उद्यमिता की विरासत : उत्तर प्रदेश

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    उद्यमिता की दृष्टि से उत्तर प्रदेश परम्परागत शिल्प के लिये प्रसिद्ध है। इन शिल्पों का विकास गृह एवं कुटीर उद्योग के रूप में ग्रामीण और छोटे कस्बों में हुआ। मशीनी युग में भी इन शिल्पियों ने अपनी परम्परा, अनूठी विशेषता और गुणवत्ता बनाये रख

 स्वादिष्ट ग्रामीण पकवान

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देश के ग्रामीण इलाकों में आज भी परम्परागत व्यंजन बनाए, खाये जाते हैं| बाटी-चोखा, सत्तू, लाटा, दही-चिउड़ा, ठोकवा, माल-पुआ, गुलगुला, पूरण-रोटी आदि तो नित्य के पकवान हैं| इनके अलावा रसियाव, गुझिया, कचौरी, पूरी, अनर्सा, बड़ा पना, गजक, रबडी, साग-पहिती इत्यादि न जाने कितने पारम्पारिक पकवान हैं|

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