कमजोरी है या…..?

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सुबह आंख खुली। मैं बाहर आकर टहलने लगा। थोड़े समय बाद देखा। एक छोटी बालिका पीठ पर टाट का बड़ा-सा बोरा लटकाए धीरे-धीरे चलते हुए प्लास्टिक की थैलियां और कागज उठाकर बोरे में डालते हुए बढ़ रही है। मेरे करीब पहुंचकर उसने कागज उठाए बोरे में डाले।

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