उत्तराखंड की एक सांस्कृतिक परम्परा जागर

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जागर की यह परम्परा आज की नहीं अपितु तब से चली आ रही है जब से मानव ने जन्म लिया है। आज विज्ञान की उन्नति के कारण कथित सभ्य समाज इसकी खिल्ली उड़ाता है लेकिन आदिकाल से वैज्ञानिक जिस आत्म तत्व की खोज लाखों वर्षों से करता आ रहा है, उस आत्म तत्व को उत्तराखंड का जागर तन-मन के पर्दे पर डमरू और थाली बजाकर क्षण में उपस्थित कर देता है।

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