हाट और ई बाजार
गांवों की हाट तो अब बीते जमाने की बात हो गई है। उनका स्थान ई बाजार ने ले लिया है। हम अपनी मूल पहचान को ही भूलते जा रहे हैं, क्या आपको ऐसा नहीं लगता?
गांवों की हाट तो अब बीते जमाने की बात हो गई है। उनका स्थान ई बाजार ने ले लिया है। हम अपनी मूल पहचान को ही भूलते जा रहे हैं, क्या आपको ऐसा नहीं लगता?