पूरनपोली की पूर्णता: मेरी मां

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यह बात सन 1969-70 की है। तब मेरी उम्र 12-13 वर्ष रही होगी। मेरी दादी मां का निधन हुआ था। हम सब हमारे गांव देवका (गुजरात) गये थे। हमारे जीवराम चाचाजी विद्वान कथाकार थे। उनके साथ रहने के कारण मुझे भी भागवत कथा और भगवद्गीता की शिक्षा प्राप्त होती थी। सहज ही हममें धर्म और संस्कार का सिंचन होने लगा।

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