जनजाति के लिए प्रकृति ही धर्म है
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जनजाति के लिए प्रकृति ही धर्म है
पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध में अपने देश की प्राचीन सभ्यता से कहीं भटकने का डर हमें अस्वस्थ कर रहा है। ऐसी स्थिति में केवल जनजाति समाज और उसकी आदर्श पर्यावरण पूरक जीवनशैली ही हमें फिर से अपने मूल मार्ग पर लाने के लिए सक्षम है।