स्त्रियों के प्रति स्वामी विवेकानंद की भूमिका

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देखते-देखते 21 वीं सदी के 12 साल गुजर गये। आज स्त्री शिक्षा और अर्थाजन के क्षेत्र में पुरुषों के बराबर किंबहुना आगे ही नजर आती है। व्यक्ति स्वतंत्रता की पहचान, पुरुषों के कन्धे से कन्धा मिलाकर स्वत: का स्थान निर्माण करने की सिद्धता, समाज में सहज और स्वतंत्र बर्ताव, रहन-सहन में परिवर्तन इन सभी के साथ जीवन को जो एक गति मिली है उसने एक शतक में बहुत बडा परिवर्तन किया है।

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