ईश्वर का प्रथम रूप ‘मां’
संत बिनोवा भावे ने अपनी जीवनी में एक स्थान पर लिखा है, “प्रत्येक जीवधारी के लिये उसकी मां ही प्रथम ईश्वर है!” इस सृष्टि में मां पहला व्यक्तित्व है, जो अपने शिशु को जन्म देने के साथ साथ उसे जीवनयापन, आस्था-विश्वास और संस्कारशीलता के गुण प्रदान करती है!