प्रायश्चित

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*****रेखा बैजल***** लेना न लेना अपने वश में नहीं होता। हमारे हाथों जो कृति होती है उसका वह अटल परिणाम होता है। लेकिन जब व्यक्ति अपनी गलती मानता नहीं तब वह परिणाम भगवान को कोसते हुए सहन करता रहता है। ग्रीष्म की धधकती धूप थी। उस धूप को झेलता हुआ विस्तृ

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