मुद्रा-विज्ञान एवं रंग चिकित्सा
एक पुरानी कहावत है: पहला सुख निरोगी काया; दूसरा सुख घर में माया; तीसरा सुख सुलक्षणी नारी; चौथा सुख पुत्र आज्ञाकारी। इन सुखों में सबसे बड़ा सुख स्वस्थ शरीर को बताया गया है। क्योंकि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ-मन निवास करता है।