आशीष

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-लगभग पंद्रह वर्ष पहले की बात है। मैं पीएच.डी. कर रही थी। मेरे पीएच.डी. के मार्गदर्शक श्री पाटील सर ने एक और उपन्यास का नाम सूची में बढ़ा दिया, ‘तत्सम’ लेखिका- राजी सेठ। उपन्यास पाने की कोशिश शुरू हो गयी।

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