मन्दिर निर्माण- श्रावण कृष्ण द्वितीया युगाब्द 5122

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करोडों घण्टे, लाखों दिन, अनगिनत महीने, अनेक वर्ष और लगभग पांच शतक बितने के बाद ये दिन आया है। क्या है इस दिन की विशेषता? इस दिन भी सूरज पूरब से ही निकलेगा और निसर्ग अपनी गति से ही चलेगा। फिर क्या है जो अलग है?क्या अद्भुत होगा? क्या है जो विलक्षण है? गौरवास्पद है? क्या है जो संस्मरणीय है

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