सिर साटे रूख रहे तो भी सस्तो जाण
उन्होंने स्वयं पहुंचकर क्षमा याचना के साथ उस पूरे क्षेत्र से खेजड़ी वृक्षों सहित सभी हरे वृक्षों की कटाई बन्द करवा दी। यही नहीं उन्होंने हरे वृक्षों को काटने पर कठोर दण्ड भी लगा दिया। वह नियम आज तक जैसा-का-तैसा लागू है।