हर युग में सावित्री अत्याधुनिक रहेगी

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पुराआख्यानो ं में स्त्री-सत्ता के अनेक शिखर-सन्दर्भ हैं । आज अपसंस्कृति, बाजारवाद, भूमण्डलीकरण, नारी मुक्ति आन्दोलन और स्त्री-विमर्श के वितंडावाद में हमारा आदर्श छूटता चला जा रहा है।

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