुमनाम नायकों से देश रु ब रु क्यों न हो?

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: congressfreedom fightersindian freedom strugglemallikarjun kharge

डॉ राघवेंद्र शर्मा

Next Post
हीराबा को सादर भावपूर्ण श्रद्धांजलि

हीराबा को सादर भावपूर्ण श्रद्धांजलि

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0